बंगाल: भड़काऊ भाषण को लेकर मिथुन चक्रवर्ती के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज

अभिनेता से भाजपा नेता बने मिथुन चक्रवर्ती के ख़िलाफ़ बिधाननगर पुलिस ने पिछले महीने उत्तर 24 परगना ज़िले में एक पार्टी कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में केस दर्ज किया है. 27 अक्टूबर को हुए उस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री भी मौजूद थे.

मिथुन चक्रवर्ती. (फोटो साभार: फेसबुक/ Mithun Chakraborty)

नई दिल्ली: अभिनेता से भाजपा नेता बने मिथुन चक्रवर्ती के खिलाफ बिधाननगर पुलिस ने पिछले महीने उत्तर 24 परगना जिले में एक पार्टी कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में बुधवार को मामला दर्ज किया है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चक्रवर्ती के खिलाफ शिकायत 27 अक्टूबर को साल्ट लेक के ईस्टर्न जोनल कल्चरल सेंटर (ईजेडसीसी) में भाजपा के एक कार्यक्रम में दिए गए भाषण को लेकर है, जिसके बाद बिधाननगर दक्षिण पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई.

चक्रवर्ती, जिन्हें इस वर्ष की शुरुआत में भारत के सर्वोच्च फिल्म पुरस्कार – दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, ने 27 अक्टूबर को घोषणा की थी कि 2026 के विधानसभा चुनावों के बाद पश्चिम बंगाल का ‘मसनद’ (सिंहासन) भाजपा का होगा और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कुछ भी करने की कसम खाई थी.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी भाजपा के सदस्यता अभियान के पश्चिम बंगाल चरण की शुरुआत के लिए आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित थे.

पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र (ईजेडसीसी) में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए चक्रवर्ती ने कहा था, ‘2026 में मसनद हमारा होगा और हम इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.’

ऑल्ट न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, चक्रवर्ती ने कहा था, ’26 की मसनद हमारा होगा, कुछ भी करेंगे, कुछ भी. मुख्य अतिथि गृह मंत्री साहब के सामने बोल रहा हूं… कुछ भी… कुछ भी के अंदर बहुत सारे मतलब छुपा हुआ है.’

लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं पर तृणमूल कांग्रेस विधायक हुमायूं कबीर की सांप्रदायिक टिप्पणी का स्पष्ट संदर्भ देते हुए चक्रवर्ती ने आगाह किया कि किसी को भी भगवा पार्टी के मतदाताओं को अगले विधानसभा चुनावों में मतदान से दूर रखने के लिए धमकाने का प्रयास नहीं करना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘देखिए, हमारे यहां एक नेता बोलता है कि हम 70% मुस्लिम हैं, 30% हिंदू हैं… हम इनको भागीरथी में बहा देंगे… हमने सोचा मुख्यमंत्री कुछ तो बोलेगा, ऐसी बात मत करो. किसी ने कुछ नहीं कहा. लेकिन हम मुख्यमंत्री नहीं हैं… लेकिन हम तो बोलेंगे, तुम काट के भागीरथी में फेंक दोगे… लेकिन एक दिन आएगा जब हम तुमको काट के भागीरथी में नहीं… भागीरथी हमारी मां है… पुण्य मां है. तुमको तुम्हारी ज़मीन के अंदर, तुमको फेंक देंगे उधर. इसलिए बार-बार कह रहा हूं, हम कुछ भी करेंगे… कुछ भी.’

इस भाषण के दौरान भीड़ जय-जयकार करती है, अमित शाह मुस्कुराते हुए नजर आते हैं.

चक्रवर्ती आगे कहते हैं, ‘हमको वो कार्यकर्ता चाहिए जो सामने आके लड़ेंगे… हमको वो कार्यकर्ता चाहिए जो सीना तान के बोलेंगे, ‘मार साला, देखता हूं तेरे में कितनी गोलियां हैं. हमको वो कार्यकर्ता नहीं चाहिए जो पैसा लेके काम कर रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘भाई लोग सुनलो – अगर आप हमारे झाड़ का एक फल तोड़ोगे तो हम आपके झाड़ का चार फल तोड़ देंगे… यही बात है, यही सच है. नहीं तो हम कभी जीत नहीं पाएंगे. ये हमको मारेंगे, हमारे हिंदू मतदाताओं को वोट नहीं देने देंगे और उसी तरह वो जीतेंगे. अगर वो हमारे हिंदू मतदाताओं को वोट नहीं देने देते, तो अगले साल हम भी तैयारी करेंगे और आपके वो मतदाता भी वोट नहीं देंगे.’

चक्रवर्ती ने कहा, ‘हम राजनीति किए हैं भैया, खून की राजनीति की है हमने. हमको सब मालूम है, कौन किधर से क्या करने वाला है, सब मालूम है. खाली आपका साथ चाहिए, आपकी हिम्मत चाहिए और वो सीना चाहिए.’

बिधाननगर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने मामले की जांच शुरू कर दी है.’

अखबार के अनुसार, एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘यह मामला साल्ट लेक निवासी कौशिक साहा द्वारा बिधाननगर उत्तर थाने में दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है. साहा ने चक्रवर्ती पर अपने भाषण में हिंसा और सांप्रदायिक नफरत भड़काने का आरोप लगाया है, जिसे कई समाचार चैनलों ने प्रसारित किया था.’

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें 192 (जानबूझकर या जानबूझकर दंगा भड़काना) और 196 (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) शामिल हैं.

इस बीच, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने एफआईआर को प्रतिशोध की राजनीति का मामला बताया. समाचार एजेंसी पीटीआई ने उनके हवाले से कहा, ‘उनके भाषण में कुछ भी भड़काऊ नहीं है. यह पुलिस को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करके उन्हें डराने की कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है.’