जनगणना आयुक्त के कार्यकाल विस्तार से 2025 में जनगणना की उम्मीद, कांग्रेस की सर्वदलीय बैठक की मांग

भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण का कार्यकाल दिसंबर 2024 से बढ़ाकर अगस्त 2026 तक कर दिया गया है, जिसके बाद कांग्रेस का कहना है कि जनगणना आयोजित होने वाली है और इसके लिए जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए.

प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो साभार: एडम कोहन/फ़्लिकर)

नई दिल्ली: जनगणना आयुक्त के कार्यकाल को विस्तार देने के बाद केंद्र सरकार द्वारा अगले साल जनगणना कराए जाने की संभावना है. इसमें पहले ही कुछ सालों की देरी हो चुकी है, ऐसे में इस प्रक्रिया के साल 2026 तक पूरी हो जाने की उम्मीद है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस संबंध में ये भी सुझाव लिए जाएंगे कि क्या जाति गणना जनसंख्या जनगणना अभ्यास का हिस्सा होगी.

सूत्रों के हवाले से अखबार ने बताया है कि सरकार जनगणना पूरी होने के बाद परिसीमन की प्रक्रिया आगे बढ़ाएगी, जिसके तहत महिला आरक्षण लागू किया जाएगा.

मालूम हो कि हाल ही में भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण का कार्यकाल इस दिसंबर से आगे बढ़ाकर अगस्त 2026 तक कर दिया गया है.

जनगणना के मसले पर विपक्षी दल कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस का कहना है कि जनगणना आयोजित होने वाली है, लेकिन दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर बिल्कुल कोई स्पष्टता नहीं है.

इस संबंध में कांग्रेस महासचिव और प्रभारी संचार जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा कि महापंजीयक और जनगणना आयुक्त के कार्यकाल के विस्तार देने को अभी-अभी अधिसूचित किया गया है. इसका मतलब है कि 2021 में होने वाली जनगणना, जो लंबे समय से लंबित है, अब आख़िरकार जल्द ही करवाई जाएगी.

उन्होंने आगे कहा, ‘1951 से हर जनगणना में होती आ रही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की गणना के अलावा क्या इस नई जनगणना में देश की सभी जातियों की विस्तृत गणना शामिल होगी? भारत के संविधान के अनुसार ऐसी जाति जनगणना केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी है.’

रमेश ने यह सवाल भी किया कि क्या इस जनगणना का इस्तेमाल लोकसभा में प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों की संख्या निर्धारित करने के लिए किया जाएगा जैसा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 में प्रावधान है (जो कहता है कि वर्ष 2026 के बाद की गई पहली जनगणना और उसके परिणाम का प्रकाशन ऐसे किसी पुनर्गठन का आधार होगा)? क्या इससे उन राज्यों को नुक़सान होगा जो परिवार नियोजन में अग्रणी रहे हैं?

कांग्रेस नेता ने कहा कि इन दोनों मुद्दों पर स्पष्टता पाने के लिए जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए.