नई दिल्ली: कांग्रेस ने मंगलवार (5 नवंबर) को सूरत में पिछले 18 महीनों में हीरा श्रमिकों द्वारा आत्महत्या के मुद्दे को उठाया और सरकार से उन्हें बाजार में उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए वित्तीय सहायता देने का आग्रह किया.
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि नौकरी छूटने और कारखाने बंद होने से सूरत के हीरा श्रमिक संकट में हैं, जिसके परिणामस्वरूप 18 महीनों में 71 लोगों ने आत्महत्या की है.
रमेश ने कहा, ‘पिछले 18 महीनों में सूरत में कम से कम 71 हीरा श्रमिकों ने आत्महत्या कर ली है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘हीरा व्यापार के लिए दुनिया के सबसे बड़े केंद्रों में से एक के रूप में सूरत का एक लंबा और गौरवशाली इतिहास है. अनुमान है कि गुजरात में हीरा उद्योग में 25 लाख श्रमिक हैं, जिनमें से अकेले सूरत में 8-10 लाख श्रमिक हैं.’
उन्होंने कहा, ‘प्रयोगशाला में निर्मित हीरों के आगमन ने दुनिया भर के हीरा उद्योगों पर कहर बरपाया है. बड़े पैमाने पर छंटनी (सिर्फ़ फरवरी और जून 2024 के बीच 15,000 कर्मचारियों तक) और वेतन में कटौती के कारण सूरत बुरी तरह प्रभावित हुआ है. ऐसा होने की वजह से इस उद्योग में श्रमिकों के बीच बहुत बड़ा वित्तीय और मनोवैज्ञानिक संकट पैदा हो गया है.’
रमेश ने कहा, ‘ये हीरा श्रमिक स्थायी और पंजीकृत कर्मचारी नहीं हैं, इसलिए सरकार के पास उनके कल्याण के लिए कोई डेटा या विशिष्ट योजनाएं नहीं हैं. हमें इनके लिए बेहतर कदम उठाने चाहिए- इन श्रमिकों की पहचान करके इन्हें पंजीकृत करना चाहिए, इन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए और इस उद्योग एवं इसके श्रमिकों को बाज़ार की अनिश्चितताओं से बचाना चाहिए.’
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, डायमंड वर्कर्स यूनियन गुजरात (डीडब्ल्यूयूजी) के अनुसार, सूरत में पिछले 18 महीनों में कुल 71 हीरा श्रमिकों ने आत्महत्या की है. पिछले एक साल में इनमें से 45 मामले सामने आए, जिनमें से 31 पिछले छह महीनों में हुए.
रिपोर्ट के अनुसार, सूरत में आत्महत्याओं के मुख्य कारणों में वित्तीय अस्थिरता और बेरोजगारी है. डीडब्ल्यूयूजी के उपाध्यक्ष भावेश टैंक ने कहा, ‘जब ये आत्महत्याएं शुरू हुईं, तो हमने गुजरात के श्रम मंत्री को पत्र लिखकर इन श्रमिकों और उनके परिवारों को कुछ वित्तीय सहायता प्रदान करने का आग्रह किया. लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया.’
उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार द्वारा ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आत्महत्याओं का यह सिलसिला नहीं रुकेगा, जबकि हम ऐसे लोगों की पहचान करने और उनकी मदद करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.’
जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) की सितंबर की रिपोर्ट के अनुसार, कटे और पॉलिश किए गए हीरों का कुल सकल निर्यात 1,290.89 मिलियन डॉलर (10,822.37 करोड़ रुपये) रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 1,673.56 मिलियन डॉलर (13,892.3 करोड़ रुपये) की तुलना में 22.87 प्रतिशत कम है.
जहां तक कटे और पॉलिश किए गए हीरों का आयात है, तो यह 158.1 मिलियन डॉलर (1,312.73 करोड़ रुपये) से 20.11 प्रतिशत घटकर 126.3 मिलियन डॉलर (1,058.42 करोड़ रुपये) रह गया.