नई दिल्ली: भारत-कनाडा विवाद के बीच रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) के प्रमुख ने एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए कहा है कि उनके पास ठोस सबूत हैं कि कनाडा में हिंसा फैलाने में भारत सरकार के ‘उच्चतम’ अधिकारी शामिल हैं.
कनाडा के पब्लिक ब्रॉडकास्टर ‘कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन’ (सीबीसी) से बातचीत में आरसीएमपी के कमिश्नर माइक ड्यूहेम ने कहा है, ‘हमारे पास खुफिया जानकारी नहीं, बल्कि पुख्ता सबूत हैं कि इस मामले के तार ऊपर तक जुड़े हैं.’
‘मैं जिन साक्ष्यों की बात कर कर रहा हूं, उनमें से कुछ न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से सामने आएंगे.’
ड्यूहेम ने कहा कि पुलिस साक्ष्यों से पता चलता है कि भारतीय राजनयिकों और वाणिज्य दूतावास के कर्मचारियों ने सूचना एकत्र कर भारत सरकार के सामने पेश की, जिसके बाद आपराधिक संगठनों को हिंसात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए गए.
कमिश्नर ने कहा कि पुलिस ने दक्षिण एशियाई समुदाय के सदस्यों, विशेष रूप से खालिस्तान समर्थक लोगों पर मंडरा रहे खतरों के सबूत इकट्ठा किए हैं.
सीबीसी से बातचीत में ड्यूहेम ने यह भी बताया कि ऐसे अपराध जिनके तार भारत सरकार के उच्चतम अधिकारियों से जुड़ते हैं, उनके साक्ष्य को कनाडा पुलिस ने भारत की पुलिस के साथ साझा करने के प्रयास किया था, लेकिन सफलता नहीं मिली.
ड्यूहेम ने कहा कि आरसीएमपी के डिप्टी कमिश्नर और फेडरल पुलिस विंग के प्रमुख मार्क फ्लिनने इस महीने की शुरुआत में सिंगापुर में भारत सरकार के अधिकारियों के साथ-साथ कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन से मुलाकात की थी.
इससे पहले द वाशिंगटन पोस्ट ने कनाडाई अधिकारी के हवाले से लिखा था कि 12 अक्टूबर को सिंगापुर में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और कनाडा के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नैथली ड्रोइन की एक बैठक हुई थी. इस बैठक में कनाडा के उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन के साथ-साथ रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी भी शामिल थे.
रिपोर्ट के मुताबिक़, उस बैठक में कनाडा की तरफ़ से शाह की संलिप्तता और अन्य सबूतों के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की गई थी.
रिपोर्ट में एक कनाडाई अधिकारी का विचित्र दावा भी छपा है जिसके मुताबिक़, ‘डोभाल ने स्वीकार किया कि भारत ने लोगों का पीछा करने, तस्वीरें लेने आदि के लिए अपने राजनयिकों का इस्तेमाल किया, लेकिन उन्होंने धमकी या हिंसा से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया.’
कनाडाई अधिकारी के दावे के उलट भारत सरकार लगातार अपने राजनयिकों का बचाव कर रही है और उन पर लगाए जा रहे सभी आरोपों का खंडन कर रही है.
कहा गया है कि कथित बैठक में डोभाल को निज्जर हत्या और अन्य मामलों में बिश्नोई गैंग के शामिल होने का भी सबूत दिया गया था.
आरसीएमपी के पिछले बयान के बाद बिगड़े थे राजनयिक संबंध
उल्लेखनीय है कि बीते दिनों ही कनाडा की राजधानी ओटावा में थैंक्सगिविंग डे पर मीडिया को संबोधित करते हुए रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस के असिस्टेंट कमिश्नर ब्रिगिट गौबिन ने आरोप लगाया था कि भारत सरकार के ‘एजेंट’ कनाडा की धरती पर आतंक फैलाने के लिए लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
इसके बाद कनाडा के प्रधानमंत्री ने एक बयान जारी कर भारतीय राजनयिकों के निष्कासन की जानकारी दी थी.
उन्होंने कहा, ‘रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस के असिस्टेंट कमिश्नर ने आज (14 अक्टूबर) कहा कि उनके पास स्पष्ट और पुख्ता सबूत हैं कि भारत सरकार के एजेंट ऐसी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, जो सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है. …इस सप्ताहांत, कनाडाई अधिकारियों ने पुलिस द्वारा जुटाए साक्ष्यों को साझा करने के लिए भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की. अनुरोध करने के बावजूद भारत सरकार ने सहयोग न करने का फैसला किया. इसके बाद मेरी सहयोगी मेलानी जोली (विदेश मंत्री) के पास केवल एक ही विकल्प था. उन्होंने उन छह व्यक्तियों को कनाडा छोड़कर जाने का नोटिस जारी कर दिया. वे अब कनाडा में राजनयिक के रूप में काम नहीं कर पाएंगे, न ही किसी भी कारण से कनाडा में फिर से प्रवेश कर पाएंगे.’