नई दिल्ली: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की मौजूदगी को स्वीकार किया है, लेकिन कहा कि वे (खालिस्तान समर्थक) पूरी तरह सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.
उनकी यह टिप्पणी हाल ही में ओटावा के पार्लियामेंट हिल में दीपावली समारोह के दौरान आई. ध्यान रहे पिछले बरस सितंबर से ही खालिस्तान समर्थक चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक विवाद चल रहा है.
खालिस्तान समर्थकों को लेकर ट्रूडो ने क्या कहा?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके देश में खालिस्तान के कई समर्थक हैं, लेकिन वे पूरे सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. कनाडा में प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी की सरकार के भी समर्थक हैं. लेकिन वे भी सभी हिंदू कनाडाई लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.
उल्लेखनीय है कि पिछले साल ट्रूडो द्वारा निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित’ संलिप्तता के आरोप लगाए जाने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं.
भारत ने ट्रूडो के आरोपों को ‘बेतुका’ बताते हुए खारिज किया है. इस साल 14 अक्टूबर को भारत ने कनाडा के छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और अपने उच्चायुक्त संजय वर्मा और अन्य ‘लक्षित’ अधिकारियों को कनाडा से वापस बुला लिया था.
हालांकि कनाडा ने दावा किया था कि उसने भारत द्वारा मामले की जांच में सहयोग न मिलने पर भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था. भारत का कहना है कि कनाडा अपनी धरती से बिना रोक–टोक खालिस्तान समर्थक तत्वों की गतिविधियों को चलने दे रहा है.
पिछले सप्ताह खालिस्तान समर्थकों ने ब्रैम्पटन स्थित हिंदू सभा मंदिर और भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक कार्यक्रम में बाधा डाली थी.
ट्रूडो ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा था कि प्रत्येक कनाडाई को अपने धर्म का स्वतंत्रतापूर्वक और सुरक्षित तरीके से पालन करने का अधिकार है.
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत सरकार को कनाडा में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर ‘गहरी चिंता’ है.
टोरंटो स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने कहा कि वह इस महीने के लिए तय किए जा चुके कार्यक्रमों को रद्द कर रहा है, क्योंकि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों ने आयोजकों को अपेक्षित सुरक्षा प्रदान करने में अपनी असमर्थता व्यक्त की है.