नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के हसदेव जंगल में गुरुवार को हिंसा भड़क उठी, जब स्थानीय निवासियों ने अधिकारियों को पेड़ काटने से रोकने की कोशिश की और पुलिस ने उन्हें पीछे धकेल दिया. इस झड़प में कई प्रदर्शनकारी और 13 पुलिसकर्मी घायल हो गए, डिप्टी कलेक्टर और एक राजस्व कर्मचारी को भी मामूली चोटें आईं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सरगुजा जिले के फतेहपुर और साली गांवों के पास पेड़ों की कटाई का काम राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को दिए गए परसा कोल ब्लॉक खनन परियोजना के तहत किया जाना था.
हालांकि, वन अधिकारियों ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन सरकारी सूत्रों ने कहा कि छह गांवों के आसपास के इलाकों में करीब 5,000 पेड़ों की कटाई की जानी है.
इन गांवों के निवासी बुधवार रात से ही प्रस्तावित पेड़ कटाई स्थल पर एकत्र हो गए थे, ताकि अधिकारियों को कार्रवाई करने से रोका जा सके. इसके चलते मौके पर करीब 400 पुलिस और वन विभाग के कर्मियों को तैनात किया गया.
पुलिस ने बताया कि स्थानीय लोग लकड़ी के डंडे, तीर और कुल्हाड़ी से लैस थे.
सरगुजा के पुलिस अधीक्षक योगेश पटेल ने इन आरोपों से इनकार किया कि पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करने के बाद हिंसा शुरू हुई. उन्होंने कहा, ‘ग्रामीण हिंसक हो गए और उन्होंने हम पर हमला कर दिया. उन्हें रोकने और तितर-बितर करने के लिए हमने उचित जवाब दिया.’
इनमें से एक पुलिसकर्मी आरक्षक भोलाराम राजवाड़े के पैर में तीर लगने से गहरी चोट आई है. उसे इलाज के लिए रायपुर ले जाया गया.
एसपी ने कहा, ‘हमारी फोर्स मौके पर मौजूद है, लेकिन पेड़ों की कटाई रोक दी गई है.’
हसदेव बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने आरोप लगाया कि फर्जी ग्राम सभाओं की सहमति से सरकार पेड़ों की कटाई कर रही है.
उन्होंने एक्स पर पोस्ट में कहा, ‘यहां की ग्रामसभाओं की भी कोई सहमति नहीं है. जिला कलेक्टर और अडानी कंपनी ने मिलकर ग्रामसभा के फर्जी, कूट रचित प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति हसिल की हैं जिसका खुलासा छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जन जाति आयोग की सुनवाई में हो गया लेकिन रिपोर्ट आने से पहले ही अडानी के एजेंट के रूप में कार्य कर रही विष्णु देव साय सरकार ने भारी पुलिस बल भेजकर जंगलों की कटाई शुरू करवा दी है. महाराष्ट और झारखंड के विशेष रूप से आदिवासी समुदाय के लोगों को छत्तीसगढ़ जैसी गलती करने से बचना चाहिए क्योंकि भाजपा सिर्फ और सिर्फ अडानी की लूट के लिए प्रतिबद्ध सरकार है उसे जनता से कोई लेना देना नहीं है.’
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि परसा खनन परियोजना के कारण 700 लोग विस्थापित होंगे और 840 हेक्टेयर घने जंगल नष्ट हो जाएंगे. वन विभाग की 2009 की जनगणना के अनुसार, लगभग 95,000 पेड़ों को काटे जाने की उम्मीद है.
मालूम हो कि हसदेव अरण्य एक घना जंगल है, जो 1,500 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों का निवास स्थान है. इस घने जंगल के नीचे अनुमानित रूप से पांच अरब टन कोयला दबा है. इलाके में खनन बहुत बड़ा व्यवसाय बन गया है, जिसका स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं.
हसदेव अरण्य जंगल को 2010 में कोयला मंत्रालय एवं पर्यावरण एवं जल मंत्रालय के संयुक्त शोध के आधार पर पूरी तरह से ‘नो गो एरिया’ घोषित किया था. हालांकि, इस फैसले को कुछ महीनों में ही रद्द कर दिया गया था और खनन के पहले चरण को मंजूरी दे दी गई थी. बाद में 2013 में खनन शुरू हो गया था.
मालूम हो कि छत्तीसगढ़ में भाजपा के सत्ता में आते ही पिछले साल दिसबंर में हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा पूर्व और केते बासन (पीईकेबी) दूसरे चरण विस्तार कोयला खदान के लिए पेड़ काटने की कवायद पुलिस सुरक्षा घेरे के बीच बड़े पैमाने पर हुई थी.
स्थानीय प्रशासन ने दावा किया था कि उसके पास पीईकेबी-II में पेड़ काटने के लिए सभी आवश्यक अनुमतियां हैं, जो पीईकेबी-I खदान का विस्तार है.
इससे पहले वन विभाग ने मई 2022 में पीईकेबी चरण-2 कोयला खदान की शुरुआत करने के लिए पेड़ काटने की कवायद शुरू की थी, जिसका स्थानीय ग्रामीणों ने कड़ा विरोध किया था. बाद में इस कार्रवाई को रोक दिया गया था.
विपक्ष ने घटना की निंदा की
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस घटना को लेकर छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार पर निशाना साधा.
उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘हसदेव अरण्य में पुलिस बल के हिंसक प्रयोग के जरिये आदिवासियों के जंगल और जमीन को जबरन हड़पने का प्रयास आदिवासियों के मौलिक अधिकारों का हनन है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के दौरान हसदेव जंगल को न काटने का प्रस्ताव विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया था- ‘सर्वसम्मति’ का मतलब विपक्ष यानी भाजपा की संयुक्त सहमति है. लेकिन, सरकार में आते ही उन्हें न तो यह प्रस्ताव याद आया और न ही हसदेव के इन मूल निवासियों की दुर्दशा और अधिकार.’
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी विरोध कर रहे स्थानीय निवासियों के समर्थन में सामने आईं. उन्होंने कहा, ‘आदिवासी, जो सदियों से जंगलों के मालिक रहे हैं, उन्हें बेदखल किया जा रहा है ताकि अडानी जी की खदानें चल सकें.’
वहीं, राजस्थान कांग्रेस के नेता सचिन पायलट ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ों को काटने के लिए राज्य की भाजपा सरकार आदिवासियों को बेदखल करने के लिए लगातार प्रयासरत है.
उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘जल-जंगल-जमीन के मूल रक्षक होने के नाते आदिवासी समाज को संविधान से भी मौलिक अधिकार प्राप्त हुए हैं. आज जिस तरीके से लाठी का प्रयोग कर भाजपा ने इनके अधिकारों का हनन किया है उससे भाजपा का दौहरा चेहरा उजागर हो गया है. पेड़ नहीं काटने के गंभीर विषय पर राज्य की विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव का आज भाजपा ने हनन किया है. प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं – पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए भाजपा आमदा है.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह अत्यंत निंदनीय है. भाजपा सरकारें लगातार आदिवासियों पर दमन कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन के इस दौर में आदिवासी जहां पर्यावरण को बचाने के लिए पूरी मजबूती से लड़ रहे हैं – वहीं भाजपा लगातार हमें बर्बादी की ओर धकेल रही है. बिना जल, जंगल, ज़मीन की रक्षा किए हम आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित नहीं रख पाएंगे.’
वरिष्ठ भाजपा नेता संजय श्रीवास्तव ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि सरकार लोगों की सहमति से ही आगे बढ़ेगी. उन्होंने कहा, ‘भाजपा सरकार का रुख बिल्कुल साफ है. वहां के लोगों को उचित प्रावधान मिलना चाहिए ताकि उन्हें किसी तरह का नुकसान न हो। सरकार इस पर ध्यान देगी.’