नई दिल्ली: वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा, जो कथित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) चोरी के मामले में न्यायिक हिरासत में हैं, पर मंगलवार को फिर से मामला दर्ज किया गया – इस बार गांधीनगर पुलिस ने उनके खिलाफ कथित तौर पर गोपनीय सरकारी दस्तावेज अपने पास रखने के आरोप में मामला दर्ज किया है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गांधीनगर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) रवि तेजा वासमसेट्टी ने बताया कि द हिंदू के वरिष्ठ सहायक संपादक लांगा पर गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (जीएमबी) से संबंधित दस्तावेज रखने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस ने बताया कि जीएसटी धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तारी के दौरान लांगा के पास से ये दस्तावेज बरामद किए गए थे. हालांकि, एसपी ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि ताजा एफआईआर में लांगा पर किन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इस बीच, गांधीनगर पुलिस इन दस्तावेजों के आधार पर मंगलवार को जीएमबी के कार्यालय पहुंची और तलाशी ली तथा उस स्रोत का पता लगाने के लिए पूछताछ की जिसने कथित तौर पर लांगा को दस्तावेज लीक किए.
एसपी वासमसेट्टी ने कहा, ‘लांगा के खिलाफ जीएमबी के दस्तावेज अपने पास रखने के लिए सेक्टर-7 पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई है. फिलहाल, वह मामले में एकमात्र आरोपी हैं. हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें वे दस्तावेज कैसे प्राप्त हुए.’
इस बीच, अहमदाबाद डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच (डीसीबी) ने मंगलवार को 220 फर्जी कंपनियों के एक नेटवर्क द्वारा जीएसटी चोरी के एक राष्ट्रव्यापी रैकेट की चल रही जांच में पांच और लोगों को गिरफ्तार किया. इनमें से कई कंपनी गुजरात में स्थित हैं.
डीसीपी अजीत राजियन ने कहा कि मंगलवार को गिरफ्तार किए गए पांच लोगों में आदिल कादर खोखर, कादर उर्फ नवदी रफीकभाई खोखर, अकील अनुभाई पठान, शाहरुख रफीकभाई रंगरेज और सरफराज मुस्तफा चौहान हैं. ये सभी भावनगर के रहने वाले हैं.
नवीनतम गिरफ्तारियों के साथ, इस मामले में पकड़े गए लोगों की कुल संख्या 13 हो गई है.
इस मामले में सबसे पहले गिरफ्तार किए गए लोगों में लांगा, एजाज उर्फ मालदार, अब्दुलकादेर उर्फ बापू और ज्योतिष मगन गोंडालिया शामिल थे.
13 अक्टूबर को फैजल मुनाफ शेख, इरफान उर्फ पादु सत्तार जेठवा, जिग्नेश हिम्मतलाल देसाई और परेश प्रदीप डोडिया को गिरफ्तार किया गया.
18 अक्टूबर को पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद इन सभी को साबरमती केंद्रीय कारागार में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
करीब 10 दिन पहले लांगा ने गुजरात हाईकोर्ट में अपनी 10 दिन की पुलिस रिमांड को चुनौती देते हुए इसे ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया था. हालांकि, 14 अक्टूबर को याचिका पर सुनवाई के दौरान उन्होंने याचिका वापस ले ली थी.
जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर 13 फर्मों और उनके मालिकों पर कथित इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) धोखाधड़ी के लिए मामला दर्ज किए जाने के बाद लांगा को गिरफ्तार किया गया था. मामले की जांच क्राइम ब्रांच द्वारा की जा रही है.
पुलिस का आरोप है कि जीएसटी धोखाधड़ी से सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है, जिसमें आरोपियों ने फर्जी बिलों के जरिए फर्जी आईटीसी का लाभ उठाया और उसे आगे बढ़ाया. एफआईआर के अनुसार, इस रैकेट में इस्तेमाल किए गए जाली दस्तावेजों के आधार पर 220 से अधिक बेनामी कंपनियां स्थापित की गईं.
बता दें कि लांगा को 7 अक्टूबर को गिरफ्तार करके 9 अक्टूबर को दस दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया था. जिसके बाद उनके वकील ने कहा था कि लांगा के नाम से कोई हस्ताक्षर या लेन-देन नहीं हुआ है.
बता दें कि मामले में दर्ज एफआईआर के अनुसार, 200 फर्जी फर्मों का एक नेटवर्क एक ही पैन का उपयोग करके सरकार को जीएसटी में धोखा देने के लिए काम कर रहा था.
लांगा की गिरफ्तारी से मीडिया समुदाय में संदेह उत्पन्न हो गया, कई पत्रकारों ने उनकी ईमानदारी की वकालत की, जबकि अन्य ने गुजरात के हीरा उद्योग पर रूसी मूल के हीरों पर प्रतिबंध के प्रभाव पर उनकी हाल की स्टोरी पर ध्यान खींचा. हालांकि द हिंदू ने कहा कि लांगा की गिरफ्तारी का इन रिपोर्ट्स से कोई संबंध नहीं लग रहा है.