नई दिल्ली: दरवाज़ा बाहर से बंद था. कोई नेमप्लेट नहीं थी. घंटी बजाने पर कोई जवाब नहीं मिला. पास में एक बच्चे की साइकिल खड़ी थी, जो स्पष्ट रूप से पड़ोसी की थी.
विकास यादव का अंतिम ज्ञात आधिकारिक पता राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के एंड्रयूज गंज एक्सटेंशन स्थित सरकारी आवास परिसर का पहली मंजिल का एक फ्लैट है, जो ऐसा आभास देता है कि वहां अब कोई नहीं रहता.
ज्ञात हो कि शुक्रवार (18 अक्टूबर) को अमेरिकी न्याय विभाग ने विकास यादव को एक भारतीय सरकारी अधिकारी बताते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने भारत द्वारा प्रतिबंधित खालिस्तान समर्थक अमेरिकी संगठन सिख फॉर जस्टिस के वकील गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रची थी.
उन्हें सीआरपीएफ का एक अधिकारी बताया गया जो वर्तमान में प्रधानमंत्री कार्यालय में कैबिनेट सचिवालय में कार्यरत हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह अब भारत सरकार के अधिकारी नहीं हैं.
संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने भी एक ‘वॉन्टेड नोटिस’ जारी किया है, जिसमें यादव का जन्म स्थान हरियाणा के प्राणपुरा को बताया गया है और उनकी जन्मतिथि 11 दिसंबर 1984 बताई गई है.
यादव के बताए पते पर कोई गार्ड नहीं
जब द वायर ने विकास यादव द्वारा बताए गए उसके पते पर स्थित फ्लैट का दौरा किया तो वहां इसकी मौजूदगी का ऐसा कोई निशान नहीं मिला – न तो कोई सुरक्षाकर्मी मौजूद था और न ही सुरक्षा संबंधी कोई अवरोध.
द वायर को बताया गया कि आखिरी बार किसी ने यादव को दिसंबर 2023 में फ्लैट पर देखा था. वह तीन साल पहले से वहां रहा रहे थे लेकिन ‘यहां (पड़ोस में) किसी से बातचीत नहीं करते थे.’ पड़ोसियों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि वह कहां काम करते थे, सिवाय इसके कि वह एक सरकारी अधिकारी जरूर थे.
उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान उनकी फ्लाइट अटेंडेंट पत्नी के वापस लौटने से पहले तक वह अकेले ही रहते थे. उनके पास कुछ बिल्लियां भी थीं, जिन्हें अक्सर पड़ोसी खाना खिला देते थे – यह एकमात्र समय होता था जब यादव के साथ उनकी बातचीत हो जाती थी.
पड़ोसियों ने याद करते हुए बताया कि दिसंबर 2023 में उनके चले जाने के कुछ समय बाद कुछ ‘सरकारी लोग’ यादव के घर आए थे और उसकी तलाशी ली. बाद में, जनवरी में भी कुछ लोग घर की जांच करने आए. तब से, दक्षिणी दिल्ली स्थित यह छोटा सा फ्लैट खाली पड़ा है, जिसे अभी तक किसी किसी अन्य सरकारी अधिकारी को आवंटित नहीं किया गया है.
अमेरिका ने 29 नवंबर 2023 को पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में अपना पहला अभियोग पत्र जारी किया था. यह अभियोग एक चौंकाने वाली घोषणा के रूप में सामने आया क्योंकि इसे भारत द्वारा कनाडा के उस दावे को खारिज करने के मात्र 10 सप्ताह बाद जारी किया गया था, जिसमें कनाडा ने कहा था कि सरे गुरुद्वारे के बाहर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकारी अधिकारियों के शामिल होने के ‘विश्वसनीय आरोप’ हैं.
नवंबर 2023 के अभियोग पत्र में स्पष्ट रूप से संकेत दिया गया था कि निखिल गुप्ता और अनाम भारतीय सरकारी अधिकारी से जुड़ी साजिश कनाडा तक फैली हुई थी.
कैट और ट्रूडो के दावों के बाद यादव की नियुक्ति की पुष्टि
जिस दिन अमेरिकी न्याय विभाग ने 2023 में अभियोग को सार्वजनिक रूप से जारी किया, उसी दिन दिल्ली में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की मुख्य पीठ ने ‘विकास यादव बनाम कैबिनेट सचिवालय और अन्य’ का निपटारा किया.
यादव के वकील ने कैबिनेट सचिवालय में सुरक्षा महानिदेशालय के साथ उनकी परिवीक्षा (प्रोबेशन) की पुष्टि के संबंध में 5 दिसंबर 2022 को कैट में मामला दायर किया था. कैट ने 30 जनवरी 2023 को एक नोटिस जारी किया था.
पिछले साल सितंबर की शुरुआत तक के महीनों में, पांच बार सुनवाई निर्धारित की गई थी लेकिन सरकारी वकील द्वारा जवाब दाखिल करने में विफलता के कारण कम से कम चार बार स्थगित कर दी गई.
न्यायालय के अभिलेखों से पता चलता है कि जवाब 26 सितंबर 2023 को दाखिल किया गया था. 6 अक्टूबर को अगली सुनवाई में, सरकारी वकील ने कहा कि जवाब दाखिल कर दिया गया है तथा पीठ ने मामले को ‘आगे के आदेशों के लिए’ 29 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया है.
मामले का निपटारा करते हुए पीठ ने पाया कि यादव के वकील ने 9 अक्टूबर 2023 को जारी एक कार्यालयीन आदेश रिकॉर्ड पर रखा यादव के वकील ने 9 अक्टूबर, 2023 को जारी एक कार्यालय आदेश रिकॉर्ड में रखा, जिसमें ‘आवेदक के संबंध में 13.11.2015 से डीजी (एस) के कार्यकारी कैडर में एसएफओ (जीडी) के पद पर परिवीक्षा और पुष्टि के सफल समापन के लिए सरकार की स्वीकृति की बात थी.’
इसमें यह भी कहा गया था, ‘आवेदक के वकील ने प्रस्तुत किया है कि दिनांक 09.10.2023 के कार्यालयीन आदेश के आलोक में, आवेदक की शिकायतों का निवारण हो गया है.’
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा विस्फोटक दावे किए जाने के ठीक तीन सप्ताह बाद यादव की परिवीक्षा सफलतापूर्वक पूरी होने की पुष्टि करने वाला कार्यालय आदेश जारी किया गया था.
कैट की सुनवाई में यादव का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अश्विन निश्चल ने द वायर को बताया कि उन्हें बाद में यादव से पता चला कि वह कैबिनेट सचिवालय में अपनी नौकरी छोड़ रहे हैं और कोई दूसरा कार्यभार संभाल रहे हैं. लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें यादव के वर्तमान ठिकाने या कार्यभार के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
अमेरिकी अभियोग में निखिल गुप्ता का नाम आने और सीआरपीएफ तथा रॉ के एक अनाम सरकारी अधिकारी का उल्लेख होने, और कैबिनेट सचिवालय में यादव की नियुक्ति की पुष्टि करने वाले कैट के आदेश के तीन सप्ताह से भी कम समय बाद, 18 दिसंबर को यादव को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी की खबर सबसे पहले 19 अक्टूबर को इंडियन एक्सप्रेस ने दी थी.
अखबार ने दिल्ली पुलिस की एफआईआर के हवाले से बताया है कि यादव ने 11 दिसंबर को रोहिणी के एक निवासी का अपहरण किया और उससे जबरन वसूली करने का प्रयास किया. कथित तौर पर चार महीने जेल में बिताने के बाद उन्हें अप्रैल में जमानत पर रिहा कर दिया गया. उसके बाद से उनका कोई पता-ठिकाना नहीं है.
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