नई दिल्ली: झारखंड विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने सोमवार (11 नवंबर) को विधानसभा चुनाव के पहले चरण का प्रचार थमने के बाद अपना घोषणापत्र जारी कर दिया. इस घोषणा-पत्र में स्थानीय निवासियों से लेकर शिक्षा, कृषि और उद्योग समेत नौ क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
पार्टी ने महिलाओं के लिए भी खास घोषणा की, जिसमें राज्य सरकार की नौकरियों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया गया है.
इससे पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) ने भी पिछले शुक्रवार (8 नवंबर) को जारी अपने घोषणा पत्र में महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 33 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया था.
मालूम हो कि झारखंड में आधी आबादी यानी महिलाओं की बड़ी भागीदारी है. कई ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां महिला मतदाता निर्णायक की भूमिका में नज़र आ रही हैं और करीब 32 विधानसभा क्षेत्रों में मत हार-जीत का फैसला कर सकती हैं.
मतदाता सूची के अनुसार, राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या और अनुपात में उत्साहजनक वृद्धि देखी गई है. यहां लोकसभा चुनाव के दौरान प्रति एक हजार पुरुष मतदाताओं पर महिलाओं की संख्या 963 थी. वहीं, अब प्रति हजार पुरुष वोटर पर 18 और महिलाएं बढ़ गई हैं. राज्य में पुरुष मतदाताओं की कुल संख्या 1 करोड़ 31 लाख 44 हजार 236 है, जबकि महिला वोटरों की संख्या 1 करोड़ 28 लाख 99 हजार 19 है.
हालांंकि, ऐसा नहीं है कि ये मामला सिर्फ झारखंड का है, इससे पहले भी कई राजनीतिक दलों ने कई राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले महिलाओं के लिए नौकरियों को लेकर तमाम वादे और दांवे किए हैं. कई ने सत्ता में रहते, तो कई ने सत्ता पाने के बाद इसे हक़ीक़त में बदला भी है.
वे राज्य जहां सरकारी नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण प्राप्त है…
मध्य प्रदेश की भजनलाल सरकार ने हाल ही में राज्य की सरकारी नौकरियों में महिलाओं के आरक्षण को 33 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत कर दिया है. प्रदेश सरकार द्वारा इस फैसले को महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम कदम बताया गया, जिसकी शुरुआत भाजपा ने संसद में महिला आरक्षण बिल पास करके की थी और चुनावी रैलियों में इस संकल्प को बार-बार दोहराया गया था.
राजस्थान में भी चुनाव जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र के अनुसार, महिलाओं को पुलिस भर्ती में 33 प्रतिशत सरकार ने आरक्षण दे दिया. साथ ही प्रदेश में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्तियों में महिलाओं के लिए आरक्षण को 30 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया है.
उत्तराखंड में भी पुष्कर सिंह धामी सरकार ने महिलाओं को दिए गए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत के क्षैतिज आरक्षण फिर लागू कर दिया. इससे पहले महिलाओं को राज्य की सरकारी नौकरियों में 20 फीसदी आरक्षण का हक़ 18 जुलाई 2001 को मिला था, जिसे 24 जुलाई 2006 को तत्कालीन नारायण दत्त तिवारी ने 30 फीसदी कर दिया था.
हालांकि, बाद में इस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी, जिससे मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और फिर सरकार को राहत मिली. इस संबंध में धामी सरकार ने एक बार फिर नया विधेयक 29 नवंबर 2022 को विधानसभा में पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से विधेयक को पारित कर दिया गया और राज्यपाल से इसे मंजूरी भी मिल गई.
पंजाब ने भी पहली बार साल 2020 में महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 33% आरक्षण देने का ऐलान किया था. तब राज्य मेंं कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार थी और इस कदम को महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक बताया गया था. उस समय कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव हारने के बाद अपनी ‘न्याय योजना’ के तहत महिलाओं को आगे बढ़ाने की योजनाएं अपने शासन वाले राज्यों में लागू करने की कोशिश में लगी थी. फिलहाल, यहां महिलाओं के लिए नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था लागू है.
बिहार में भी करीब आठ साल पहले साल 2016 में नीतीश सरकार के नेतृत्व में महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण का फैसला किया गया. ये 2015 में महागठबंधन के घोषणा पत्र में एक महत्वपूर्ण वादा था. हालांकि, इसके बाद बिहार की राजनीति में कई समीकरण बदले, लेकिन यह आरक्षण जारी रहा.
भाजपा शासित गुजरात में भी करीब एक दशक पहले 2014 में गुजरात की तत्कालीन आनंदीबेन पटेल सरकार ने महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 33 प्रतिशत कर दिया था.
कर्नाटक में भी इस साल मई 2024 में राज्य सरकार ने महिलाओं को आउटसोर्स सरकारी नौकरियों में 33 फीसदी आरक्षण अनिवार्य कर दिया. सरकारी पत्र के अनुसार, ये 33% आरक्षण सभी स्वायत्त निकायों, विश्वविद्यालयों, शहरी स्थानीय निकायों और अन्य सरकारी कार्यालयों के लिए थे.
पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में भी विधानसभा चुनावों से पहले 2022 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की थी. तब राज्य के मुख्यमंत्री बिप्लब देब हुआ करते थे और राज्य में भारतीय जनता पार्टी और स्वदेशी पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) की सरकार थी. यह आरक्षण लागू हो चुका है.
ज्ञात हो कि केंद्र के स्तर पर साल 2015 में तत्कालिन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अर्द्धसैनिक बलों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण लागू करने का ऐलान किया था. हालांकि, बाद में मीडिया रिपोर्ट्स में इसे लेकर दावा किया गया कि ये बल इस व्यवस्था के क्रियांव्यन को लेकर संघर्ष कर रहे हैं.
गौरतलब है कि झारखंड में 81 विधासभा सीटें हैं, जिसमें 28 सीटें आदिवासियों के लिए सुरक्षित हैं. यहां कुल दो चरणों में 13 नवंबर और 20 नवंंबर को वोट डाले जाएंगे. जबकि, नतीज़े 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे.