मिड डे मील योजना में बच्चों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य बनाने के केंद्र सरकार के कदम को रोज़ी रोटी अधिकार अभियान नाम के संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया है.
संगठन के मुताबिक, यह केवल लोगों को उनके बच्चों का आधार योजना में नामांकन के लिए मजबूर करने की कोशिश के अलावा और कुछ भी नहीं है. संगठन ने सरकार के इस कदम को मिड डे मील योजना जैसी कल्याणकारी योजनाओं में बाधक बताया है.
संगठन ने कहा है कि मिड डे मील भारतीय बच्चों का एक महत्वपूर्ण अधिकार है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत क़ानूनी तौर पर और साथ ही साथ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लागू किया गया है.
सरकार का यह फरमान सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन भी है. सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि आधार कार्ड लोगों को मिलने वाली किसी भी सेवा के लिए अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता.
संगठन के अनुसार, अध्ययनों से पता चलता है कि भारत में मिड डे मील ने स्कूलों में बच्चों की मौज़ूदगी दर्ज कराने में, बच्चों के बेहतर पोषण और अधिक प्रभावी शिक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. मिड डे मील विविध पृष्ठभूमि के बच्चों को भोजन बांटने की आदत बनाकर वर्ग और जाति जैसी बाधाओं को तोड़ने में भी मदद करता है.
कई योजनाओं में आधार को अनिवार्य बनाने के केंद्र सरकार के कदम पर भी संगठन ने सवाल उठाए हैं. संगठन के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों के दौरान कल्याणकारी योजनाओं को अधिक प्रभावी बनाने की आड़ में आधार कार्ड अनिवार्य बना दिया गया है. जबकि वास्तव में, इसने गंभीर अवरोधों के लिए प्रेरित किया है. जैसे- आधार के बिना बुज़ुर्ग पेंशन की सूची से हटा दिए गए हैं. मनरेगा श्रमिकों को आधार में हुई छोटी–छोटी गलतियों के कारण उनकी मज़दूरी से इनकार किया जा रहा है और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत कार्ड धारकों को बॉयोमेट्रिक प्रमाणीकरण में तकनीकी खामियों के कारण खाद्य सुरक्षा व राशन से वंचित किया जा रहा है.
संगठन ने आरोप लगाया है, ‘इन विघटनकारी प्रभावों के बढ़ने के बावजूद सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है. कारण साफ़ है, लोगों पर दबाव डालकर आधार में नामांकन सरकार का वास्तविक उद्देश्य है.’
रोज़ी रोटी अधिकार अभियान ने मिड डे मील में आधार कार्ड अनिवार्य बनाने की इस अधिसूचना को तत्काल वापस लेने की सरकार से अपील की है. साथ ही राज्य सरकारों से इसे लागू न करने की भी मांग की है.