मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सदन में बताया कि कॉलेज का नाम वंदेमातरम महाविद्यालय करने का फैसला सरकार का नहीं था.
नयी दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज कहा कि दयाल सिंह कॉलेज का नाम बदलने का फैसला सरकार का फैसला नहीं है और इस पर फिलहाल रोक लगा दी गई है.
जावड़ेकर ने यह बात शून्यकाल में तब कही जब शिरोमणि अकाली दल के सदस्य नरेश गुजराल ने यह मुद्दा उठाया. गुजराल ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दयाल सिंह कॉलेज की प्रबंधन समिति ने इस सांध्यकालीन कॉलेज का नाम बदल कर वंदेमातरम महाविद्यालय रखने का फैसला किया है.
उन्होंने कहा मैं मानता हूं कि वंदे मातरम कहने से हर भारतीय के मन में देशभक्ति की भावना बलवती हो जाती है. सरकार को पूरे देश में वंदेमातरम विश्वविद्यालयों की स्थापना करना चाहिए लेकिन किसी संस्थान के नाम को नहीं बदलना चाहिए.
गुजराल ने कहा अल्पसंख्यक संस्थान का नाम बदलने से सिखों की भावनाएं आहत हुई हैं. मेरे विचार से इसकी निंदा की जानी चाहिए. इस मुद्दे पर सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए गुजराल ने कहा कि प्रबंधन समिति को तत्काल बदला जाना चाहिए.
विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कॉलेज का नाम बदलने का फैसला केंद्र सरकार का फैसला नहीं था.
उन्होंने कहा यह सरकार का फैसला नहीं है और न ही यह सरकार को पसंद है. इसलिए हमने फैसले पर फिलहाल रोक लगाने और शीघ्र ही एक बैठक बुलाने को कहा है. यह हमें पसंद नहीं है और इस तरह से नहीं होगा.
जावड़ेकर ने यह भी बताया कि दयाल सिंह कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध है और विश्वविद्यालय को इस बारे में बता दिया गया है. उन्होंने कहा कि भावनाओं से खिलवाड़ कर अनावश्यक विवाद पैदा करना गलत है.
गुजराल ने कहा था कि परमार्थ कार्यों से जुडे़ दयाल सिंह मजीठिया ने अपना पूरा जीवन और अपनी जमा पूंजी शिक्षा में लगाई और कई स्कूल कॉलेज स्थापित किए. ज्ञात हो कि लाहौर में भी एक दयाल सिंह कॉलेज है.