लखनऊ: दलित व्यक्ति की हिरासत में मौत के मामले में चार पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ एफआईआर

आरोप है कि लखनऊ के विकास नगर में हिरासत में लिए गए व्यक्ति अमन गौतम की पुलिस द्वारा गंभीर पिटाई की गई थी, जिसके चलते उनकी मौत हुई. पुलिस ने इससे इनकार किया है, हालांकि मृतक के परिजनों की शिकायत पर चार पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ केस दर्ज हुआ है.

(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रवर्ती/द वायर)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के विकास नगर से एक दलित व्यक्ति को पुलिस हिरासत में लिए जाने के बाद मौत का मामला सुर्खियों में है. इस संबंध में चार पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई है

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, मृतक अमन गौतम के परिवार ने आरोप लगाया कि हिरासत में पुलिस द्वारा गंभीर पिटाई के चलते उनकी मौत हुई है. हालांकि, पुलिस ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि अमन की मौत दिल का दौरा पड़ने के चलते हुई है.

अखबार के अनुसार, मृतक की पत्नी रोशनी ने अपनी शिकायत में कहा है कि उनके पति अमन शुक्रवार (11 अक्टबूर) की रात विकास नगर के आंबेडकर पार्क में बैठे थे, तभी पुलिस की एक टीम वहां पहुंची और अमन गौतम को अपशब्द कहते हुए पीटना शुरू कर दिया. इस दौरान अमन बेहोश हो गए, तब पुलिस उन्हें अस्पताल ले गई, जहां उनकी मौत हो गई.

रोशनी के आरोपों के मुताबिक हेड कॉन्स्टेबल शैलेन्द्र सिंह उनके पति पर हमले के पीछे मुख्य व्यक्ति थे. उन्होंने अखबार को बताया कि इस मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.

वहीं, इस मामले पर विकास नगर के थाना प्रभारी विपिन सिंह ने अखबार को बताया कि मृतक की पत्नी की शिकायत पर इन चारों पुलिसकर्मियों पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या) और एससी/एसटी एक्ट के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है.

इस घटना से नाराज़ परिवार और अन्य लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया और इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होने तक अमन का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पुलिस का दावा है कि उन्होंने जुआ खेलने की खबर मिलने के बाद छापेमारी के दौरान अमन गौतम समेत दो लोगों को पकड़कर हिरासत में लिया था. थाने ले जाते समय गौतम की हालत बिगड़ गई. उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

शनिवार (12 अक्टूबर) को एक पुलिस बयान में कहा गया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अमन के शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं पाए गए हैं और मौत का कारण दिल का दौरा (कार्डियोजेनिक शॉक) बताया गया है.

विपक्ष ने सवाल उठाए

इस मामले को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं. बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मयावती ने अपनी एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि पुलिस की बर्बरता से हुई ये मौत की घटना दुखद है, जिसे लेकर लोगों में आक्रोश है. सरकार दोषी पुलिस वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करे. इसके साथ ही मायावती ने सरकार से पीड़ित परिवार की मदद करने की मांग भी की है.

वहीं, समाजवादी पार्टी और आजाद समाज पार्टी के नेताओं ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की, जिसके बाद सांसद चंद्रशेखर आजाद ने मृतक के परिजनों के लिए 50 लाख रुपये मुआवजे और दोषियों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की मांग की.

उन्होंने मीडिया से कहा कि उत्तर प्रदेश में दाल महंगी है लेकिन दलितों की जान सस्ती है. जिस पुलिस पर लोगों की रक्षा करने की जिम्मेदारी है, अगर वही लोगों की जान लेने लग जाए, तो पुलिस प्रशासन और कानून व्यवस्था पर कैसे भरोसा किया जाएगा. इसके साथ ही अगर सरकार भी उसी पक्ष में खड़ी हो जाए और चुप्पी साध ले, तो न्याय की उम्मीद कहां की जाए.