वायरल वीडियो में उमा भारती के रिश्वत लेने का दावा, अपलोड करने वाले के ख़िलाफ़ केस दर्ज

सोशल मीडिया पर वायरल 40 सेकेंड के वीडियो में वॉइसओवर के माध्यम से दावा किया जा रहा है कि आईपीएस अधिकारी नौकरानी के भेस में भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती के घर गईं और उन्हें एक ठेकेदार से रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ने के बाद गिरफ़्तार कर लिया. पुलिस ने इसे फ़र्ज़ी बताया है.

भाजपा नेत्री उमा भारती (फोटोः एक्स/@umasribharti)

नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के खिलाफ इंटरनेट पर एक वीडियो प्रसारित किया गया जो कथित तौर पर ‘फेक’ था, जिसके बाद वीडियो पोस्ट करने वाले अज्ञात लोगों के खिलाफ भोपाल पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है.

उक्त वीडियो में दिखाया जा रहा है कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उमा भारती को एक ठेकेदार से रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है. 

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल क्राइम ब्रांच के डीसीपी अखिल पटेल ने यह पुष्टि की कि इस मामले में सोमवार (29 अक्टूबर) को केस दर्ज किया गया है और जांच शुरू कर दी गई है.

अधिकारियों के अनुसार, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 336 (4) (नुकसान या चोट पहुंचाने के लिए झूठे दस्तावेज या झूठे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तैयार करना) और 356 (2) (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

क्राइम ब्रांच के थाना प्रभारी अशोक मरावी ने द हिंदू को बताया कि कई प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो अपलोड किया गया है जिसमें उमा भारती और कर्नाटक कैडर की एक महिला आईपीएस अधिकारी की तस्वीरें दिखाई गई हैं.

एफआईआर के अनुसार, ‘वीडियो में उमा भारती और कर्नाटक कैडर की आईपीएस अधिकारी रूपा दिवाकर मौदगिल की तस्वीरें दिखाई गई हैं, साथ ही पुरुष की आवाज में एक वॉइस ओवर चल रहा है जिसमे भ्रामक, निराधार और आपत्तिजनक टिप्पणी की गई है.’

एफआईआर में कहा गया है कि 40 सेकंड के वीडियो में वॉइस ओवर के माध्यम से दावा किया जा रहा है कि आईपीएस अधिकारी नौकरानी के भेष में भाजपा नेता के घर गईं और उन्हें एक ठेकेदार से रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ने के बाद गिरफ्तार कर लिया. 

द हिंदू के मुताबिक मरावी ने बताया कि उमा भारती के निजी सचिव उमेश गर्ग की शिकायत के आधार पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. उमेश गर्ग ने आरोप लगाया है कि ‘पूर्व सीएम की तस्वीरों का इस्तेमाल उनके बारे में भ्रामक, निराधार और आपत्तिजनक दावे करने के लिए किया गया है.’

द हिंदू से बात करते हुए, गर्ग ने कहा कि उमा भारती की छवि को धूमिल करने के लिए वीडियो अपलोड किया गया था.

अशोक मरावी ने कहा कि पुलिस वीडियो के स्रोत और प्रामाणिकता की जांच कर रही है. उन्होंने जोड़ा, ‘हमने उन सभी प्लेटफार्मों को भी मेल किया है, जहां वीडियो अपलोड किया गया था, ताकि इसे वहां से हटाया जा सके.’ 

गौरतलब है कि द वायर हिंदी ने जब उस वायरल वीडियो को पड़ताल के लिए देखना चाहा, वह वीडियो सोशल मीडिया पर कहीं उपलब्ध नहीं मिला, जिसका अर्थ है कि वीडियो को हटा दिया गया है.