नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार के मोटर ड्राइविंग स्कूलों के लिए नियम बनाने के सरकारी आदेश को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम, 1989 की धारा 27 केंद्र सरकार को मोटर वाहन ड्राइविंग स्कूलों के नियमन के उद्देश्य से लाइसेंस देने और उसके नवीकरण के लिए अधिकृत करती है, जबकि राज्य सरकार के पास इस संबंध में नियम बनाने का अधिकार नहीं है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार ने 2023 में एक आदेश जारी कर निजी मोटर ड्राइविंग प्रशिक्षण स्कूलों और उनके संचालन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) निर्धारित की थी, जिसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी.
उत्तर प्रदेश मोटर ट्रेनिंग स्कूल ओनर्स एसोसिएशन और सात अन्य की ओर से दायर रिट याचिका स्वीकार करते हुए जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र और जस्टिस जयंत बनर्जी की पीठ ने वर्ष 2023 में जारी राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया.
इस संबंध में याचिकाकर्ताओं के याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि मोटर वाहन ड्राइविंग का प्रशिक्षण देने वाले स्कूलों या प्रतिष्ठानों को लाइसेंस देने या उनके नियमन के उद्देश्य से नियम बनाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है.
पीठ ने बीते शुक्रवार (25 अक्टूबर) को दिए अपने आदेश में कहा, ‘इस अधिनियम की धारा 28 जोकि राज्य सरकार को नियम बनाने के लिए अधिकृत करती है और उन नियमों को बनाने से रोकती है जिन्हें बनाने के अधिकार केंद्र सरकार में निहित हैं.’
पीठ ने आगे कहा, ‘सरकारी आदेश के कई खंड जिसे याचिकाकर्ता ने चुनौती दी है, वो केंद्र सरकार के नियम बनाने के दायरे में आते हैं.
अदालत के अनुसार, ‘स्थायी अधिवक्ता की यह दलील कि राज्य का सरकारी आदेश, केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के पूरक हैं, स्वीकार नहीं किया जा सकता.’
अदालत के इस फैसले का यूपी मोटर ट्रेनिंग स्कूल ओनर्स एसोसिएशन ने स्वागत किया है. संस्थान के अध्यक्ष केएम बाजपेयी ने कहा, ‘हम आशा करते हैं कि आगे किसी भी तरह का निर्णय करते समय राज्य सरकार मोटर ड्राइविंग स्कूल के संचालकों के हितों का ध्यान रखेगी.’