जस्टिस संजीव खन्ना देश के अगले प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किए गए

1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के तौर पर शामिल हुए जस्टिस संजीव खन्ना साल 2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय में जज बने थे. 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के बतौर प्रोन्नत किया गया था. वे 13 मई 2025 तक सीजेआई का पद संभालेंगे.

जस्टिस संजीव खन्ना. (बैकग्राउंड में सुप्रीम कोर्ट) (फोटो: पीआईबी/द वायर)

नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना को भारत का अगला मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) नियुक्त किया है.

केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने गुरुवार (24 अक्टूबर) को यह जानकारी देते हुए बताया कि जस्टिस खन्ना मौजूदा सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के रिटायरमेंट (10 नवंबर) होने के एक दिन बाद 11 नवंबर को पदभार ग्रहण करेंगे.

बीते 15 अक्टूबर को सीजेआई चंद्रचूड़ द्वारा सरकार को उनके नाम की सिफारिश किए जाने के बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने जस्टिस खन्ना की नियुक्ति पर मुहर लगाई है.

हालांकि, इस तरह की सिफारिश महज औपचारिकता है, लेकिन यह लंबे समय से चली आ रही प्रथा है और इसका उल्लेख सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में नियुक्तियों को निर्देशित करने वाले प्रक्रिया ज्ञापन में भी मिलता है.

ज्ञापन कहता है कि सीजेआई के बाद सुप्रीम कोर्ट में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को मौजूदा न्यायाधीश के उत्तराधिकारी के रूप में चुना जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, जस्टिस खन्ना ने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में शामिल हुए थे. 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश बनने से पहले जस्टिस खन्ना ने आयकर विभाग के लिए वरिष्ठ स्थायी वकील और दिल्ली के लिए स्थायी वकील (सिविल) के रूप में काम किया. साल 2006 में वे उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश बने. जनवरी 2019 में वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने.

13 मई 2025 को उनका रिटायरमेंट होना है. सुप्रीम कोर्ट ऑब्जर्वर वेबसाइट के अनुसार, सीजेआई के रूप में जस्टिस खन्ना का छह महीने का कार्यकाल सीजेआई के औसत कार्यकाल का एक तिहाई होगा.

द वायर को प्राप्त जानकारी के मुताबिक, जब सीजेआई चंद्रचूड़ ने 15 अक्टूबर को अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस खन्ना के नाम की सिफारिश की, तो इसे भेजने में कम से कम दो दिन की देरी हुई थी.

द वायर को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस देरी का एक कारण यह था कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के माध्यम से शीर्ष अदालत में एकमात्र रिक्ति को भरने के लिए नाम की सिफारिश करने की अनुमति दी जा सके. सूत्रों ने कहा कि कॉलेजियम के अन्य सदस्य उस स्तर पर सिफारिश करने को लेकर बहुत उत्सुक नहीं थे क्योंकि सीजेआई के पास पद छोड़ने से पहले एक महीने से भी कम समय बचा था.