नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में पुजारियों ने शनिवार को एक मंदिर का ‘1,000 लीटर’ गंगा जल से ‘शुद्धिकरण’ किया, क्योंकि समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा उपचुनाव लड़ रही एक मुस्लिम महिला ने दीपावली पर वहां पूजा की थी.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, सिसामऊ से उम्मीदवार नसीम सोलंकी ने कहा कि वह अपने हिंदू समर्थकों के अनुरोध पर अपने निर्वाचन क्षेत्र में वन-खंडेश्वर मंदिर गई थीं.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘ईश्वर किसी की संपत्ति नहीं है, कोई भी उनका आशीर्वाद ले सकता है.’
नसीम ने गुरुवार (31 अक्टूबर) को मंदिर में शिवलिंग का जलाभिषेक किया था और दिवाली मनाने के लिए दीया जलाया था. उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया था.
सीसामऊ उन नौ विधानसभा क्षेत्रों में से एक है, जहां 13 नवंबर को उपचुनाव होने हैं. सिसामऊ सीट उस समय रिक्त हो गया था, जब नसीम के पति और मौजूदा समाजवादी विधायक इरफान सोलंकी को एक वृद्ध महिला का घर जलाने के आरोप में सात साल की जेल हुई थी.
40 वर्षीय नसीम ने कहा, ‘मेरे पति जेल में हैं और इसलिए मैं उपचुनाव लड़ रही हूं. निर्वाचन क्षेत्र के लोग मुझे और मेरे पति को अपने वोटों के जरिये आंकेंगे. मैंने पिछले दो सालों से दिवाली या ईद नहीं मनाई है क्योंकि मेरे पति झूठे मामले में जेल में हैं. लेकिन मेरा समर्थन करने वाले कई हिंदुओं ने मुझे मंदिर में उनके साथ चलने के लिए कहा. यह कोई गैर-राजनीतिक कदम नहीं था बल्कि विशुद्ध रूप से सामुदायिक कार्य था.’
मालूम हो कि स्थानीय सुन्नी मौलवी मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने उनकी आलोचना करते हुए कहा कि ‘इस्लाम मूर्ति पूजा के खिलाफ है, हमने उनके धर्म का उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ फतवा (फैसला) जारी किया है.’
मुस्लिम धर्मगुरु की टिप्पणियों पर नसीम ने कहा, ‘वे हमारे समाज में सम्मानित लोग हैं और मैं हमेशा उनके सुझावों को ध्यान में रखूंगी.’
उम्मीदवार के एक करीबी सूत्र ने बताया, ‘इरफ़ान ने अपनी विधायक निधि से वन-खंडेश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए 50 लाख रुपये दिए थे. उन्हें पैसे लेने में कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन अब भाजपा नेताओं के दबाव में उनकी पत्नी का अपमान किया जा रहा है.’
उन्होंने आगे बताया, ‘मंदिर के एक पुजारी ने अनुष्ठान में उनकी सहायता की थी. वह उसी दिन एक गुरुद्वारे भी गई थीं.’
उधर, मंदिर के मुख्य पुजारी राम नरेश मिश्रा ने कहा कि मंदिर को इरफान से कभी कोई मदद नहीं मिली.
उन्होंने कहा, ‘वह (इरफ़ान) और उनके पिता मुश्ताक सोलंकी कभी मंदिर नहीं गए. लेकिन नसीम उपचुनाव के लिए प्रचार करते हुए यहां आईं थीं. हमने पूरे मंदिर को हरिद्वार से लाए गए हजार लीटर गंगाजल से धोया क्योंकि हिंदुओं को उनका यह कृत्य पसंद नहीं आया.’
कानपुर महानगर से भाजपा विधायक सुरेंद्र मैथानी ने नसीम की आलोचना की. उन्होंने कहा, ‘समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमानों को भी लुभाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि वह दोनों समुदायों का समर्थन खो रही हैं.’
भाजपा ने अतीत में हिंदू समाजवादी नेताओं के मंदिर जाने का भी विरोध किया है और उनकी तुलना मुसलमानों से की है, जो यादवों के साथ पार्टी के मुख्य आधार हैं.
ज्ञात हो कि पूर्व भाजपा सांसद सुब्रत पाठक ने इस साल के आम चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल द्वारा वहां प्रार्थना करने के बाद कन्नौज के गौरीशंकर मंदिर को धुलवाया था.