पटाखों पर ‘स्थायी प्रतिबंध’ को लेकर जल्द फैसला ले दिल्ली सरकार: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की पटाखों की बिक्री और इनके इस्तेमाल पर 'स्थायी प्रतिबंध' लगाने को लेकर स्पष्ट 'फैसला' लेने की टिप्पणी दीपावली के तीन दिन बाद आई, जब दिल्ली का प्रदूषण अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था.

(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमंस)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (4 नवंबर) को दिल्ली सरकार से पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर ‘स्थायी प्रतिबंध’ लगाने को लेकर स्पष्ट ‘फैसला’ लेने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी दीपावली के तीन दिन बाद आई है, जब दिल्ली में प्रदूषण अपने ‘सर्वकालिक उच्चतम स्तर’ पर पहुंच गया था.

जस्टिस अभय एस. ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने संकेत दिया है कि दिल्ली सरकार के जवाब के बाद अदालत पटाखों पर प्रतिबंध को दीपावली के अलावा अन्य अवसरों तक बढ़ाने पर भी विचार करेगी. अदालत ने हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को तय की.

अदालत ने सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है, ‘इसमें कोई शक़ नहीं कि दीपावली के दौरान पटाखों पर लगे प्रतिबंध का पालन बमुश्किल ही हुआ. प्रतिबंध के पालन न होने का ही नतीजा है कि दिल्ली का प्रदूषण स्तर अब तक के सबसे उच्चतम पर है, 2022 और 2023 की दीपावली के दिनों से भी अधिक.’

जस्टिस ओका ने मौखिक रूप से यह भी कहा कि ‘वायु प्रदूषण अधिनियम’ में 1 अप्रैल, 2024 से लागू संशोधन की वजह से भी पटाखों पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन हो रहा है. भारत सरकार ने उल्लंघन करने वालों के लिए दंड का प्रावधान हटाकर जुर्माने तक सीमित कर दिया है.

उन्होंने जोड़ा कहा कि हालांकि, अदालत यह देखेगी कि प्रतिबंध किस तरह से लागू किया जा सकता है और क्या पटाखे बेचने वालों के परिसरों को सील किया जा सकता है.

अदालत ने दिल्ली सरकार और पुलिस आयुक्त को यह आदेश दिया है कि वह हलफ़नामा दाख़िल कर बताए कि अदालत द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का पूरी तरह पालन क्यों नहीं हुआ. इसके साथ ही राजधानी के पुलिस आयुक्त को यह भी बताना होगा कि दिल्ली में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए क्या क़दम उठाए गए थे.

जस्टिस ओका ने कहा, ‘यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि प्रतिबंध आदेश के लागू न होने की स्थिति में स्थिति कितनी भयानक हो सकती है. दिल्ली सरकार तुरंत जवाब दे कि पटाखों की बिक्री और उनके इस्तेमाल को रोकना किसका कर्तव्य था.

मामले की न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी) और वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह ने इसी सुनवाई के दौरान अदालत का ध्यान पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं की ओर भी दिलाया. उन्होंने कहा, ‘दीपावली के एक दिन पहले यानी 30 अक्टूबर को लगभग 160 जगहों पर पराली जलाने की घटना दर्ज़ हुई है. दीपावली के दिन यानी 31 अक्टूबर को यह संख्या बढ़कर 605 हो गई.’

सुप्रीम कोर्ट में इस सुनवाई के दौरान उस रिपोर्ट का भी ज़िक्र हो चुका है जब 2015 में प्रदूषण का ओजोन परत पर पड़ते प्रभाव के विश्लेषण के दौरान मॉनिटर ने अपना काम करना बंद कर दिया था.

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट कई बार इस पर खुलकर अपनी राय भी ज़ाहिर कर चुका है कि कम अज़ कम राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को रोकने के लिए न सिर्फ़ दिल्ली में बल्कि आसपास के राज्यों को भी पटाखों के इस्तेमाल और पराली जलाने की घटनाओं से सख्ती से निपटने की ज़रूरत है.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट दिशानिर्देशों के बावजूद, पंजाब और हरियाणा में अब तक पूरी तरह से पटाखों पर प्रतिबंध नहीं लग सका है.