हरियाणा विधानसभा चुनाव: रुझानों में भाजपा को बहुमत, जुलाना में कड़ी टक्कर

रुझान बता रहे हैं कि हरियाणा का 'ग्रैंड ट्रंक (जीटी) बेल्ट' एक बार फिर सत्तारूढ़ भाजपा की मदद कर रहा है. इस बेल्ट में आने वाली 25 विधानसभा सीटों में से 12 पर भाजपा आगे चल रही है और कांग्रेस सिर्फ आठ पर बढ़त बनाए हुए है.

भाजपा नेेता नायब सिंह सैनी (फोटो साभार: श्रावस्ती दास गुप्ता/द वायर)

नई दिल्ली: शुरुआती रुझानों में आगे रहने के बाद कांग्रेस अब पीछे चल रही है. अगर यही रुझान परिणाम में तब्दील होते हैं तो हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में पहली बार कोई पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में आने का रिकॉर्ड बनाएगी.

करनाल जिले की सभी पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा आगे चल रही है. भाजपा ने पानीपत और सोनीपत जिलों की अधिकांश सीटों पर भी बढ़त बना ली है जबकि इन सीटों पर भूपेंद्र हुड्डा का प्रभाव बताया जाता है.

(फोटो साभार: चुनाव आयोग)

कौन आगे, कौन पीछे?

जुलाना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार विनेश फोगाट भाजपा प्रत्याशी योगेश कुमार से तकरीबन 2000 मतों से पीछे चल रहीं हैं.

उचाना कलां सीट से जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) प्रमुख और हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला कांग्रेस के विजेंद्र सिंह से करीब 8000 मतों से पीछे चल रहे हैं. 

हिसार के आदमपुर में दिवंगत सीएम भजन लाल के पोते और भाजपा उम्मीदवार भव्य बिश्नोई आगे चल रहे हैं. वह साल 2022 में कांग्रेस छोड़, भाजपा में शामिल हुए थे.

रुझानों में अंबाला कैंट सीट से भाजपा के अनिल विज पीछे चल रहे हैं. छह बार के विधायक विज ने कहा है कि अगर भाजपा जीतती है तो वह मुख्यमंत्री पद के लिए दावा पेश करेंगे.

पिछले कुछ वर्षों से सांप्रदायिक तनाव के कारण चर्चा में रहने वाले नूंह से कांग्रेस के आफताब अहमद आगे चल रहे हैं.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक की अपनी परंपरागत गढ़ी सांपला-किलोई सीट से आगे चल रहे हैं.

टिकट वितरण के बाद दोनों दलों में हुई थी बगावत

हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के लिए मतगणना सुबह 8 बजे से जारी है. चुनाव के दौरान करीब 67 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो पिछले चुनाव के मुकाबले कम था. मुख्य मुकाबले में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस बने हुए हैं.

भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही दलों को टिकट वितरण के बाद अपने नेताओं की बगावत का सामना करना पड़ा था. चुनाव के दौरान मुख्य मुद्दे जवान, किसान और पहलवानों से संबंधित रहे. अग्निपथ योजना, किसान आंदोलन और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के मुद्दे पूरे चुनाव में छाए रहे. इन मुद्दों के कारण भाजपा के खिलाफ जनादेश की भारी संभावना जताई जा रही है. भाजपा नेताओं को चुनाव प्रचार के दौरान विरोध का भी सामना करना पड़ा है.

वहीं, कांग्रेस जाट मतदाता के भरोसे सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए हुए है. इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा को टिकट बंटवारे में खुली छूट दी गई. कुल 90 सीटों में से 70 से अधिक टिकट उनके समर्थकों को बांटे गए.

दूसरी तरफ, चुनाव के दौरान भाजपा का पूरा ध्यान गैर-जाट मतदाता को साधने पर रहा. इसी कड़ी में लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाने के बाद भी पार्टी ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के ही नेतृत्व में चुनाव लड़ा.

हालांकि, भाजपा और कांग्रेस- दोनों ही दलों में- मुख्यमंत्री पद को लेकर भी खींचतान मची हुई है. भाजपा से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और अनिल विज स्वयं को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताते देखे गए, वहीं कांग्रेस से सांसद कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पद पर अपनी दावेदारी जताई. हुड्डा को मिलती अधिक तवज्जो के बाद कुमारी शैलजा नाराज होकर चुनाव प्रचार से दूर भी रहीं.

इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) ने भी इस बार राज्य की सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) मुकाबले में नजर नहीं आए हैं.

चुनाव के दौरान मुख्य मुद्दे जवान, किसान और पहलवानों से संबंधित रहे. ज्ञात हो कि राज्य की सभी 90 सीटों पर एक चरण में 5 अक्टूबर को मतदान संपन्न हुआ था.