नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) के तहत भारतीय नागरिक बनने के लिए अब तक कितने लोगों ने आवेदन किया है, कितने लोगों को नागरिकता मिली है और कितने आवेदन लंबित हैं?
द हिंदू ने आरटीआई (सूचना का अधिकार) के माध्यम से जब इन सवालों का जवाब मांगा तो, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि इस बारे में केवल सहज उपलब्ध जानकारी ही प्रदान की जा सकती है.
दूसरे शब्दों में कहें, तो गृह मंत्रालय के पास सीएए के तहत भारतीय नागरिक बनने वालों या बनने के लिए आवेदक करने वालों की जानकारी सहज उपलब्ध नहीं है.
अख़बार के आरटीआई आवेदन के उत्तर में तीन अक्टूबर को भेजे गए जवाब में लिखा है कि ‘आरटीआई अधिनियम, 2005 के तहत आवेदक को जानकारी देने के लिए केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी को सूचना बनाने या संकलित करने की आवश्यकता नहीं है.’
द हिंदू ने अपनी रिपोर्ट में एक अन्य आरटीआई आवेदन को लेकर मिले जवाब के बारे में भी लिखा है. दरअसल, इससे पहले 15 अप्रैल को एक आरटीआई आवेदन के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा था कि उसके पास सीएए के तहत प्राप्त आवेदनों का रिकॉर्ड रखने का प्रावधान नहीं है.
महाराष्ट्र निवासी अजय बोस द्वारा दायर आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा था कि जिस तरह की आपको जानकारी चाहिए, रिकॉर्ड उस तरह से नहीं रखे गए हैं, ‘सीएम के नियमों के तहत नागरिकता के लिए आ रहे आवेदनों का रिकॉर्ड रखने का प्रावधान नहीं है. इसके अलावा, आरटीआई अधिनियम, 2005 के अनुसार, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी को जानकारी बनाने के लिए अधिकृत नहीं किया गया है.’
उल्लेखनीय है कि 2024 के आम चुनावों की घोषणा से कुछ दिन पहले 11 मार्च को गृह मंत्रालय ने सीएए के नियमों को अधिसूचित किया था, जिसके तहत 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित सीएए को लागू करना संभव हो गया.
बता दें कि सीएए 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से छह गैर–मुस्लिम समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता प्रदान करता है.
सीएए के तहत लाभार्थियों की सही संख्या ज्ञात नहीं है. 11 दिसंबर, 2019 को राज्यसभा में कानून पर चर्चा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इस कानून से ‘लाखों–करोड़ों’ लोगों को लाभ होगा.
हालांकि, इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक ने एक संसदीय समिति के समक्ष बताया था कि लगभग 31,000 लोग इस क़ानून के तत्काल लाभार्थी होंगे, ‘हमारे रिकॉर्ड के अनुसार, अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू – 25,447, सिख – 5807, ईसाई – 55, बौद्ध – 2 और पारसी – 2) से संबंधित 31,313 व्यक्ति हैं, जिन्हें उनके संबंधित देशों में धार्मिक उत्पीड़न के दावे के आधार पर दीर्घकालिक वीजा दिया गया है और वे भारतीय नागरिकता चाहते हैं. इसलिए, यही लोग तत्काल लाभार्थी होंगे.’