नई दिल्ली: जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने शुक्रवार (4 अक्टूबर) की शाम दिल्ली के लद्दाख भवन में आयोजित एक प्रेस वार्ता में कहा कि अगर उन्हें और उनके साथियों को प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या गृह मंत्री जैसे शीर्ष नेताओं से मिलने नहीं दिया जाता, तो उन लोगों को मजबूरन एक बार फिर से अनशन या भूख हड़ताल का सहारा लेना पड़ेगा.
द स्टेट्समैन की खबर के अनुसार, वांगचुक ने कहा कि उन्हें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात को लेकर उनकी मांग पर सरकार से कोई जवाब नहीं मिला है, जबकि उन्हें आश्वासन दिया गया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, सोनम वांगचुक और उनके साथ मार्च कर रहे सैकड़ों कार्यकर्ताओं को 30 सितंबर की रात दिल्ली से पहले सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में लेने के बाद वांगचुक और अन्य ने जेल में उपवास शुरू कर दिया था. ये सभी लोग लगभग 48 घंटे उपवास पर रहे थे.
मालूम हो कि वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर दिल्ली के लिए पदयात्रा कर रहे थे. लेह से एक सितंबर को शुरू हुई ये यात्रा क़रीब एक हज़ार किलोमीटर लंबी थी और तय कार्यक्रम के अनुसार उन्हें दो अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन बापू की समाधि पहुंचना था. लेकिन उससे पहले ही पुलिस ने इस मार्च को रोक दिया और इन लोगों को हिरासत में ले लिया गया.
इस यात्रा का एक उद्देश्य लद्दाख के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यावरण को बचाना भी है, जिसे लेकर प्रदर्शनकारियों की मांग है कि कोई भी विकासात्मक परियोजना इसकी संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर ही बनाई जाए , क्योंकि ये क्षेत्र पहले ही जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों का सामना कर रहा है.
मालूम हो कि दिल्ली पुलिस द्वारा राजघाट लाए जाने के बाद वांगचुक और अन्य ने 2 अक्टूबर की रात को अपना उपवास समाप्त कर दिया था.
वांगचुक की रिहाई के बाद शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी इस संबंध में दायर एक याचिका का निपटारा करते हुए कार्यवाही बंद कर दी. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया था कि दिल्ली पुलिस अभी भी सोनम वांगचुक की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा रही है. वहां तैनात पुलिसकर्मी उन्हें लद्दाख भवन छोड़ने की अनुमति नहीं दे रहे.
हालांकि, बाद में वांगचुक का एक साक्षात्कार देखने के बाद अदालत ने इस मामले को बंद करते हुए कहा कि वे अपनी आवाज़ उठाने में सक्षम हैं.
उन्होंने शुक्रवार शाम लद्दाख भवन में मीडिया से कहा कि अगर वांगचुक और जलवायु मार्च में शामिल लोगों को वादे के मुताबिक शीर्ष नेताओं से मुलाकात नहीं कराई गई तो उन्हें दूसरे अनशन का सहारा लेना होगा.
HELLO! LONG TIME NO POST…
As I didn’t have phone access during detention.
Thank you all for your tremendous support.
We broke our fast based on the assurance from MHA that a meeting WITH India’s topmost leaders will happen in the next few days.
Here’s the memorandum we… pic.twitter.com/9pWZQ1cfNn— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) October 3, 2024
स्टेट्समैन के अनुसार, वांगचुक को पिछले दो दिनों से लद्दाख भवन में रहने के दौरान किसी से भी मिलने की इजाजत नहीं दी गई थी. पुलिस ने शुक्रवार की रात उन्हें मीडिया से बातचीत करने की अनुमति दी. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि उन्हें दिल्ली पहुंचने पर ही निषेधाज्ञा के बारे में सूचित किया गया था.
अखबार ने वांगचुक के हवाले से कहा, ‘हमें बताया गया कि हम या तो लद्दाख लौट सकते हैं या फिर हमें हिरासत का सामना करना पड़ सकता है. मैंने कभी ऐसी व्यवस्था नहीं देखी, जहां बस में यात्रियों को बताया जाता हो कि उन्हें आगे बढ़ने से मना किया गया है. यह जंगलराज जैसा है.’
समाचार रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रेस वार्ता के दौरान वांगचुक ने लद्दाख के चांगथांग क्षेत्र में एक विशाल सौर परियोजना स्थापित करने की सरकार की योजना का भी कड़ा विरोध किया. उनके अनुसार ये परियोजना इन उच्च ऊंचाई वाले घास के मैदानों के पश्मीना चरवाहों को विस्थापित कर देगी, जिससे उनकी आजीविका और अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा.
स्क्रॉल की हाल ही में इस संबंध में एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें बताया गया था कि चांगपा जनजाति – जो चांगथांग में स्वदेशी बकरियों को चराकर अपनी आजीविका चलाते हैं. ये लोग उच्च गुणवत्ता वाले पश्मीना ऊन का भी उत्पादन करते हैं, ने इस 13-गीगावाट एकीकृत नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना के संबंध में गंभीर चिंताएं जताई हैं, क्योंकि इस परियोजना के चलते घास के विशाल मैदानों को बाड़ से बंद किया जा सकता है.
गुरुवार (3 अक्टूबर) की सुबह, लद्दाख में करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस के साजिद करगिली, जो हिरासत में लिए गए लोगों में से एक थे, ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था कि इमामिया हॉल में 76 लोगों और वज़ीराबाद में कुछ लोगों को अभी भी हिरासत में रखा गया है और उन्हें जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है.
It is very unfortunate that 76 people at Imamia Hall, and similarly people from #Leh are also being detained at Wazirabad and not allowed to leave.
Despite ending our protest yesterday evening, we are still being restricted from moving freely. Is this not an injustice ?… pic.twitter.com/xMCR57no5X
— 𝐒𝐚𝐣𝐣𝐚𝐝 𝐊𝐚𝐫𝐠𝐢𝐥𝐢 | سجاد کرگلی (@SajjadKargili_) October 3, 2024
हालांकि गुरुवार को, दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि 30 सितंबर को लगाए गए निषेधाज्ञा आदेश को वापस ले लिया गया है और पुलिस ने वांगचुक सहित सभी लोगों को रिहा कर दिया है.
हालांकि, गुरुवार को द हिंदू की एक समाचार रिपोर्ट में बताया गया कि वांगचुक को लद्दाख भवन में अभी भी निगरानी में रखा गया है. इसमें कहा गया कि गुरुवार शाम को उन्हें लद्दाख भवन छोड़ने की अनुमति नहीं दी गई. उन्हें सादे कपड़ों में तैनात पुलिस ने बाहर जाने से रोक दिया था.