संयुक्त राष्ट्र महासचिव पर इज़रायल के प्रतिबंध के ख़िलाफ़ लिखे पत्र से भारत ने किनारा किया

इज़रायली विदेश मंत्री द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के उनके देश में आने पर पाबंदी लगाने, निंदा करने के ख़िलाफ़ और गुटेरेस के समर्थन में दुनिया के 104 देशों और अफ्रीकी संघ ने एक पत्र जारी किया है, जिस पर भारत ने दस्तख़त नहीं किए हैं.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस. (फोटो साभार: Flickr, CC BY 2.0)

नई दिल्ली: इज़रायल ने ईरान हमले के बाद हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस पर पक्षपाती होने का आरोप लगाते हुए उन्हें ‘अवांछित (persona non grata) व्यक्ति’ घोषित कर दिया था. इज़रायल ने उनके अपने देश में प्रवेश पर भी प्रतिबंध तक लगा दिया था. अब इज़रायल के इस कदम की कई देशों ने आलोचना की है.

रिपोर्ट के मुताबिक, एंटोनियो गुटेरेस के समर्थन में 104 देशों और अफ्रीकी संघ ने एक पत्र जारी किया है, जिस पर भारत ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं. इस पत्र में संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुटेरेस को अवांछित व्यक्ति घोषित करने के लिए इजरायल की निंदा की गई है.

मालूम हो कि इस महीने की शुरुआत में इज़रायली विदेश मंत्री इज़रायल काट्ज़ ने कहा था कि गुटेरेस द्वारा आतंकवादी संगठनों की निंदा न करना और उनका समर्थन न करना संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता को धूमिल करता है. जो कोई भी स्पष्ट रूप से ईरान द्वारा इज़रायल पर किए गए जघन्य हमले की निंदा नहीं कर सकता, वह इज़रायल की धरती पर कदम रखने का हकदार नहीं है.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि गुटेरेस ने पिछले साल 7 अक्टूबर को इज़रायल पर हमास के हमले की निंदा नहीं की या उन्हें आतंकवादी संगठन घोषित करने के किसी भी प्रयास का नेतृत्व नहीं किया.

इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में गुटेरेस ने बताया था कि उन्होंने हमेशा इज़रायल पर ईरान के मिसाइल हमले की कड़ी निंदा की है.

यूएनएससी सदस्यों द्वारा गुटेरेस के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करने के बाद महासचिव के प्रवक्ता ने कहा कि वे इस प्रतिबंध को ‘इज़रायली विदेश मंत्री द्वारा दिए राजनीतिक बयान‘ के रूप में देखते हैं.

गुटेरेस के समर्थन में दक्षिण अमेरिकी देश चिली ने एक पत्र के जरिये संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से हस्ताक्षर करने की पहल की थी.

इस पत्र में कहा गया है, ‘हम इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले सदस्य देश, इजरायल के विदेश मंत्री के हालिया बयान पर अपनी गहरी चिंता और निंदा व्यक्त करते हैं, जिसमें महासचिव को अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया है. इस तरह की कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र के काम को कमजोर करती है, जिसमें संघर्षों में मध्यस्थता करना और मानवीय सहायता देना शामिल है.’

गुटेरेस के ‘पूर्ण समर्थन और उनके विश्वास’ की पुष्टि करते हुए इस  पत्र में कहा गया है, ‘हमें शांति और सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने और मध्य-पूर्व की स्थिति के संबंध में प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के साथ जोड़ने पर पूरा भरोसा है.’

ज्ञात हो कि बीते शुक्रवार (11 अक्टूबर) को जारी हस्ताक्षरकर्ता देशों की अंतिम सूची में 104 देश और 55 सदस्यीय अफ्रीकी संघ शामिल थे. संयुक्त राष्ट्र अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने इस पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए थे. इस पत्र से भारत की अनुपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय थी, क्योंकि भारत ने हमेशा संयुक्त राष्ट्र को महत्वपूर्ण महत्व दिया है.

इस संबंध में सवाल पूछे जाने पर आधिकारिक सूत्रों ने इज़रायली कार्रवाई पर भारत की पिछली प्रतिक्रिया का हवाला दिया.

मीडिया ब्रीफिंग में 4 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र महासचिव के संबंध में सवाल पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि एंटोनियो गुटेरेस संयुक्त राष्ट्र महासचिव हैं. कोई और इस बारे में क्या कहता है, तीसरा व्यक्ति क्या कहता है, यह हमारा दृष्टिकोण या टिप्पणी का विषय नहीं है.

गौरतलब है कि पिछली बार किसी देश ने संयुक्त राष्ट्र के किसी शीर्ष अधिकारी के खिलाफ ऐसा ही कदम 63 साल पहले उठाया था. जब 1961 में सोवियत संघ ने डैग हैमरशोल्ड को संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख के रूप में मान्यता देने से इनकार कर दिया था. हालांकि, सोवियत संघ ने उन्हें अवांछित व्यक्ति घोषित नहीं किया था.