नई दिल्ली: वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति की पिछली बैठक में विपक्ष के वॉकआउट के बाद इस बार तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद कल्याण बनर्जी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सदस्य और कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व जज अभिजीत गंगोपाध्याय के बीच हुई ज़ोरदार बहस हुई. हंगामे के बाद बनर्जी को समिति की अगली एक बैठक के लिए निलंबित कर दिया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, वक़्फ़ संपत्तियों के पंजीकरण पर चर्चा के दौरान बनर्जी और गंगोपाध्याय के बीच तीखी नोकझोंक हुई और इस दौरान ही बनर्जी ने मेज़ पर कांच की बोतल तोड़ दी. इसे लेकर पैनल की अध्यक्षता करने वाले भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने बाद में आरोप लगाया कि बनर्जी ने बोतल ‘कुर्सी (अध्यक्ष की) पर मारने’ की कोशिश की थी.
हालांकि, गुस्से में बोतल तोड़ते समय बनर्जी के खुद के अंगूठे और एक उंगली पर चोट लग गई, जिसके बाद उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया और उन्हें ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और आम आदमी पार्टी (आप) सांसद संजय सिंह द्वारा बैठक कक्ष में वापस ले जाते देखा गया.
इस मामले पर जगदंबिका पाल ने पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया कि बनर्जी ने बोतल से उन पर निशाना साधा था.
उन्होंने कहा, ‘आज बैठक के दौरान एक हिंसक घटना हुई. एक बोतल तोड़ी गई और चेयर पर मारने की कोशिश की गई… जिस तरह से उन्होंने बोतल फेंकी, मैं भगवान की दया से बच गया. इसके बाद उन्होंने मेरे खिलाफ अपशब्द कहे. मैं दोहराता हूं कि संसदीय लोकतंत्र में इस तरह के व्यवहार के लिए जगह नहीं है.’
हालांकि, कल्याण बनर्जी ने संपर्क करने पर अखबार को उन्होंने इस संबंध में किसी भी टिप्पणी से इनकार कर दिया और कहा कि वह यह नहीं बता सकते कि बैठक में क्या हुआ, क्योंकि यह संसदीय नियमों का उल्लंघन है.
इस घटना के बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर विचार करने के बाद बनर्जी को एक दिन यानी अगली एक बैठक के लिए निलंबित कर दिया गया.
अध्यक्ष पाल ने संवाददाताओं से आगे कहा, ‘यह संसद से संबंधित है. हमने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को घटना से अवगत करा दिया है. क्योंकि ये बड़ी घटना थी. हमें पहली बार बैठक स्थगित करनी पड़ी, जिस तरह से घटना घटी और बोतल टूटी… हर कोई हैरान रह गया. ओडिशा से दो गवाह थे, जिनमें एक पूर्व न्यायाधीश और एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शामिल थे. देश को क्या संदेश गया? उनकी पार्टी (टीएमसी) को भी विचार करना चाहिए कि यह कैसा व्यवहार है? संसदीय लोकतंत्र में हिंसा के लिए कहां जगह है.’
बनर्जी द्वारा लगाए गए पक्षपात के आरोप के जवाब में पाल ने कहा, ‘यदि अध्यक्ष का रवैया पक्षपातपूर्ण है, तो एक प्रक्रिया है. उन्होंने मेरे खिलाफ स्पीकर को लिखा है.’
ज्ञात हो कि 15 अक्टूबर को विपक्षी सदस्यों ने ओम बिड़ला को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि समिति की कार्यवाही अध्यक्ष जगदंबिका पाल द्वारा पक्षपातपूर्ण तरीके से संचालित की जा रही है.
इस पर पाल ने बताया, ‘पैनल की बैठकों के दौरान विपक्षी सदस्यों को बोलने के पर्याप्त अवसर दिए जाते हैं. ओवैसी साहब ने कहा कि वह एक घंटे तक बोलेंगे, और मैंने उन्हें बोलने दिया. किसी भी अध्यक्ष ने इस तरह से विचार-विमर्श नहीं किया है. मैं सुबह से शाम तक यहीं बैठता हूं. यह पहली बार है कि वे अपने अपराध को छिपाने के लिए आरोप लगा रहे हैं. मैं किसी को बोलने से नहीं रोकता. हमारी नियमित बैठकें होती हैं. क्या किसी सदस्य ने आरोप लगाया कि जगदंबिका पाल उन्हें बोलने नहीं देते. वहां अल्पसंख्यक वर्ग के सांसद हैं. मैं उनकी भावनाओं का भी ख्याल रखता हूं. यदि कोई सदस्य कहता है कि मैं उन्हें बोलने नहीं देता, तो मैं अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दूंगा.’
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 08 अगस्त को लोकसभा में वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक 2024 को पेश किया था. हालांकि, विपक्षी सांसदों के विरोध के चलते इस विधेयक को संयुक्त समिति को भेज दिया गया. इस समिति ने 22 अगस्त को पहली बैठक की थी.
इस संबंध में बीते सोमवार को कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग के एक पूर्व पदाधिकारी और भाजपा नेता द्वारा वक़्फ़ भूमि के आवंटन को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर की गई टिप्पणी के बाद कई विपक्षी सांसद पैनल की बैठक से वॉकआउट कर लिया था.
ज्ञात हो कि केरल विधानसभा ने 14 अक्टूबर को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को वापस लेने का अनुरोध किया है.