भारत के पूर्व राजदूतों ने ट्रंप की जीत को अच्छी ख़बर कहा, पर उनकी अस्थिरता को लेकर आगाह भी किया

हर्ष वर्धन श्रृंगला ने अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत को भारत के लिए एक अच्छी ख़बर बताते हुए कहा कि उनकी रणनीति भारत के उद्देश्यों के अनुरूप है. वहीं, अरुण कुमार ने अभी स्थिति को थोड़ा परखने की ज़रूरत को रेखांकित किया.

हर्ष वर्धन श्रृंगला और अरुण कुमार. (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जोरदार जीत दर्ज कर डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने जा रहें हैं. उन्होंने सत्ता में शानदार वापसी की है. ट्रंप की जीत पर दुनियाभर से अनेक प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं.

ऐसे में अमेरिका में भारत के पूर्व राजनयिक हर्ष वर्धन श्रृंगला और अरुण कुमार ने भी इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में ट्रंप सरकार को लेकर अपने विचार व्यक्त किए हैं.

हर्ष वर्धन श्रृंगला, जो ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान अमेरिका में कार्यरत थे,  ने ट्रंप की जीत को भारत के लिए एक अच्छी खबर बताते हुए कहा कि उनकी रणनीति भारत के उद्देश्यों के अनुरूपप है. श्रृंगला को 2019 में भारतीय राजदूत के रूप में अमेरिका में नियुक्त किया गया था. उन्होंने अखबार से बातचीत में कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंंप के बीच ‘अच्छे व्यक्तिगत संबंध’ हैं.

हालांकि, भारत के अन्य पूर्व राजदूत अरुण कुमार, जिन्होंने अमेरिका में ट्रंप शासन से पहले के वर्षों में सेवाएं दी थी, ने अखबार से कहा कि भले ही ट्रंप की जीत भारते के लिए अभी कोई चिंता की बात नहीं है, लेकिन आगे के लिए अभी कुछ भी कहने से पहले और इंतज़ार करना होगा.

उन्होंने कहा कि ट्रंप को एक अस्थिर किस्म का नेता माना जाता है और उनके फैसले अप्रत्याशित होते हैं, इसलिए अभी और इंतज़ार करना होगा और देखना होगा कि वे क्या करते हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक, एक अन्य राजदूत वेणु राजामोनी ने भी इस संबंध में भारत को सावधानीपूर्वक और सतर्क होकर आगे बढ़ने की सलाह दी है.

वेणु राजामोनी 2017 से 2020 तक नीदरलैंड में भारत के राजदूत के रूप में कार्यरत थे. उन्होंने ट्रंप की जीत को भारत के परिपेक्ष्य में विश्लेषण करने के लिए अभी इंतज़ार करने और ट्रंप शासन के कदमों पर नज़र रखने को कहा है.

उनके अनुसार, ‘भारत-अमेरिकी संबंध की नींव मजबूत हैं और भारत पिछली ट्रंप सरकार के साथ काम कर चुका है. डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच भी अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं, जिसका आधार अमेरिका में भारतीय समुदाय है. इसलिए ये माना जा सकता है कि भारत-अमेरिका संबंध लगातार मजबूत होते रहेंगे.’

हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि भारत इस संबंध को हल्के में नहीं ले सकता. क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप के लिए हमेशा अमेरिका पहले है. उन्होंने कहा कि चूंकि ट्रंप पहले अमेरिका के हितों को सुरक्षित करना चाहते हैं, इसलिए भारत सरकार को द्विपक्षीय संबंधों में उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहना होगा.

बुधवार (6 नवंबर) को जीत की कगार पर खड़े ट्रंप ने फ्लोरिडा के वेस्ट पाम बीच पर अपने समर्थकों से कहा कि यहां से अमेरिका के लिए सुनहरे दौर की शुरुआत होगी और वे अब कोई जंग नहीं होने देंगे.

उन्होंने आईएसआईएस का जिक्र करते हुए कहा, ‘चार साल में हमारे बीच कोई जंग नहीं हुई है. हमने आईएसआईएस को हराया है. वह युद्ध शुरू करेगा, मैं युद्ध शुरू नहीं करने जा रहा हूं, मैं युद्ध रोकने जा रहा हूं.’

ट्रंप के इस बयान की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए श्रृंगला ने कहा कि यह शांति और स्थिरता के लिए भारत की बार-बार की गई अपील और पीएम मोदी के उस बयान के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह ‘युद्ध का युग नहीं है.’

ज्ञात हो कि 2019 में नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंंप ने ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में 50,000 से अधिक लोगों की एक सभा को संयुक्त रूप से संबोधित किया था, जो अमेरिका में किसी विदेशी नेता द्वारा आयोजित अब तक की सबसे बड़ी रैली थी.

हालांकि, पिछले महीने राष्ट्रपति चुनावी अभियान के दौरान ट्रंंप ने भारत को व्यापार के मामले में बहुत बड़ा ‘दुर्व्यवहारकर्ता’ बताया था और राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद पारस्परिक कर (reciprocal tax) लगाने की बात कही थी.

इस संबंध में श्रृंगला ने कहा कि दोनों देशों के बीच चल रही मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) वार्ता उनके व्यापार के बीच संतुलन ला सकती है. उन्होंने आगे कहा कि एक बार जब नए राष्ट्रपति पद पर आसीन हो जाएंगे, तो संभव है कि मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत को आगे बढ़ाया जाएगा.

अरुण सिंह, जो वर्तमान विदेश मंत्री एस.  जयशंकर के बाद अमेरिका में भारतीय राजदूत बने और बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहने के दौरान कुछ वर्षों तक सेवा दी, ने कहा कि साल 2000 में बिल क्लिंटन की भारत यात्रा के बाद से ही हर अमेरिकी प्रशासन के साथ भारत के संबंधों मजबूत हुए हैं.

उन्होंने 2015 में गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में ओबामा की भारत यात्रा और तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश द्वारा भारत के साथ नागरिक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत अब अमेरिका का रक्षा और प्रौद्योगिकी साझेदार बन गया है.

अरुण सिंह कहते हैं, ‘ट्रंप के राष्ट्रपति शासनकाल के दौरान ही क्वाड को पुनर्जीवित किया गया था और उन्होंने ही इंडो-पैसिफिक की बात की थी, जिससे संकेत मिलता है कि भारत उस अर्थ में भागीदार है.’

सिंह ने कहा कि 2020 में गलवान झड़प के दौरान ट्रंप ने भारत को ड्रोन पट्टे पर देने, सूचना और खुफिया जानकारी साझा करने और एलएसी पर तैनात भारतीय सैनिकों को सर्दियों के कपड़ों की आपूर्ति को मंजूरी दी थी.

वे कहते हैं, ‘रूस के प्रति संयुक्त राज्य अमेरिका के दृष्टिकोण में बदलाव हो सकता है, जो भारत के लिए मददगार साबित हो सकता है.

हालांकि, उन्होंने इसके लिए अभी इंतजार करने और चीन के प्रति उनके दृष्टिकोण पर नजर रखने की भी बात कही.

सिंह ने ट्रंप को एक अस्थिर और अप्रत्याशित फैसले लेने वाले व्यक्ति बताते हुए कहा कि भारत को किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए.

अरुण सिंह ने खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के साजिश मामले में अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा भारत की कथित भूमिका के आरोपों पर कहा कि ये न्यायिक प्रक्रिया है, जो जारी रहेगी. ट्रंप भारत के साथ कैसे व्यवहार करते हैं, इससे इन मामलों के प्रभावित होने की संभावना नहीं है.

गौरतलब है कि साल 2020 में जब डोनाल्ड ट्रंप जो बाइडन से चुनाव हारे थे तो लगा था कि उनका सियासी करिअर समाप्त हो गया है. लेकिन ट्रंप ने इस बार ऐतिहासिक जीत से वापसी की है. अमेरिका के इतिहास में ये दूसरी बार हुआ है, जब कोई राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद फिर से ह्वाइट हाउस में लौटा है. इससे पहले ग्रोवर क्लीवलैंड 1884 में और फिर 1892 में राष्ट्रपति चुने गए थे.