नई दिल्ली: पत्रकार गौरी लंकेश की 2017 में हुई हत्या के आरोपियों में से एक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना में शामिल हो गया है.
2018 में लंकेश की हत्या की साजिश में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किए गए श्रीकांत पंगारकर शुक्रवार (19 अक्टूबर) को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शिवसेना में शामिल हो गए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने ही कर्नाटक हाईकोर्ट से उन्हें जमानत मिली थी.
पंगारकर 2001 से 2006 के बीच जालना में अविभाजित शिवसेना के नगर निगम पार्षद थे. उन्होंने 2011 में पार्टी छोड़ दी थी और हिंदू जनजागृति समिति में शामिल हो गए थे.
पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर की मौजूदगी में पंगारकर शिवसेना में शामिल हुए. इस मौके पर खोतकर ने कहा, ‘पंगारकर पूर्व शिवसैनिक हैं और पार्टी में वापस आ गए हैं. उन्हें जालना विधानसभा चुनाव अभियान की जिम्मेदारी दी गई है… वह पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. उन्हें अदालत ने रिहा कर दिया है और न्यायिक कार्यवाही होने के बाद वह जेल से बाहर आ गए हैं.’
पंगारकर 2018 के नालासोपारा हथियार बरामदगी मामले में भी आरोपी हैं, जहां यह आरोप लगाया गया था कि दिसंबर 2017 में आयोजित सनबर्न संगीत समारोह को बाधित करने की साजिश रची गई थी क्योंकि आरोपियों को लगा कि यह हिंदू संस्कृति के खिलाफ है. इस उद्देश्य के लिए पिस्तौल, एयरगन और पेट्रोल बम खरीदे गए थे.
गौरी लंकेश हत्याकांड में पंगारकर पर हथियारों की व्यवस्था करने और प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने का आरोप है.
इस बीच, पंगारकार को पार्टी में लाने और चुनाव अभियान की जिम्मेदारी देने को लेकर चौतरफा आलोचना झेल रही शिवसेना बैकफुट पर आ गई है. द टेलीग्राफ के मुताबिक, शिवसेना ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि अगर पंगारकर को जालना जिले में पार्टी का कोई पद दिया गया है तो उस फैसले को रोका जाता है.
हाल ही में, कर्नाटक में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के आरोपी दो लोगों को जमानत मिलने के बाद हिंदुत्व समूहों द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया था.
अपनी तीखी लेखनी और साहसिक विचारों के कारण कर्नाटक में पाठकों के बीच मशहूर जानी-मानी पत्रकार और संपादक लंकेश की 5 सितंबर, 2017 को देर रात बेंगलुरु स्थित उनके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
वह साप्ताहिक पत्रिका ‘लंकेश पत्रिका’ की संपादक थीं. इस पत्रिका की पहचान सत्ता-विरोधी पत्रिका के रूप में थी. गौरी लंकेश कर्नाटक में संघ परिवार की सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ अपने विचारों के चलते निशाने पर रहती थीं.
उनकी हत्या के मामले में आरोपपत्र में कहा गया था कि यह हत्या एक ‘संगठित अपराध’ था, जिसे चरमपंथी दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी संगठन सनातन संस्था से जुड़े लोगों द्वारा अंजाम दिया गया था.