श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर विधानसभा द्वारा पारित अनुच्छेद 370 के प्रस्ताव से उपजे राजनीतिक विवाद ने गुरुवार (7 नवंबर) को और तूल पकड़ लिया, जिसके परिणामस्वरूप विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ विधायकों को सदन से मार्शलों द्वारा बाहर निकाल दिया गया.
बुधवार (6 नवंबर) को पारित किए गए प्रस्ताव के खिलाफ भाजपा के सदस्यों द्वारा अपना विरोध जारी रखने और सदन की कार्यवाही को बाधित करने के बाद गुरुवार को सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई.
कश्मीर आधारित पार्टियों (सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस के अलावा) के विधायकों के एक समूह ने गुरुवार को सदन में अनुच्छेद-370 का तीसरा प्रस्ताव भी पेश किया, जो भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने और पूर्ववर्ती राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने के फैसले के खिलाफ व्यापक गुस्से को दर्शाता है.
विपक्षी दलों ने उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार पर अपने ‘निरर्थक’ प्रस्ताव के साथ भाजपा के सामने सरेंडर करने का आरोप लगाया है, और इसे हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में पार्टी को जम्मू-कश्मीर के लोगों द्वारा दिए गए जनादेश के साथ ‘गंभीर विश्वासघात’ करार दिया.
भाजपा और कश्मीर आधारित दलों के विधायक सदन के वेल में पहुंचे
गुरुवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया और भाजपा के नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रस्ताव पर बोलने के लिए खड़े हो गए. भाजपा प्रस्ताव को वापस लेने की मांग कर रही है.
जब शर्मा बोल रहे थे, तब अवामी इत्तेहाद पार्टी के एकमात्र विधायक शेख खुर्शीद एक बैनर लेकर विधानसभा के वेल में आ गए, जिस पर ‘अनुच्छेद 370 और 35-ए की बहाली’ और ‘राजनीतिक कैदियों की रिहाई’ की मांग की गई थी.
इस घटना से भाजपा विधायक भड़क गए, जिनमें से कुछ विधानसभा के वेल में कूद गए और हंगामा शुरू हो गया, जिसके कारण स्पीकर अब्दुल रहीम राथर को सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी.
हालांकि, सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) के कुछ विधायकों के भी वेल में आने और हाथापाई के बाद अराजकता का माहौल बना रहा, जिसके दौरान भाजपा विधायकों ने अनुच्छेद-370 के बैनर को फाड़ दिया.
सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होने पर भाजपा के विधायकों ने हंगामा जारी रखा और सत्तारूढ़ पार्टी पर कटाक्ष किया. विपक्ष के नेता शर्मा ने कहा, ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस को विशेष दर्जे का नाटक बंद कर देना चाहिए’, जिससे सत्ता पक्ष की नाराजगी और बढ़ गई.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक विधायक ने जवाब दिया, ‘आरएसएस का एजेंडा यहां काम नहीं करेगा, यह सदन जम्मू-कश्मीर के लोगों के एजेंडे से चलेगा.’
बाद में भाजपा विधायकों ने फिर से नारेबाजी शुरू कर दी.
भाजपा विधायकों को मार्शलों द्वारा बाहर निकाला गया
विपक्ष का व्यवहार स्पीकर को पसंद नहीं आया. स्पीकर राथर ने कहा, ‘हर चीज़ की एक सीमा होती है. मैं कुछ भी गलत नहीं करना चाहता. यह (विधानसभा) कोई मछली बाज़ार नहीं है. कृपया बैठ जाइए.’
हालांकि, बार-बार अनुरोध के बावजूद भाजपा सदस्य नहीं माने, जिसके बाद स्पीकर ने मार्शलों को आदेश दिया कि वे उन्हें बाहर निकाल दें. बाद में सत्तारूढ़ पार्टी और कश्मीर आधारित पार्टियों के विधायकों द्वारा मेज थपथपाने के बीच भाजपा के तीन विधायकों को मार्शलों द्वारा विधानसभा से बाहर निकाल दिया गया.
हालांकि, शेष भाजपा सदस्यों ने अपना आंदोलन जारी रखा, जिससे कुछ एनसी सदस्यों ने अपना विरोध शुरू कर दिया.
पहलगाम विधानसभा क्षेत्र से चुने गए एनसी के अल्ताफ कुल्लो ने चिल्लाते हुए कहा, ‘जम्मू कश्मीर की आवाज क्या है.’, जिस पर अन्य एनसी सदस्यों ने जवाब दिया, ‘370 और क्या.’
एनसी विधायकों ने भाजपा सदस्यों पर जम्मू-कश्मीर में ‘लोकतंत्र की हत्या’ करने का भी आरोप लगाया. एक एनसी विधायक ने कहा, ‘आपकी दुकानें बंद हो गई हैं. प्रस्ताव पारित होने के बाद जम्मू जश्न मना रहा है. आप बेरोजगार हो गए हैं. आप राजनेता नहीं हैं, आप अभिनेता बन गए हैं. आप कब तक अनुच्छेद 370 और मंदिर बेचेंगे.’
स्पीकर ने फिर से भाजपा विधायकों से बैठने और सदन को चलने देने का आग्रह किया. हालांकि, वे नारे लगाते रहे, जिस बीच राथर ने कहा, ‘सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य अपनी सीटों पर बैठ गए हैं लेकिन आप मेरी बात नहीं सुन रहे हैं…’ यह कहकर उन्होंने सदन की कार्यवाही अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दी.
कश्मीर आधारित पार्टियों ने अनुच्छेद 370 पर नया प्रस्ताव पेश किया
इसके बाद पीडीपी के वहीद पारा और मीर फैयाज, एआईपी के खुर्शीद, पीसी के सज्जाद लोन और निर्दलीय विधायक शब्बीर अहमद कुल्ले ने विधानसभा में अनुच्छेद 370 पर नया प्रस्ताव पेश किया. इनमें से कुछ ने बुधवार को पारित किए गए प्रस्ताव में सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों पर आपत्ति जताई है.
नए प्रस्ताव में लिखा गया है, ‘यह सदन भारत सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को लागू करने के साथ-साथ अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए के असंवैधानिक और एकतरफा निरस्तीकरण की कड़ी निंदा करता है. इन कार्रवाइयों ने जम्मू-कश्मीर से उसका विशेष दर्जा और राज्य का दर्जा छीन लिया, जिससे भारत के संविधान द्वारा इस क्षेत्र और इसके लोगों को मूल रूप से दी गई मूलभूत गारंटी और सुरक्षा कमज़ोर हो गई.’
प्रस्ताव में कहा गया है, ‘यह सदन स्पष्ट रूप से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को उनके मूल, अपरिवर्तित रूप में तत्काल बहाल करने की मांग करता है और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 द्वारा किए गए सभी बदलावों को वापस लेने का आह्वान करता है. हम भारत सरकार से आग्रह करते हैं कि वह जम्मू और कश्मीर की विशिष्ट पहचान, संस्कृति और राजनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखने के उद्देश्य से सभी विशेष प्रावधानों और गारंटियों को बहाल करके जम्मू और कश्मीर की संवैधानिक और लोकतांत्रिक शुचिता का सम्मान करे.’
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)