हॉकी, कुश्ती समेत 9 खेल राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर; पिछली बार इनमें से 6 में भारत को मिले थे 37 पदक

ग्लासगो में होने वाले 2026 के राष्ट्रमंडल खेलों से बैडमिंटन, क्रिकेट, हॉकी, स्क्वैश, टेबल टेनिस और कुश्ती को हटा दिया गया है. इससे पहले बर्मिंघम में हुए 2022 के खेलों से निशानेबाजी और तीरंदाजी को बाहर किया गया था. इन खेलों में भारत का दबदबा रहा है.

(फोटो साभार: विकिपीडिया)

नई दिल्ली: राष्ट्रमंडल खेल-2022 में जिन 12 खेलों में भारत ने पदक जीते थे, उनमें से 6 2026 के खेलों में शामिल नहीं होंगे. मंगलवार (22 अक्टूबर) को इस संबंध में घोषणा की गई. 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों में भारत द्वारा जीते गए कुल 61 पदकों में से 37 इन्हीं 6 खेलों से आए थे.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ग्लासगो में होने वाले 2026 के राष्ट्रमंडल खेलों से बैडमिंटन, क्रिकेट, हॉकी, स्क्वैश, टेबल टेनिस और कुश्ती को हटा दिया गया है. इससे पहले बर्मिंघम में हुए 2022 के खेलों से निशानेबाजी और तीरंदाजी को बाहर किया गया था. इन दोनों खेलों में भारत का ऐतिहासिक तौर पर दबदबा बना रहा था.

2026 के संस्करण में केवल 10 खेल होंगे और करीब 3,000 एथलीट. खेलों का आयोजन 23 जुलाई से 2 अगस्त के बीच होगा. इससे पहले बर्मिंघम में हुए पिछले संस्करण में 19 खेलों में करीब 5,000 एथलीट ने भागीदारी की थी.

एक बयान में ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजकों ने कहा कि खेल कार्यक्रम में एथलेटिक्स और पैरा-एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, बॉल और पैरा बॉल, स्विमिंग और पैरा-स्विमिंग, आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक, ट्रैक साइकिलिंग और पैरा-ट्रैक साइकिलिंग, नेटबॉल, वेटलिफ्टिंग और पैरा-पावरलिफ्टिंग, जूडो, 3*3 बास्केटबॉल और 3*3 व्हीलचेयर बास्केटबॉल शामिल होंगे.

भारतीय खेल प्रशासकों ने फैसले का कड़ा विरोध जताया है. पूर्व सीडब्ल्यूजी पदक विजेता और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के कार्यकारी परिषद सदस्य गगन नारंग ने कहा कि यह कदम दिल दुखाने वाला है.

नारंग ने कहा, ‘मैं उन निशानेबाजों की निराशा की कल्पना कर सकता हूं जो इस आयोजन के लिए तैयारी कर रहे थे. मैं इसलिए भी निराश हूं कि कुछ और खेल, जो भारत को पदक दिलाने की संभावना रखते थे, सीडब्ल्यूजी 2026 के खेलों की सूची में नहीं हैं.’

बैडमिंटन के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी और राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा कि वह इस फैसले से बहुत स्तब्ध और निराश हैं.

गोपीचंद ने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी आवाज उठाएं और इस मुद्दे को उचित अधिकरण के समक्ष उठाएं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बैडमिंटन उन्नति करे और भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करे. हम ऐसे अदूरदर्शी निर्णयों को उस प्रगति को कमजोर करने की अनुमति नहीं दे सकते जो हमने अथक परिश्रम से हासिल की है.’

बता दें कि 1966 से सीडब्ल्यूजी के हर संस्करण में बैडमिंटन खेला जाता रहा है, स्क्वैश और हॉकी 1998 से खेल कार्यक्रम का हिस्सा रहे हैं. टेबल टेनिस 2002 से हर संस्करण का हिस्सा रहा है. यह फैसला किसी भी बहु-खेल आयोजन में किसी रैकेट खेल के शामिल न होने का एक दुर्लभ उदाहरण है.

संयोगवश, विक्टोरिया द्वारा घोषित शुरुआती कार्यक्रम में निशानेबाजी को शामिल किया गया था, बाद में उच्च लागत के चलते उन्होंने खेलों की मेजबानी से हाथ पीछे खींच लिए. अंतिम क्षणों में ग्लासगो में खेलों के आयोजन पर बात बनी और खेलों को बजट में बनाए रखने के लिए कई खेलों को बाहर कर दिया गया.

मूल रूप से ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में 2026 के राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन प्रस्तावित था, लेकिन इसने उच्च लागत के चलते मेजबानी करने से इनकार कर दिया. ग्लासगो में खेल बहुत ही संकुचित बजट में आयोजित किए जा रहे हैं, इसलिए आयोजकों ने खेलों को सिर्फ चार आयोजन स्थलों तक सीमित रखा है. एक मायने में, ग्लासगो सीडब्ल्यूजी के जरिये एक नए चलन की नींव पड़ेगी, जहां खेल कार्यक्रम को उपलब्ध आयोजन स्थलों के आधार पर अंतिम रूप दिया गया है, जबकि पहले खेलों को पहले चुना जाता था, फिर आयोजन स्थल बनाए जाते थे.

आयोजकों ने कहा कि वे ग्लासगो में 8 मील के दायरे में चार आयोजन स्थलों का इस्तेमाल करेंगे, जिससे परिवहन और सुरक्षा तथा अन्य चीजों पर खर्च बचाया जा सके. एथलीट और सहयोगी स्टाफ को होटलों में रखा जाएगा, न कि खेल गांव में, इससे लागत में कटौती होगी.