यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध में रूस की मदद को लेकर अमेरिका ने 19 भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया

अमेरिका का कहना है कि उसने जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है, वो रूस को ऐसे सामान मुहैया करवा रही हैं, जिसका उपयोग रूस, यूक्रेन युद्ध में कर रहा है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कंपनियों ने भारतीय क़ानूनों का उल्लंघन नहीं किया है और वे इस पर स्पष्टता के लिए अमेरिका के संपर्क में हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: X/@POTUS)

नई दिल्ली: भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों में नया तनाव समाने आया है. यूक्रेन में रूस के युद्ध प्रयासों में मदद करने के आरोप में अमेरिका ने भारत की 19 कंपनियों और दो नागरिकों पर प्रतिबंध लगा दिया है.

अमेरिका के इस निर्णय पर भारत का बयान भी आ गया है. शनिवार (2 नवंबर) को साप्ताहिक प्रेस ब्रीफ़िंग के दौरान भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रतिबंध से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, हमारी समझ से इन कंपनियों ने भारतीय कानूनों का उल्लंघन नहीं किया है. इस मुद्दे पर स्पष्टता के लिए हम अमेरिका के संपर्क में हैं. हम सभी संबंधित भारतीय विभागों और एजेंसियों के साथ काम कर रहे हैं, ताकि कंपनियों को निर्यात संबंधी लागू किए जा रहे नियमों के बारे में बता सके.’

17 देशों की 400 कंपनियों पर प्रतिबंध

अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने बुधवार (30 अक्टूबर) को 17 देशों की लगभग 400 कंपनियों और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, बुधवार को प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा, ‘अमेरिका आज रूस के अवैध युद्ध के अभियोजन को सक्षम बनाने में लगे लगभग 400 संस्थाओं और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगा रहा है. इस कार्रवाई में विदेश विभाग 120 से अधिक व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा रहा है. साथ ही ट्रेजरी विभाग 270 से अधिक व्यक्तियों और संस्थाओं को नामित कर रहा है. वाणिज्य विभाग भी अपनी इकाई सूची में 40 संस्थाओं को जोड़ रहा है.’

अमेरिका के मुताबिक़, इस कदम का उद्देश्य प्रतिबंधों से बचने की कोशिशों को रोकना और भारत के अलावा चीन, मलेशिया, थाईलैंड, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात सहित कई ऐसे देशों की कंपनियों को निशाने पर लेना है, जो रूस को ऐसी चीज़ें बेच रहे हैं, जिनका इस्तेमाल वह, यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध में कर रहा है.

ऐसी वस्तुओं में माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल आइटम (सीएनसी) शामिल हैं, जिन्हें कॉमन हाई प्रायोरिटी लिस्ट (सीएचपीएल) में शामिल किया गया है.

अमेरिकी विदेश विभाग ने 120 कंपनियों की अपनी सूची में शामिल चार भारतीय कंपनियों- एसेंड एविएशन इंडिया, मास्क ट्रांस, टीएसएमडी ग्लोबल और फुटरेवो – के खिलाफ आरोपों का भी विवरण दिया है.

अमेरिका का कहना है कि एसेंड एविएशन ने मार्च 2023 और मार्च 2024 के बीच रूस स्थित कंपनियों को 700 से अधिक शिपमेंट भेजे. इन शिपमेंट में 200,000 डॉलर से अधिक मूल्य के सीएचपीएल आइटम थे.

अमेरिका ने एसेंड एविएशन के सह-निदेशक और शेयरधारक (आंशिक) विवेक कुमार मिश्रा और सुधीर कुमार पर भी प्रतिबंध लगाया गया है.

प्रतिबंध के बाद अजीत डोभाल और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार में बातचीत

गुरुवार (31 अक्टूबर, 2024) को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन के बीच फोन कॉल में चर्चा हुई थी. लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बातचीत के बारे में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.

अमेरिकी ह्वाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों सलाहकारों ने ‘क्षेत्रीय सुरक्षा घटनाक्रमों पर चर्चा की, हिंद-प्रशांत क्षेत्र और वैश्विक स्तर पर स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आगे के प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया’. इस बयान में भारतीय कंपनियों पर हुई अमेरिकी कार्रवाई का कोई उल्लेख नहीं किया गया था.

पहले ही ख़राब दौर से गुज़र रहा है भारत-अमेरिका संबंध

अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि यह पहली बार नहीं है कि भारतीय कंपनियों को अमेरिकी प्रतिबंधों का समाना करना पड़ा हो, लेकिन हालिया कदम ‘तीसरे देशों के टालमटोल के खिलाफ अब तक का सबसे ठोस प्रयास’ है.

अमेरिका ने यह कार्रवाई ऐसे समय में की है, जब पहले से ही सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में भारतीय नागरिक की भूमिका के आरोपों से भारत-अमेरिका संबंध ख़राब दौर में है.

इस मामले में पिछले सप्ताह अमेरिका ने कहा था कि वह तब तक पूरी तरह से संतुष्ट नहीं होगा जब तक कि भारत अपनी जांच के माध्यम से इस कथित साजिश के लिए जवाबदेही तय नहीं कर देता.