कश्मीर: त्राल में यूपी के श्रमिक को आतंकियों ने गोली मारी, ग़ैर-स्थानीय पर हफ्तेभर में तीसरा हमला

त्राल में यूपी के श्रमिक पर गोली चलने से पहले बीते 20 अक्टूबर को गांदरबल जिले में एक निर्माण स्थल पर आतंकी हमले में छह प्रवासी मज़दूरों समेत एक स्थानीय डॉक्टर की मौत हो गई थी. 18 अक्टूबर को भी शोपियां में आतंकियों ने बिहार के एक श्रमिक की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

(प्रतीकात्मक (फोटो साभार: X/@KashmirPolice)

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर प्रवासी नागरिक को निशाना बनाने की घटना सामने आई है. गुरुवार (24 अक्टूबर) दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले के त्राल इलाके में आतंकियों ने उत्तर प्रदेश के रहने वाले एक श्रमिक को गोली मार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया. फिलहाल मजदूर का अस्पताल में इलाज चल रहा है.

हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि पीड़ित की पहचान बिजनौर निवासी शुभम कुमार के रूप में की गई है. शुभम बाटागुंड गांव में आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी का शिकार हो गए. उनके हाथ में गोली लगी है. अस्पताल में उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, ये हमला एक सप्ताह के भीतर कश्मीर में प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाने की तीसरी घटना है.

बीते रविवार (20 अक्टूबर) को गांदरबल जिले में एक निर्माण स्थल पर आतंकी हमले में छह प्रवासी मजदूरों समेत एक स्थानीय डॉक्टर की मौत हो गई थी.

ये हमला गांदरबल ज़िले में विकास परियोजना पर काम कर रही लखनऊ की निर्माण कंपनी एपीसीओ इंफ्रा के बेस कैंप पर हुआ था. ये कंपनी कश्मीर में कई प्रमुख परियोजनाओं पर काम कर रही है. ऐसे में बेस कैंप उन इंजीनियरों, अन्य कर्मचारियों और मजदूरों के लिए एक रात्रि आश्रय के रूप में काम करता है, जो जेड-मोड़ सुरंग के निर्माण में शामिल हैं. ये सुरंग कश्मीर घाटी को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से जोड़ती है.

इस हमले में बंदूकधारियों ने पहले बेस कैंप की बिजली लाइनों को काट दिया था और फिर रात का खाना खा रहे श्रमिकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी.

इससे पहले 18 अक्टूबर को शोपियां जिले में आतंकियों ने बिहार के एक मजदूर अशोक कुमार चव्हाण की गोली मारकर हत्या कर दी थी. उनका गोलियों से छलनी शव ज़ैनपोरा के वाची इलाके से बरामद किया गया था.तब पुलिस ने कहा था कि चव्हाण के शरीर पर चार गोलियों के निशान थे.

गौरतलब है कि इन हमलों से बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के उन हजारों प्रवासी श्रमिकों के बीच डर का माहौल पैदा होने की संभावना है, जो निर्माण, कृषि सहित अन्य कुशल और अकुशल क्षेत्रों में काम करके कश्मीर में अपनी आजीविका कमा रहे हैं.

मालूम हो कि केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में हाल ही में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए थे, जिसके बाद 16 अक्टूबर को उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की गठबंधन वाली सरकार ने सत्ता संभाली है.