हरियाणा विधानसभा चुनाव: भाजपा को पूर्ण बहुमत, जुलाना से विनेश फोगाट विजयी

जुलाना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी विनेश फोगाट जीत चुकी हैं. उन्होंने भाजपा के योगेश कुमार को छह हज़ार से अधिक वोटों से हराया है.

विनेश फोगाट. (फोटो साभार: फेसबुक/@phogat.vinesh)

नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है. हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में पहली बार कोई पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में आई है. आठ अक्टूबर को शुरुआती रुझानों में कांग्रेस आगे चल रही थी लेकिन बाद में पीछे हो गई.

जब यह उलटफेर चर रहा था तब मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, ‘असल में गिने गए राउंड की संख्या और चुनाव आयोग के डेटा के ज़रिए टेलीविज़न पर दिखाए जा रहे राउंड की संख्या में अंतर है. चुनाव आयोग का डेटा पीछे चल रहा है.

अब तो सभी राउंड की गिनती पूरी हो चुकी है और परिणाम भी जारी हो चुके हैं. 90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा की 48 सीटों पर भाजपा को जीत मिली है। कांग्रेस को 37 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है. शेष चार सीटों में से दो इंडियन नेशनल लोकदल और निर्दलीयों के हिस्से दो-दो गया है.

(फोटो साभार: चुनाव आयोग)

कांग्रेस ने नूंह, फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना सहित मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज की. नूंह में पिछले साल जुलाई में भीषण सांप्रदायिक झड़पें हुई थीं. जुलाना से विनेश फोगाट ने 6,015 मतों से जीत हासिल की है.

करनाल जिले की सभी पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा की जीत हुई है. इसके अलावा भाजपा ने पानीपत जिले की भी सभी विधानसभा क्षेत्र को जीत लिया है. सोनीपत की एक सीट पर निर्दलीय और एक पर कांग्रेस की जीत हुई है, शेष चार पर भाजपा को जीत मिली है.

जीडी रोड बेल्ट में भाजपा एक बार फिर अच्छा प्रदर्शन कर रही है. इस बेल्ट में आने वाली 25 विधानसभा सीटों में से 12 पर भाजपा आगे चल रही है और कांग्रेस सिर्फ आठ पर बढ़त बनाए हुए है. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा जीडी रोड बेल्ट की 13 सीटें जीतने में कामयाब हो पायी थी और कांग्रेस के हाथ नौ सीटें ही लगी थीं.

इस चुनाव में कुल तीन निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत हुई है. हिसार से सावित्री जिदल, गनौर से देवेंद्र कादियान और बहादुरगढ़ से राजेश जून को जीत मिली है.

टिकट वितरण के बाद दोनों दलों में हुई थी बगावत

चुनाव के दौरान करीब 67 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो पिछले चुनाव के मुकाबले कम था. मुख्य मुकाबले में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस बने हुए हैं.

भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही दलों को टिकट वितरण के बाद अपने नेताओं की बगावत का सामना करना पड़ा था. चुनाव के दौरान मुख्य मुद्दे जवान, किसान और पहलवानों से संबंधित रहे.

कांग्रेस जाट मतदाता के भरोसे सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए हुए थी, इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा को टिकट बंटवारे में खुली छूट दी गई थी. कुल 90 सीटों में से 70 से अधिक टिकट उनके समर्थकों को बांटे गए. कांग्रेस का यह फैसला कितना सही रहा, इसे परिणाम के आंकड़ों से समझ सकते हैं. हुड्डा को मिलती अधिक तवज्जो से नाराज होकर कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा चुनाव के बीच में प्रचार से दूर हो गई थीं.

दूसरी तरफ, चुनाव के दौरान भाजपा का पूरा ध्यान गैर-जाट मतदाता को साधने पर रहा. इसी कड़ी में लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाने के बाद भी पार्टी ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के ही नेतृत्व में चुनाव लड़ा.

ज्ञात हो कि राज्य की सभी 90 सीटों पर एक चरण में 5 अक्टूबर को मतदान संपन्न हुआ था.