कश्मीर: हफ्तेभर में चौथा आतंकी हमला, गुलमर्ग में दो सैनिकों समेत चार लोगों की मौत

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले के त्राल में संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा उत्तर प्रदेश के एक प्रवासी श्रमिक को गोली मारकर घायल करने के कुछ घंटों बाद आतंकियों ने गुलमर्ग के नागिन इलाके में सेना के वाहन को निशाना बनाया. घटना में चार लोगों की मौत हुई है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/सेना उत्तरी कमांड)

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर आतंकी हमले की खबर है. अधिकारियों ने बताया कि उत्तरी कश्मीर के गुलमर्ग स्की रिसॉर्ट के पास गुरुवार (24 अक्टूबर) को एक आतंकवादी हमले में सेना के दो जवान और कुली के बतौर काम करने वाले दो नागरिक मारे गए, जबकि तीन अन्य सैनिक घायल हो गए हैं.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, ये घटना गुरुवार शाम गुलमर्ग के पास बोटापथरी के नागिन इलाके में हुई, जब संदिग्ध आतंकवादियों ने राष्ट्रीय राइफल्स के काफिले के एक वाहन पर हमला किया.

मालूम हो कि बोटापथरी नियंत्रण रेखा के करीब है और गुलमर्ग से लगभग छह किलोमीटर दूर स्थित है. इसे रणनीतिक (strategic) स्थान होने के चलते नागरिकों के लिए बंद कर दिया गया था, लेकिन अनुच्छेद 370 के निरस्त हो जाने के बाद इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था. हालांकि, इस क्षेत्र का दौरा करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों से आधिकारिक अनुमति आवश्यक है.

इस हमले को लेकर अभी अधिक जानकारी सामने नहीं आई है. सेना और पुलिस के शीर्ष अधिकारियों ने इस बारे में अधिक जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है.

माना जा रहा है कि हमलावर, जिनकी संख्या की पुलिस ने अब तक पुष्टि नहीं की है, सेना के वाहन को निशाना बनाने के बाद भाग गए. बताया गया है कि आतंकियों की तलाश के लिए इलाके में अतिरिक्त बल भेजा गया है.

सोशल मीडिया मंच एक्स पर भारतीय सेना की शाखा चिनार कोर ने अपने एक पोस्ट में लिखा कि बारामूला जिले के बोटापथरी में सेना और आतंकवादियों के बीच गोलीबारी हुई. इसमें आगे कहा गया है कि हमले के बारे का पता लगाया जा रहा है.

अभी तक सेना या जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से मारे गए सैनिकों की पहचान की पुष्टि नहीं की गई है. वहीं, किसी भी उग्रवादी संगठन ने भी इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है.

ख़बरों के मुताबिक, मारे गए एक नागरिक की पहचान बारामूला के बोनियार कस्बे के नौशहरा निवासी मुश्ताक अहमद चौधरी और बारामूला के बार्नाटे गांव के रहने वाले जहूर अहमद मीर के रूप में हुई है.

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने हमले की निंदा की है.

ज्ञात हो कि ये घातक हमला दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले के त्राल में संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा उत्तर प्रदेश के एक प्रवासी श्रमिक को गोली मारकर घायल करने के कुछ घंटों बाद हुआ. पुलिस ने बताया कि पीड़ित की पहचान बिजनौर निवासी शुभम कुमार के रूप में की गई है. शुभम बाटागुंड गांव में आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी का शिकार हो गए, जबकि हमलावर इलाके से भाग गए.

गौरतलब है कि उमर अब्दुल्ला के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद गुलमर्ग में हुआ हमला कश्मीर में हफ्तेभर के भीतर चौथी घटना है. फिलहाल, मुख्यमंत्री नई दिल्ली के दौरे पर हैं, जहां उन्होंने पिछले दो दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की है.

इससे पहले 20 अक्टूबर को गांदरबल जिले में एक निर्माण स्थल पर आतंकी हमले में छह प्रवासी मजदूरों समेत एक स्थानीय डॉक्टर की मौत हो गई थी.

ये हमला गांदरबल ज़िले में विकास परियोजना पर काम कर रही लखनऊ की निर्माण कंपनी एपीसीओ इंफ्रा के बेस कैंप पर हुआ था. ये कंपनी कश्मीर में कई प्रमुख परियोजनाओं पर काम कर रही है. ऐसे में बेस कैंप उन इंजीनियरों, अन्य कर्मचारियों और मजदूरों के लिए एक रात्रि आश्रय के रूप में काम करता है, जो जेड-मोड़ सुरंग के निर्माण में शामिल हैं. ये सुरंग कश्मीर घाटी को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से जोड़ती है.

मालूम हो कि इस सुरंग के इस महीने खुलने की उम्मीद है. इससे कश्मीर से लद्दाख तक सैनिकों की आवाजाही में लगने वाले समय में कटौती होने की उम्मीद है.

हमलों के सिलसिले में 18 अक्टूबर को भी बिहार के एक प्रवासी श्रमिक 30 वर्षीय अशोक चौहान का दक्षिण कश्मीर के शोपियां के मल्हुरा इलाके से अपहरण कर लिया गया था, बाद में उनका गोलियों से छलनी शव रामबियारा नदी के पास बरामद किया गया, जिसके बाद पुलिस को हत्या की जांच से संबंधित कार्रवाई शुरू की.

गौरतलब है कि ये एक के बाद एक हो रहे हमले 2021 की सर्दियों में प्रवासी श्रमिकों, अल्पसंख्यक कश्मीरी हिंदुओं और सुरक्षाकर्मियों की लक्षित हत्याओं की याद दिलाते हैं, जिसके चलते कई कश्मीरी पंडितों और श्रमिकों को घाटी से पलायन के लिए मजबूर कर दिया था.

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