एसकेएम का ऐलान- झारखंड और महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा के ख़िलाफ़ प्रचार करेंगे किसान संगठन

संयुक्त किसान मोर्चा केंद्र को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह एमएस स्वामीनाथन समिति अनुसार वैध एमएसपी को लागू करने के लिए सरकार को तीन महीने का समय दे रहा है. साथ ही उसने कहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में किसान संगठन भाजपा के ख़िलाफ़ अभियान चलाएंगे.

(फाइल फोटो साभार: X/@KisanSabha)

नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और सेंट्रल ट्रेड यूनियन (सीटीयू) की राज्य स्तरीय समन्वय समितियां 7 नवंबर से 25 नवंबर तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ संयुक्त बैठकें बुलाएंगी और अभियान चलाएंगी.

द हिंदू की खबर के मुताबिक, बुधवार (16 अक्टूबर, 2024) को संयुक्त किसान मोर्चा की आम बैठक हुई, जिसके बाद संगठन ने कई घोषणाएं की. एसकेएम ने केंद्र को चेतावनी देते हुए एमएस स्वामीनाथन समिति के फॉर्मूले के तहत किसानों के लिए वैध न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागू करने के लिए सरकार को तीन महीने का समय देने का फैसला किया है.

इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ महाराष्ट्र और झारखंड के किसानों के बीच अभियान चलाने का भी निर्णय लिया गया. एसकेएम और सीटीयू का कहना है कि ये विरोध किसानों और मजदूरों के बीच उनकी मांगों को चर्चित बनाने के लिए है.

इस कार्यक्रम के तहत 26 नवंबर को देशभर के 500 जिलों में मजदूरों, कृषि श्रमिकों और किसानों के साथ संयुक्त रूप से एक चेतावनी रैली निकाली जाएगी. बताया गया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में एसकेएम ‘भाजपा को बेनकाब करो, विरोध करो और सज़ा दो’ के नारे के साथ महाराष्ट्र और झारखंड के किसानों के बीच अभियान चलाया जाएगा.

मालूम हो कि एसकेएम कर्जा माफी, बिजली के निजीकरण को समाप्त करने और प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की मांग कर रहा है. इसके साथ ही संगठन व्यापक फसल बीमा योजना, पेंशन के रूप में 10,000 रुपये प्रति माह और ‘कॉरपोरेट घरानों द्वारा भूमि पर कब्जे’ को भी खत्म करने की भी मांग कर रहा है.

गुरुवार को एसकेएम द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक सहित अन्य लद्दाखी कार्यकर्ताओं के एकजुटता दिखाई गई है.

मालूम हो कि सोनम वांगचुक बीते लंबे समय से लद्दाख को राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची के विस्तार और लेह तथा करगिल ज़िलों की अलग लोकसभा सीटों समेत विभिन्न मांगों को लेकर संघर्षरत हैं. उनकी पदयात्रा इस महीने की शुरुआत में दिल्ली भी पहुंची थी, जिसके बाद वांगचुक और समर्थकों का हिरासत से लेकर उपवास तक का संघर्ष जारी है.

एसकेएम की इस आम बैठक में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए चारों विवादित लेबर कोड को निरस्त करने, प्रति माह 26,000 रुपये का राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन लागू करने, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के निजीकरण को रोकने और राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन को खत्म करने की सीटीयू की मांगों का भी समर्थन किया गया.

बैठक के बाद एसकेएम ने कहा कि संयुक्त मांग चार्टर जिला कलेक्टरों के माध्यम से प्रधानमंत्री को सौंपा जाएगा.