सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने की समीक्षा की याचिकाओं को ख़ारिज किया

सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को मोदी सरकार की बेनामी राजनीतिक फंडिंग वाली चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था. अब इस फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड को देखते हुए निर्णय में कोई त्रुटि नहीं दिखती.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी 2024 के अपने चुनावी बॉन्ड संबंधी फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है.  फैसले में अदालत ने मोदी सरकार की बेनामी राजनीतिक फंडिंग की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड को देखते हुए कोई त्रुटि नहीं दिखती.

सुप्रीम कोर्ट ने समीक्षा याचिकाओं को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया.

शीर्ष अदालत द्वारा 25 सितंबर को पारित निर्णय को शनिवार (5 अक्टूबर) को अदालत की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किया गया.

पीठ ने 25 सितंबर को अपने आदेश में कहा, ‘समीक्षा याचिकाओं का अवलोकन करने के बाद रिकॉर्ड को देखते हुए कोई त्रुटि नहीं दिखती. सुप्रीम कोर्ट नियम 2013 के आदेश XLVII नियम 1 के तहत समीक्षा का कोई मामला नहीं है. इसलिए, समीक्षा याचिकाओं को खारिज किया जाता है.’

वकील मैथ्यूज जे. नेदुम्परा और अन्य द्वारा दायर की गई समीक्षा याचिका में तर्क दिया गया कि योजना से संबंधित मामला विधायी और कार्यकारी नीति के विशेष अधिकार क्षेत्र में आता है.

बता दें कि 15 फरवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने सर्वसम्मति से चुनावी बॉन्ड योजना को ‘असंवैधानिक’ करार दिया था. शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था कि यह योजना राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग का खुलासा करने में विफल रहने के कारण संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन करती है.

इसके परिणामस्वरूप, सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी अधिनियम, आयकर अधिनियम और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में चुनावी बॉन्ड से संबंधित प्रावधानों को भी अमान्य कर दिया था. इसके अलावा, शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड के खरीदारों और प्राप्तकर्ताओं की जानकारी भी सार्वजनिक करने का आदेश दिया था.

उक्त जानकारी के मुताबिक, 1,260 कंपनियों और व्यक्तियों ने 12,769 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे. शीर्ष 20 कंपनियों ने 5,945 करोड़ रुपये का चंदा दिया था, जो चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदे में दी गई कुल राशि का लगभग आधा हिस्सा था.

सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद भारतीय स्टेट बैंक ने चुनावी चंदे से जुड़ी सभी जानकारी चुनाव आयोग को सौंप दी थी, जिसके बाद आयोग ने इसे अपनी वेबसाइट पर साझा किया.

इस डेटा के अनुसार, भाजपा ने 12 अप्रैल 2019 से 24 जनवरी 2024 के बीच कुल 6,060.5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भुनाए, जबकि मार्च 2018 से पार्टी द्वारा भुनाई गई कुल राशि 8,251.8 करोड़ रुपये रही.