नई दिल्ली: भारत में चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सा पद्धति की नियामक संस्था राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) में कई प्रमुख पद रिक्त पड़े हैं.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने एक सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन के जवाब का हवाला देते हुए बताया है कि 19 में से 10 पदों पर कोई नियुक्त नहीं है.
इनमें से दो पद पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड में खाली हैं. यह बोर्ड मेडिकल कॉलेजों के लिए पीजी मेडिकल कोर्स और सुपर–स्पेशलिटी कोर्स को विनियमित करता है.
इसी तरह अंडरग्रेजुएट मेडिकल कोर्स को विनियमित करने वाले बोर्ड में भी तीन पदों पर कोई नियुक्त नहीं हुई है.
एनएमसी के अंतर्गत आने वाला मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड (एमएआरबी) शिक्षा की गुणवत्ता और मानव संसाधन से संबंधित विभिन्न मापदंडों पर निजी और सरकारी दोनों तरह के मेडिकल कॉलेजों का मूल्यांकन करता है. साथ ही नए मेडिकल कॉलेजों को शुरू होने की अनुमति भी देता है. एमएआरबी में भी चार पद खाली पड़े हैं.
एनएमसी में एक और प्रमुख बोर्ड है एथिक्स एंड मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड (ईएमआरबी). ईएमआरबी डॉक्टरों के प्रोफेशनल मिसकंडक्ट (काम दौरान लापरवाही) के मामलों को देखता है. ईएमआरबी की पांच में से तीन पद खाली पडे़ हैं. यहां तक कि बोर्ड के अध्यक्ष का पद भी काफी समय से खाली है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से अक्टूबर में दिए गए आरटीआई जवाब में कहा गया है कि एनएमसी में विभिन्न पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया जारी हैं. बता दें कि एनएमसी स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन आता है.
केंद्र सरकार ने साल 2020 में मेडिकल शिक्षा को सुव्यवस्थित करने और मेडिकल कमिशन ऑफ इंडिया (एमसीआई) के भीतर की समस्याओं से छुटकारा पाने के उद्देश्य से एमसीआई की जगह एनएमसी की स्थापना की थी.
हालांकि, एनएमसी अतीत में कई कारणों से सुर्खियों में रहा है, जिसमें इसके विभिन्न बोर्डों के भीतर आंतरिक मतभेद और मेडिकल कॉलेजों की निरीक्षण रिपोर्ट को सार्वजनिक करने में हिचकिचाहट शामिल है. इसके अलावा कई डॉक्टरों ने एनएमसी द्वारा संस्थान के आधिकारिक लोगो को हिंदू देवता ‘धन्वंतरि’ की तस्वीर से बदलने पर भी सवाल उठाया था.