भारत-चीन के बीच एलएसी पर गश्त और सेना को पीछे हटाने पर सहमति बनी: विदेश सचिव

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने से ठीक पहले भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि पिछले कई हफ्तों से भारतीय और चीनी राजनयिक तथा सैन्य वार्ताकार विभिन्न मंचों पर एक-दूसरे के निकट संपर्क में हैं. इन वार्ताओं के चलते भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी पर गश्त व्यवस्था को लेकर एक समझौता हुआ है.

फाइल फोटो: पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील क्षेत्र के किनारे से भारतीय और चीनी सैनिक तथा टैंक पीछे हटते हुए. (फोटो साभार: Indian Army handout)

नई दिल्ली: विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने सोमवार (21 अक्टूबर) को पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद पर कहा कि भारतीय और चीनी सैन्य वार्ताकार एक समझौते पर पहुंच गए हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, मिसरी की घोषणा के समय और स्थान ने दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की अटकलों को हवा दी है.

मिसरी ने रूस के कज़ान में होने वाले 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की ब्रीफिंग में इस समझौते का उल्लेख किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 से 23 अक्टूबर तक भाग लेने वाले हैं.

ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग वहां मुलाकात करेंगे.

मोदी की यात्रा पर विदेश मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया था, ‘अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री के रूस के कजान में ब्रिक्स सदस्य देशों के अपने समकक्षों और आमंत्रित नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने की भी उम्मीद है.’

पत्रकारों से बात करते हुए मिसरी ने कहा:

‘आप में से कई लोगों के मन में द्विपक्षीय बैठकों और विशेष रूप से प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्रपति के बीच संभावित द्विपक्षीय बैठक के बारे में सवाल हैं. इनमें से कुछ सवाल विशेष रूप से सामयिक और उचित भी हैं, जिन्हें अब मुझे आपके साथ साझा करने का अवसर मिला है. मैं यह बता सकता हूं कि पिछले कई हफ्तों से भारतीय और चीनी राजनयिक और सैन्य वार्ताकार विभिन्न मंचों पर एक-दूसरे के निकट संपर्क में हैं. इन वार्ताओं के परिणामस्वरूप भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था को लेकर एक समझौता हुआ है, जिससे 2020 में इन क्षेत्रों में उत्पन्न हुए मुद्दों का समाधान हो गया है और हम इस पर अगले कदम उठा रहे हैं.’

मिस्री ने इस व्यवस्था के बारे में अन्य किसी विवरण का खुलासा नहीं किया.

बता दें कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध शुरू होने के बाद से भारत और चीन के बीच पिछले चार वर्षों से संबंध ठंडे पड़े हुए हैं. ख़बरों के अनुसार उस घटना में कम से कम 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे.

चीन के भारतीय सीमा में आगे बढ़ने के दावों के बीच क्षेत्र से सैनिकों की वापसी को लेकर दोनों देशों के सैन्य और राजनयिक प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं. बताया जाता है कि चीन यथास्थिति पर लौटने से इनकार कर रहा है.

इस साल जुलाई में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक महीने के भीतर दो बार चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी और दावा किया था कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि सीमा पर सैन्य वापसी की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए ‘मजबूत मार्गदर्शन’ की आवश्यकता है.

सितंबर में, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की और शेष विवादित क्षेत्रों में समस्या के समाधान के प्रयासों में तेजी लाने की आवश्यकता पर जोर दिया था. उस समय द वायर ने बताया था कि कैसे भारत ने चीन के प्रति अपनी भाषा में नरमी लाई है.

मिसरी ने इस बात का सीधा जवाब देने से परहेज किया कि क्या मोदी द्विपक्षीय बैठक में शी से मिलने वाले हैं.

‘जहां तक ​​द्विपक्षीय बैठक से जुड़े सवालों की बात है तो जैसा कि आप जानते हैं और जैसा कि पहले भी कहा गया था कि यह एक बहुपक्षीय आयोजन है, हालांकि इस दौरान द्विपक्षीय बैठकों के लिए हमेशा प्रावधान होता है, फिलहाल हम प्रधानमंत्री के समग्र कार्यक्रम पर विचार कर रहे हैं… द्विपक्षीय बैठकों के लिए कई अनुरोध हैं और हम आपको द्विपक्षीय बैठकों के बारे में जल्द से जल्द जानकारी देंगे. यही बात विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकों के संबंध में पूछे गए अन्य सभी सवालों पर भी लागू होती है.’