संयुक्त राष्ट्र पुरानी कंपनी की तरह; दुनिया से तालमेल नहीं, बस जगह घेरी हुई है: विदेश मंत्री

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दिल्ली में आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि दुनिया में रूस-यूक्रेन और मध्य पूर्व दो बहुत गंभीर संघर्ष चल रहे हैं, ऐसे में संयुक्त राष्ट्र कहां है, वह मूकदर्शक बना हुआ है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर. (फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार (6 अक्टूबर) को संयुक्त राष्ट्र के प्रति आलोचनात्मक रुख अख्तियार करते हुए कहा कि यह वैसी ‘पुरानी कंपनी’ की तरह है, जो बदलते वैश्विक परिदृश्य के साथ पूरी तरह से तालमेल तो नहीं बिठा पा रहा, लेकिन जगह घेरे हुए है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विदेश मंत्री ने दिल्ली में आयोजित कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में कहा कि दुनिया में रूस-यूक्रेन और मध्य पूर्व दो बहुत गंभीर संघर्ष चल रहे हैं, ऐसे में संयुक्त राष्ट्र कहां है, वह मूकदर्शक बना हुआ है.

मालूम हो कि विदेश मंत्री जयशंकर ने ‘भारत और विश्व’ विषय पर आयोजित संवादात्मक सत्र में हिस्सा लिया और बदलती वैश्विक परिस्थितियों के बीच भारत की भूमिका और चुनौतियों पर चर्चा की.

जयशंकर ने बदलते वैश्विक परिदृश्य में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में आलोचनात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा कि अब ये संस्था किसी पुरानी कंपनी की तरह है, जो पूरी तरह से बाजार के साथ नहीं चल रही है, लेकिन जगह घेर रही है.

जयशंकर ने आगे कहा, ‘आज आपके पास एक संयुक्त राष्ट्र है, लेकिन इसकी कार्यप्रणाली अपर्याप्त है, बावजूद इसके यह अब भी एकमात्र सर्वमान्य बहुपक्षीय मंच है.’

उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र अब प्रमुख मुद्दों पर कदम नहीं उठाता है, तो देश अपने तरीके से रास्ते तलाश कर लेते हैं. इस संदर्भ में भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी), वैश्विक साझा हितों की देखभाल के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्वाड, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) और आपदा-रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) जैसी पहलों का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि ये सभी निकाय संयुक्त राष्ट्र के ढांचे से बाहर हैं.

जयशंकर ने बताया, ‘आज संयुक्त राष्ट्र बना हुआ है, लेकिन तेजी से गैर-संयुक्त राष्ट्र क्षेत्र का विस्तार हो रहा है और मुझे लगता है कि इसका असर संयुक्त राष्ट्र पर पड़ रहा है.’

उल्लेखनीय है कि भारत बदलते समय के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग करता रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, जयशंकर ने अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के संभावित नतीजों पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि अमेरिका ने वास्तव में भू-राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण में ‘बदलाव’ किया है और नवंबर में नतीजे चाहे जो भी हों, आने वाले दिनों में यह रुझान ‘तेज’ होगा.

विदेश मंत्री ने इस दौरान श्रीलंका जैसे अपने पड़ोसियों सहित अन्य देशों की मदद के लिए भारत द्वारा उठाए गए कुछ कदमों का उल्लेख भी किया. इसके साथ ही जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आगामी पाकिस्तान यात्रा के बारे में पूछे जाने पर एक बार फिर अपने पाकिस्तानी समकक्ष के साथ किसी भी द्विपक्षीय वार्ता की संभावना को खारिज कर दिया.

उन्होंने कहा, ‘मैं वहां एक निश्चित काम, एक निश्चित जिम्मेदारी के लिए जा रहा हूं. मैं अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेता हूं. मैं वहां एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए जा रहा हूं, न कि भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा के लिए.’