देवरिया: देवरिया में दो स्थानों पर बाईपास के लिए अधिग्रहीत की जा रही करीब 100 हेक्टेयर भूमि के मुआवजे के सवाल को लेकर किसानों का आंदोलन तेज होता जा रहा है. किसान आरोप लगा रहे हैं कि भूमि अधिग्रहण कानून का उल्लंघन करते हुए मुआवजे का मनमाना निर्धारण हुआ है. किसानों की जिला प्रशासन से कई दौर की वार्ता विफल हो गई है.
जिला प्रशासन ने किसानों के मांग के अनुरूप मुआवजा बढ़ाने से इनकार कर दिया है. अब किसानों के आंदोलन से राजनीतिक दल भी जुड़ते जा रहे हैं.
देवरिया जिले में वर्ष 2018 में देवरिया बाईपास और 2023 में सलेमपुर-नवलपुर बाईपास बनाने का निर्णय लिया गया. केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 12 जून 2023 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ देवरिया में एक कार्यक्रम में देवरिया बाईपस व सलेमपुर-नवलपुर बाईपास के साथ तीन राजमार्गों नवलपुर-सिकंदरपुर, तमकुही-सलेमपुर और सलेमपुर-मैरवा के चौड़ीकरण कार्य का शिलान्यास किया.
देवरिया बाईपास, सलेमपुर-नवलपुर बाईपास और तीनों राजमार्गों के लिए धारा 3ए का प्रकाशन करते हुए आपत्तियां मांगी गईं और फिर 3बी और 3 डी का प्रकाशन करते हुए अधिग्रहण की अंतिम अधिसूचना जारी कर दी गई.
अधिसूचना के अनुसार देवरिया बाईपास के लिए 27 गांवों की 27.522 हेक्टेयर भूमि तथा सलेमपुर-नवलपुर बाईपास के लिए 17 गांवों की 69.2889 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है. इसके अलावा नवलपुर-सिकंदरपुर राजमार्ग के लिए 31 गांवों की 96.50 हेक्टेयर, तमकुहीराज-सलेमपुर राजमार्ग के लिए 8 गांवों की 0.827 हेक्टेयर और सलेमपुर-मैरवा राजमार्ग के चौड़ीकरण के लिए 16 गांवों की 3.3327 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की गई है.
देवरिया में जमीन का डीएम सर्किल रेट 2019-20 में निर्धारित किया गया था. उसके बाद अब 2024 में सर्किल रेट फिर से निर्धारित किया गया है लेकिन दोनों बाईपास के लिए किसानों के भूमि अधिग्रहण का मुआवजा 2019-20 के ही सर्किल रेट पर किया जा रहा है. किसानों को इस पर भी आपत्ति है और उनकी मांग है कि जब सर्किल रेट संशोधित हो चुका है तो नए सर्किल रेट के मुताबिक ही मुआवजे का निर्धारण होना चाहिए.
किसानों की सबसे बड़ी आपत्ति इस बात पर है कि मुआवजे के लिए इकाई गाटे को बनाया गया है. एक गाटे में कई किसानों की भूमि होती है. गाटे को इकाई मानते हुए मुआवजे का निर्धारण इस प्रकार किया गया है कि 101 एयर (एक हेक्टेयर में 1000 एयर होता है, यानी 101 एयर बराबर 0.101 हेक्टेयर) तक भूमि का ग्रामीण क्षेत्र में चार गुना और नगरीय क्षेत्र में दो गुना मुआवजा दिया जा रहा है, लेकिन 101 एयर के बाद मुआवजे में एक तिहाई (67 फीसदी) की कटौती कर ली जा रही है.
देवरिया बाईपास
देवरिया बाईपास, गोरखपुर-देवरिया रोड पर बैतालपुर के पास सिरजम गांव से उत्तर के 27 गांवों से होते हुए मुंडेरा के पास सलेमपुर रोड में मिल जाएगा. भूमि बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अजीत त्रिपाठी के अनुसार देवरिया बायपास से प्रभावित गांवों में इस समय कृषि भूमि की बाजार कीमत 25 से 50 लाख कट्ठा (30 कट्ठा का एक एकड़ होता है) चल रहा है. सड़क के किनारे की जमीन की कीमत ज्यादा है.
त्रिपाठी ने बताया कि देवरिया बाईपास से लिए भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने के बाद 23 अप्रैल, 2023 को भूमि बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया गया. उन्होंने बताया कि अधिग्रहण से 37 मकान भी प्रभावित हो रहे हैं. मुंडेरा में चार, देवरिया मीर में तीन, चकरवा धूस में एक मकान अधिग्रहण के दायरे में है. उनका आरोप है कि किसानों की आपत्तियों का निस्तारण किए बिना मुआवजा निर्धारित कर दिया गया.
उन्होंने कहा कि ड्रोन से सर्वे कर अधिग्रहीत भूमि की स्थिति बताते हुए मुआवजा निर्धारित किया गया है जबकि मौके पर जाकर सर्वे किया जाना चाहिए. अधिग्रहीत भूमि की 1980 में चकबंदी हो चुकी है और चक मार्ग, चक नाली, रास्ता आदि भू अभिलेख में दर्ज हो गया है. ऐसे में मुआवजे का निर्धारण में इन स्थितियों का अनदेखा कर दिया गया है.
त्रिपाठी के अनुसार, अधिग्रहीत की जा रही भूमि बहु-फसली है जिसमें धान-गेहूं, मक्का के अलावा आलू व सब्जियों की भी खेती होती है. उन्होंने बताया कि उनकी 31 कट्ठा भूमि अधिग्रहीत हो रही है. सरकार जिस हिसाब से मुआवजा दे रही है उसके अनुसार उन्हें केवल डेढ़ करोड़ मुआवजा मिलेगा जबकि बाजार भाव से जमीन की कीमत करीब आठ करोड़ रुपये है.
पत्रकार धनंजय मणि बैतालपुर के पास बरारी गांव के रहने वाले हैं. उनके गांव में किसानों की 5.7663 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की गई है. मणि ने बताया कि उनके परिवार की 28 कट्ठा जमीन अधिग्रहित हो रही है. उनके अनुसार, इस जमीन की बाजार कीमत छह से सात करोड़ है लेकिन सरकार उन्हें अधिकतम डेढ़ करोड़ रुपये ही मुआवजा दे रही है.
नवलपुर बाईपास
किसान संघर्ष समिति से जुड़े मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सतीश कुमार ने द वायर हिंदी को बताया कि नवलपुर बाईपास से छह हजार किसान प्रभावित हैं. उनका कहना है कि अधिग्रहण से प्रभावित तमाम गांवों को अर्धनगरीय बता कर उनका मुआवजा शहरी दर के अनुसार दोगुना ही दिया जा रहा है. यह भूमि अधिग्रहण कानून का उल्लंघन है.
सलेमपुर-नवलपुर बाईपास से प्रभावित किसानों ने 28 अगस्त को किसान संघर्ष समिति का गठन कर उसकी अगुवाई में आंदोलन शुरू किया.
किसान संघर्ष समिति ने गांवों में बैठक करने के बाद दो सितंबर से छह सितंबर तक धनौती ढाले पर धरना आयोजित किया. इसके बाद सात सितंबर को सलेमपुर आ रही डीएम का घेराव करने की घोषणा की लेकिन एसडीएम सलेमपुर से बातचीत के बाद घेराव कार्यक्रम स्थगित करते हुए डीएम से बातचीत की गई. डीएम ने किसानों की मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया.
सतीश कुमार ने कहा कि हमने डीएम से यह भी कहा कि वे गांवों में कैंप लगाकर खतौनी में किसानों का अंश निर्धारण करा दें और कैंप में ही आवश्यक औपचारिकताएं पूरा करें जिससे किसानों को इधर-उधर दौड़ना न पड़े और वे शोषण के शिकार न हो. उन्होंने बताया कि गाटा को इकाई मानकर मुआवजा निर्धारित किए जाने से किसान परिवारों में विवाद उत्पन्न होंगे.
किसानों की मांग
किसान संगठनों की सबसे प्रमुख मांग है कि गाटा को एक यूनिट न मानकर हिस्सा प्रमाण-पत्र के अनुसार किसान के अंश को एक यूनिट माना जाए और उसी पर मुआवजा का निर्धारण किया जाए. दूसरा यह कि 101 एअर से अधिक रकबे पर एक तिहाई यानी 67 प्रतिशत की कटौती भूमि अधिग्रहण अधिनियम एवं एचएच एक्ट के विपरीत है. यह नहीं होनी चाहिए.
किसान संगठनों का कहना है कि अर्धनगरीय शब्द का प्रयोग किसानों के साथ छलावा है. अधिग्रहीत भूमि या तो ग्रामीण है या शहरी. प्रशासन ग्रामीण कस्बों को अर्धनगरीय मानते हुए सर्किल रेट का दो गुना मुआवजा ही दे रहा है जो कि गलत है. भूमि अधिग्रहण के लिए जारी अधिसूचना में भी ग्राम शब्द का उपयोग किया गया है फिर यह वर्गीकरण क्यों किया जा रहा है? इससे किसानों को बहुत नुकसान हो रहा है.
किसान संगठनों का एतराज इस बात पर भी है कि मुआवजा का निर्धारण बाजार मूल्य के बजाय सर्किल रेट से किया जा रहा है जबकि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में कहा गया है कि बाजार मूल्य या सर्किल रेट में जो अधिक होगा, उसे ही मुआवजे का आधार माना जाएगा.
किसानों का यह भी कहना है कि मुआवजे के निर्धारण में सड़क, चक मार्ग पर स्थित भूमि का मुआवजा भी अन्य स्थानों पर स्थिति भूमि की भांति ही दिया जा रहा है जो गलत है. प्रशासन को स्थलीय निरीक्षण कर भूमि की प्रकृति के अनुसार मुआवजा निर्धारित करना चाहिए.
किसान संगठनों ने यह सवाल भी उठाया है कि भूमि अधिग्रहण से प्रभावित कई ग्राम पंचायतें अधिसूचना जारी होने के वक्त ग्राम पंचायत ही थीं लेकिन बाद में उन्हें नगर पंचायत या नगर पालिका में शामिल कर लिया गया. इन ग्राम पंचायतों की जमीन का मुआवजा सर्किल रेट से दो गुना तय किया जा रहा है जबकि उसका मुआवजा चार गुना मिलना चाहिए. मांग पत्र में यह भी कहा गया है कि आवासीय व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का सर्वे कर उनका मुआवजा अलग से निर्धारित किया जाना चाहिए.
जिला प्रशासन का तर्क
प्रशासन का कहना है कि वर्तमान समय में एक गाटा को एक यूनिट मानकर ही पर मुआवजा भुगतान की कार्रवाई की जा रही है. इसी तरह अर्धनगरीय ग्रामों में अर्धनगरीय क्षेत्र की दरों के आधार पर शहरी मानते हुए दोगुना तथा ग्रामीण ग्रामों में ग्रामीण क्षेत्र की दरों के आधार पर ग्रामीण मानते हुए चार गुना मुआवजा का अभिनिर्णय घोषित किया गया है.
किसान संगठनों ने देवरिया में जिलाधिकारी कार्यालय पर 20 अगस्त को महापंचायत कर अपनी मांगों को उठाया.
इसके बाद जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने किसान संगठनों द्वारा दिए गए ज्ञापन विचार करते हुए 12 सितंबर को लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को किसानों की मांगों का उल्लेख करते हुए मार्गदर्शन मांगा.
इसी बीच 23 सितंबर को किसान संगठनों ने देवरिया में जोरदार प्रदर्शन किया और अपनी मांग को पूरा करने की आवाज उठायी. उसी दिन जिलाधिकारी दिव्या मित्तल से किसान नेताओं से वार्ता हुई, जिसमें डीएम ने कहा कि उन्होंने शासन को किसानों की मांग को अवगत कराया है. उन्होंने 15 दिन में इस बारे में शासन के निर्णय की जानकारी देने की बात कही.
किसानों की मांग के अनुसार मुआवजा देने पर देवरिया में बाईपास व फोर लेन की सभी छह परियोजनाओं के लिए 1200-1300 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे. सड़क परिवहन मंत्रालय को इतना मुआवजा देना मंजूर नहीं है.
प्रशासन के साथ बैठक असफल होने के बाद किसान संगठनों ने 13 अक्टूबर को देवरिया के टाउनहॉल में बैठक की, जिसमें 22 अक्टूबर से अनशन और धरने का ऐलान किया गया.
समाजवादी पार्टी भी किसानों के आंदोलन में कूद पड़ी है. सपा के जिलाध्यक्ष व्यास यादव ने 17 अक्टूबर ऐलान किया कि 25 अक्टूबर तक किसानों की मांग नहीं मानी गई तो 28 अक्टूबर को जिला मुख्यालय पर धरना दिया जाएगा.
(लेखक गोरखपुर न्यूज़लाइन वेबसाइट के संपादक हैं.)