जम्मू-कश्मीर: उमर अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली

उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के नए मुख्यमंत्री और जम्मू क्षेत्र के एक प्रमुख चेहरे सुरिंदर कुमार चौधरी ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. शपथ ग्रहण समारोह से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस ने अब्दुल्ला सरकार से बाहर रहकर, समर्थन देने की बात कही थी.

उमर अब्दुल्ला को शपथ दिलाते एलजी मनोज सिन्हा. (फोटो साभार: फेसबुक/@Omar Abdullah)

नई दिल्ली: नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के नए मुख्यमंत्री और जम्मू क्षेत्र के एक प्रमुख चेहरे सुरिंदर कुमार चौधरी ने उपमुख्यमंत्री (डीसीएम) के रूप में बुधवार (16 अक्टूबर) को श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान शपथ ली.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में सतीश शर्मा, सकीना याटू, जाविद डार, सुरिंदर कुमार चौधरी और जाविद राणा सहित कुल पांच विधायकों ने मंत्रिपरिषद के लिए शपथ ली. चौधरी ने जम्मू के नौशेरा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा नेता रविंदर रैना को हराया था.

2009 के बाद मुख्यमंत्री के रूप में अब्दुल्ला का यह दूसरा कार्यकाल है. हालांकि, 2019 में केंद्र द्वारा क्षेत्र के ‘विशेष दर्जे’ को समाप्त होने और एलजी को अधिक अधिकार दिए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले और अपेक्षाकृत कमज़ोर मुख्यमंत्री होंगे.

अब्दुल्ला ने शपथ ग्रहण समारोह से ठीक पहले कहा, ‘मैं छह साल का कार्यकाल पूरा करने वाला अंतिम मुख्यमंत्री था. अब मैं केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का पहला मुख्यमंत्री बनूंगा. आखिरी उपलब्धि, यानी छह साल तक सेवा करने की, मैं इससे काफी खुश हूं. केंद्र शासित प्रदेश का मुख्यमंत्री होना बिल्कुल अलग बात है. इसकी अपनी चुनौतियां हैं. मुझे उम्मीद है कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी होगा.’

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री समेत सिर्फ 10 मंत्री पद हैं. कांग्रेस के छह विधायकों में से किसी ने भी शपथ नहीं ली.

जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने से इनकार करने के विरोध में समारोह से दूरी बनाए रखी. कांग्रेस विधायक दल के नेता गुलाम अहमद मीर ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर के एलजी सिन्हा के समक्ष किसी भी निर्वाचित सदस्य ने शपथ नहीं ली. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल न करने के खिलाफ हमारा विरोध है.’

रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व जम्मू-कश्मीर कांग्रेस प्रमुख मीर ने कहा, ‘हमने यह चुनाव सत्ता के लिए नहीं लड़ा, बल्कि लोगों के हक़ बहाल करने के लिए लड़ा. इस समय मंत्री पद का सवाल अप्रासंगिक है. हमारी प्राथमिकता राज्य का दर्जा बहाल करना है.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि शपथ ग्रहण समारोह से कुछ घंटे पहले कांग्रेस ने सरकार से बाहर रहने और बाहर से समर्थन देने का फैसला किया था.

जेकेपीसीसी प्रमुख कर्रा ने कहा, ‘कांग्रेस फिलहाल जम्मू-कश्मीर में मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं होगी, पार्टी इस बात से नाखुश है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल नहीं किया गया है.’

इस बीच, श्रीनगर में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में भारतीय जनता पार्टी के कई नेता शामिल हुए. शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और प्रियंका गांधी मौजूद थे. इसके अलावा समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और माकपा नेता प्रकाश करात भी मौजूद थे. सांसद कनिमोझी करुणानिधि और सुप्रिया सुले भी समारोह में शामिल हुईं.

मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के एक दशक से अधिक समय बाद हुए तीन चरणों के विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटें जीतीं.

कांग्रेस, जो ‘इंडिया’ ब्लॉक के हिस्से के रूप में एनसी के साथ गठबंधन में थी, ने छह सीटें जीतीं, जबकि सीपीआई (एम), आप और कुछ स्वतंत्र उम्मीदवारों ने भी गठबंधन को अपना समर्थन दिया, जिससे उसे 90 सदस्यों वाले सदन में अच्छा बहुमत मिला.

जम्मू-कश्मीर 2018 से राष्ट्रपति शासन के अधीन था, जब भाजपा ने महबूबा मुफ्ती के साथ गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था.