छत्तीसगढ़: सरकारी अस्पताल में मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद 13 मरीज़ों को संक्रमण हुआ

घटना दंतेवाड़ा ज़िले के एक सरकारी अस्पताल की है. जिन 13 लोगों की आंखों में संक्रमण हुआ है, उनकी 18 से 22 अक्टूबर के बीच मोतियाबिंद की सर्जरी हुई थी. बताया गया है कि मरीज़ों की हालत स्थिर है, पर यह कहना मुश्किल है कि उनकी दृष्टि बच सकेगी या नहीं.

दंतेवाड़ा जिला अस्पताल. (फोटो साभार: X/@dpendharkar)

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के एक सरकारी अस्पताल से रविवार को एक नेत्र सर्जन, एक नर्स और एक सहायक को निलंबित कर दिया गया, क्योंकि मोतियाबिंद की सर्जरी करवाने वाले 13 लोगों की आंखों में संक्रमण हो गया.  बताया गया है कि इन सभी को आगे के इलाज के लिए 350 किलोमीटर दूर राज्य की राजधानी रायपुर ले जाया गया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इन मरीजों की सर्जरी 18 से 22 अक्टूबर के बीच हुई थी. संक्रमण के कुछ मामले सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने जांच की और पाया कि 12 से अधिक मरीज ऐसे थे, जिन्हें ऐसी ही समस्या थी. इसके बाद उन्हें रायपुर के एक अस्पताल में रेफर किया गया और सर्जरी के संचालन की जांच के आदेश दिए गए.

जांच में कथित तौर पर खामियां पाईं गई, जिसमें अस्पताल द्वारा मोतियाबिंद की सर्जरी के प्रोटोकॉल का ठीक से पालन नहीं किया गया था और तीनों द्वारा अपने दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरती गई.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दंतेवाड़ा कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने बताया कि जिन 13 लोगों की आंखों में संक्रमण हुआ है, उनकी 18 से 22 अक्टूबर के बीच दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में मोतियाबिंद की सर्जरी हुई थी.

उन्होंने कहा, ‘जब एक या दो मामले सामने आए, तो हमने पिछले 15 से 20 दिनों में अस्पताल में सर्जरी करवाने वाले मरीजों का पता लगाने के लिए एक अभियान शुरू किया, ताकि उनकी आंखों की स्थिति की जांच की जा सके. हमने 80 मरीजों को कवर किया और अब तक उनमें से 13 को संक्रमण से पीड़ित पाया गया है.’

अधिकारी ने कहा कि 18 अक्टूबर को ऑपरेशन किए गए एक मरीज में संक्रमण के बारे में 20 अक्टूबर को पता चलने के बावजूद संबंधित डॉक्टर ने 22 अक्टूबर तक सर्जरी करना जारी रखा और कथित तौर पर वरिष्ठ अधिकारियों को मामले की जानकारी नहीं दी.

उन्होंने कहा कि दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में चार ऑपरेशन थिएटर हैं और हर हफ्ते 20 मोतियाबिंद रोगियों का ऑपरेशन करने का लक्ष्य है.

उन्होंने कहा, ‘अब तक हमने 10 अक्टूबर से 22 अक्टूबर के बीच ऑपरेशन किए गए मरीजों की जांच की है. हम ट्रेसिंग करना जारी रखेंगे और 10 अक्टूबर से पहले ऑपरेशन किए गए मरीजों की स्थिति की जांच करेंगे.’

मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इसकी जांच के लिए एक टीम गठित की. एक अधिकारी ने बताया कि जांच दल ने पाया कि मोतियाबिंद सर्जरी के लिए मानक प्रोटोकॉल का ठीक से पालन नहीं किया गया था और सर्जरी से पहले ऑपरेशन थियेटर को ठीक से साफ नहीं किया गया था.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मरीज फिलहाल रायपुर के डॉ. बीआर अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल में भर्ती हैं.

सोमवार (28 अक्टूबर) को अस्पताल द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, सभी मरीजों की हालत स्थिर है और संक्रमण नियंत्रण में है. हालांकि, बयान में कहा गया है कि फिलहाल उनकी दृष्टि (बचाने) की संभावना के बारे में बताना संभव नहीं है.

राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्याम बिहार जायसवाल ने रविवार को अस्पताल का दौरा किया और मरीजों से बात की.

श्याम बिहारी जायसवाल ने पत्रकारों को बताया कि अस्पताल की नेत्र सर्जन गीता नेताम, नेत्र सहायक अधिकारी दीप्ति टोप्पो और स्टाफ नर्स ममता वैदे की लापरवाही पाई गई है. जायसवाल ने पुष्टि की कि उन्हें निलंबित कर दिया गया है.

उन्होंने कहा कि तीनों को रविवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि दंतेवाड़ा जिला अस्पताल अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे इस संबंध में जवाब मांगा गया है.

विपक्ष ने कहा- कार्रवाई पर्याप्त नहीं

इस बीच, विपक्षी कांग्रेस ने कहा कि कार्रवाई पर्याप्त नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, ‘केवल निलंबन की औपचारिकता पर्याप्त नहीं होगी. भाजपा सरकार ने लोगों की आंखों की रोशनी छीन ली है. सरकार को मुआवजा देना चाहिए और जनता से माफी मांगनी चाहिए.’

इससे पहले एक्स पर एक अन्य पोस्ट में उन्होंने रमन सिंह के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार के तहत इस तरह की गड़बड़ियों का स्पष्ट संदर्भ दिया था.

उन्होंने कहा, ‘भाजपा सरकार में फिर से आंखों की सर्जरी में गड़बड़ियों की घटनाएं शुरू हो गई हैं. पिछली भाजपा सरकार के दौरान भी यही हुआ था. हमारी सरकार में ऐसी घटना एक बार भी नहीं हुई (2018-2023 के बीच उनकी पार्टी के शासन का जिक्र करते हुए). विष्णु (मुख्यमंत्री विष्णु देव साय) का सुशासन बेकार और असफल साबित हुआ है.’

कांग्रेस ने इस घटना की जांच के लिए बस्तर के विधायक लखेश्वर बघेल की अध्यक्षता में छह सदस्यीय टीम का गठन किया है.

उल्लेखनीय है कि रमन सिंह के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकारों के दौरान मोतियाबिंद सर्जरी के बाद मरीजों की आंखों में संक्रमण होने के कई मामले सामने आए थे और आंखों की रोशनी चली गई थी.