बादलों के पार की दुनिया हमेशा से ही इंसान को अपनी ओर खींचती आ रही हैं. इसी कौतूहल में इंसान कभी एवरेस्ट चढ़ने के लिए निकल जाता है तो कभी अंतरिक्ष यात्रा पर. अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स से हम वाबस्ता हैं कि कैसे उनकी एक सप्ताह की अंतरिक्ष यात्रा आठ महीने लंबे प्रवास में बदल गई है.
इसके बीच साहित्य की दुनिया से एक धूमकेतु प्रकट हुआ जब कल साल 2024 का बुकर पुरस्कार अंतरिक्ष यात्रा की कथा कहते वाले उपन्यास ‘ऑर्बिटल’ को मिलने की घोषणा हुई. ‘ऑर्बिटल’ की लेखक सामंथा हार्वे ने महज़ 49 साल में अपने नाम को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की सूची में शामिल कर लिया है. इससे पहले 2008 में प्रकाशित उनका पहला उपन्यास ‘वाइल्डरनेस’ अपने अलग विषय के लिए चर्चित हुआ था और मैन बुकर, गार्डियन फर्स्ट बुक अवॉर्ड सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए नामित था.
इस किताब पर टिप्पणी करते हुए लंदन स्टैंडर्ड (भूतपूर्व इवनिंग स्टैंडर्ड) न्यूजपेपर ने लिखा था कि यह ‘यह उदासी के शोर को छूता हुआ उपन्यास है.’ ‘वाइल्डरनेस’ अलजाइमर रोग से पीड़ित एक आदमी की कहानी बयान करता है जो दिनों-दिन अपनी बदतर होती स्थिति से जूझ रहा है और उससे बाहर निकलने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहा है.
वे अपने लेखन की शुरुआत अलजाइमर जैसे दुरूह विषय से करती हैं, अपनी साहित्यिक यात्रा पर आगे बढ़ने के क्रम में वह अंतरिक्ष और बादलों के पार बसी रहस्यमयी दुनिया को अपना कथानक बनाने का साहस दिखा देती हैं. कमाल देखिये कि उनका यह साहस मानित और प्रमाणित दोनों कर दिया जाता है.
जुलाई के अंतिम सप्ताह में बुकर पुरस्कार की लॉन्ग लिस्ट में शामिल तेरह किताबों की सूची के बारे में पढ़ते हुए मेरी नज़र जब ‘ऑर्बिटल’ पर गई तो यह देखकर झटका-सा लगा कि अंतरिक्ष यात्रा और विज्ञान जैसे विषय जो साहित्य की परिधि से अमूमन परे माने जाते हैं, उन पर लिखा गया उपन्यास इतनी प्रशंसा पा रहा है.
जाहिर है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साहित्यिक दुनिया में जो बदलाव हो रहे हैं, उन पर ध्यान देने और विस्तार से बात किए जाने और उसे समझे जाने की ज़रूरत है. तेरह लेखकों वाले इस लॉग लिस्ट में तीन लेखक ऐसे थे जिन्हें उनकी पहली ही साहित्यिक कृति के लिए इस लिस्ट में शामिल किया गया था.
इस बरस जहां एक तरफ़ दक्षिण कोरियाई लेखक हान कांग को उनके ऑफ-बीट विषयों और कथानक तथा लिरिकल शिल्प के लिए नोबेल मिला है, वहीं अंतरिक्ष और बादलों के पार की दुनिया पर आधारित कहानी लिखने के लिए सामंथा को बुकर पुरस्कार मिल रहा है. इन दोनों घटनाओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि साहित्य की दुनिया में एक बड़ा परिवर्तन आ रहा है या कहें कि आ चुका है और उसे यथासंभव शीघ्र पहचाने जाने और उस पर बात किए जाने की तत्काल ज़रूरत है.
साल 2023 में प्रकाशित 140 से भी कम पृष्ठ का उपन्यास ‘ऑर्बिटल’ जापान, रूस, अमेरिका, ब्रिटेन और इटली के छह अंतरिक्ष यात्रियों की महज़ 24 घंटे की कहानी है. ये छह अंतरिक्ष यात्री इतने समय में 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त का अनुभव करते हैं और इसी समयावधि में पूरी कहानी चलती है. लेखक ने इस छोटे से उपन्यास में अंतरिक्ष यान में सवार यात्रियों की आधिकारिक ज़िम्मेदारियों और काम के बारे में पर्याप्त और ज़रूरी जानकारी देते हुए नीचे धरती, मानव जीवन और मानवता को भी रेखांकित किया है.
इस किताब में आपको ज़मीन और ऊपर आसमान के जीवन की प्राथमिकताओं, स्थान और परिवेश बदलने से इंसानी सोच में आए बदलावों की भी झलक मिलती है. सामंथा ने अपने उपन्यास में मानव जीवन, ईश्वर के अस्तित्व, प्रकृति, जीवन के रोज़ नए गढ़े जा रहे अर्थों, विभिन्न देशों और प्रायद्वीपों के बीच भौगोलिक सीमाओं को लेकर होने वाले संघर्षों और को-हैबिटैट के ख़तरों की तरफ़ ध्यान दिलवाने का प्रयास किया है.
‘ऑर्बिटल’ जैसा उपन्यास हमें जीवन के नए रूप और आयाम के बारे में सोचने पर मजबूर करता है जहां जाति, धर्म और ऐसे ही तमाम पूर्वाग्रह बेमानी हो जाते हैं और एकमात्र चीज जो बच जाती है वह है जीवन. इस उपन्यास के प्रत्येक अध्याय में अंतरिक्षयान में अंतरिक्ष यात्रियों के जीवन को बहुत ही सरल और सटीक शब्दों में बताते हुए उनके संघर्षों को सहजता से दिखा दिया गया है जो पढ़ते हुए आपको महसूस भी नहीं होता है कि आपने जिस घटना के बारे में अभी अभी पढ़ा वह मामूली नहीं थी.
हाथ से कैंची का छूट जाना, ऑटो-डिस्पेंसर से खाने का निकलकर हवा में उड़ जाने जैसी घटनाएं हमें आपको सुनने और पढ़ने में मामूली लग सकती हैं लेकिन इन जैसी समस्याओं से जूझना कितना मुश्किल है इसकी वास्तविकता एक अंतरिक्ष यात्री ही बता सकता है. एक ऐसी जगह पर जीवन बिताना या जीवन के कुछ दिन बिताना जो लगातार घूम रही है, कितना दुष्कर होता होगा. एक बंद-सीमित जगह में मानवीय भावनाओं, इंसानी कल्पनाशक्ति और क्षमता, असुरक्षा, द्वेष, प्रेम, रंजिश के साथ ही आसमानी खेलों के अनुभव वाला यह उपन्यास आपको अपनी पठनीयता और बिलकुल नए विषय के कारण शुरू से अंत तक जोड़े रखता है.
‘ऑर्बिटल’ को पढ़ते हुए एक पाठक इंसानी जीवन, उसके विस्तार और उसकी भव्यता की कल्पना कर पाने और उसे देख पाने में सक्षम होता है. यह एक ऐसा उपन्यास है जिसमें या तो सभी इसके मुख्य पात्र हैं या फिर कोई नहीं है. 17,500 मील प्रति घंटे से पृथ्वी के इर्द-गिर्द घूमने वाले इस अंतरिक्ष यान पर सवार यात्रियों के माध्यम से अपनी कहानी कहने वाले इस उपन्यास के बारे में पूछे जाने पर सामंथा हार्वे का कहना है कि इंटरनेट पर अंतरिक्ष और अंतरिक्ष जीवन से जुड़े विभिन्न वीडियो देखकर ही उन्हें इस उपन्यास को लिखने की प्रेरणा मिली थी.
अपने लिरिकल और तीखी भाषा के कारण बुकर पुरस्कार से पुरस्कृत ‘ऑर्बिटल’ को इससे पहले कल्पनाशील साहित्य के लिए प्रसिद्ध अमेरिकी उपन्यासकार नथानिएल हॉथोर्न के सम्मान में अमेरिकन राइटिंग अवॉर्ड्स डॉट कॉम (AmericanWritingAwards.com) द्वारा स्थापित ‘हॉथोर्नडेन पुरस्कार’, पॉलिटिकल फिक्शन के लिए दिया जाने वाले ऑरवेल पुरस्कार और फिक्शन के लिए विज्ञान कथा का पर्याय अमेरिकी लेखक उर्सुला के. ले गिनी के नाम पर दिया जाने वाले पुरस्कार के लिए चुना जा चुका है.
हार्वे ने सृष्टि की असाधारण सुंदरता और वैचित्र्य से प्रभावित होकर यह उपन्यास रचा है. हार्वे चाहती थीं कि उनके इस उपन्यास को सुंदरता और प्रेम के साथ किसी नायाब चीज पर लिखी गयी किताब के रूप में पढ़ा जाए. बुकर समिति ने उनकी इस आकांक्षा को साकार कर दिया है.
(लेखक कोरियाई भाषा की अध्येता हैं और दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में पढ़ाती हैं.)