आंध्र प्रदेश: कर्नूल में यूरेनियम भंडार की खोज के विरोध में उतरे स्थानीय लोग

परमाणु खनिज अन्वेषण और अनुसंधान निदेशालय ने यूरेनियम भंडार की खोज के लिए आंध्र प्रदेश के कर्नूल के देवनाकोंडा ब्लॉक में आरक्षित वन क्षेत्र में 68 बोरवेल खोदने का प्रस्ताव रखा है, जिसका स्थानीय ग्रामीण कड़ा विरोध कर रहे हैं. आंदोलन के बाद सीएम ने यह प्रक्रिया रोकने को कहा है.

ग्रामीणो का विरोध प्रदर्शन. (फोटो साभार: X/@SMirapakay)

नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के कर्नूल जिले के देवनाकोंडा ब्लॉक में कप्पात्राल्ला के जंगलों में यूरेनियम भंडार की खोज के लिए परमाणु खनिज अन्वेषण और अनुसंधान निदेशालय (एएमडी) द्वारा किए गए ताजा प्रयास को स्थानीय ग्रामीणों से कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के अधीन एएमडी ने यूरेनियम भंडार की खोज के लिए अडोनी रेंज के तहत कप्पात्राल्ला के 468.25 हेक्टेयर आरक्षित वन क्षेत्र में 68 बोर खोदने का प्रस्ताव रखा है.

26 जून, 2023 को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर आरक्षित वन क्षेत्र में यूरेनियम भंडार के लिए सर्वेक्षण कराने को मंजूरी दे दी.

कप्पात्राल्ला और आसपास के ग्रामीणों को यूरेनियम भंडार के लिए आरक्षित वन में ड्रिलिंग करने के एएमडी के प्रस्ताव के बारे में तब तक जानकारी नहीं थी, जब तक कि एएमडी के अधिकारी, स्थानीय राजस्व और वन अधिकारियों के साथ अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में ड्रिलिंग करने के लिए क्षेत्र में नहीं पहुंचे.

कप्पात्राल्ला के सरपंच पी. चेन्नामा नायडू ने कहा, ‘दरअसल, 2018 में अधिकारी कुछ प्रारंभिक सर्वेक्षण करने के लिए यहां आए थे. जब हमने उनसे पूछा, तो उन्होंने हमें बताया कि सर्वेक्षण कुछ खनिज ढूंढने के लिए है, जो केवल 6.8 हेक्टेयर तक सीमित है. हमने तब इस गतिविधि पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया.’

उन्होंने आगे कहा कि लेकिन जब एएमडी अधिकारियों, वन और राजस्व अधिकारियों ने यूरेनियम की खोज के लिए सर्वे शुरू किया, तो ग्रामीणों को संदेह हुआ और उन्होंने कड़ा प्रतिरोध किया.

गांवों के कई शिक्षित युवाओं, जिनमें चेन्नामा नायडू भी शामिल हैं, जिनके पास बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) में स्नातकोत्तर की डिग्री है, को पिछले साल पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के बाद प्रस्ताव के बारे में जानकारी मिली और उन्होंने ग्रामीणों को शिक्षित करने की पहल की.

नायडू ने कहा, ‘यह इंटरनेट का युग है और ऐसी किसी भी गतिविधि के बारे में कोई भी जानकारी तुरंत उपलब्ध है. शिक्षित युवाओं ने प्रस्तावित यूरेनियम खोज के खिलाफ ग्रामीणों के बीच अभियान का नेतृत्व किया.’

ग्रामीणों की ओर से कप्पात्राल्ला के सरपंच ने सोमवार को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव को एक पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया कि वे कप्पात्राल्ला के तीन किलोमीटर के दायरे में स्थित आरक्षित वन क्षेत्र में यूरेनियम की खोज के प्रस्तावित प्रयास को रोक दें.

नायडू ने कहा, ‘यूरेनियम के लिए खोज शुरू करने का प्रस्ताव अचानक से आया है. हर कोई इस बात से आशंकित है कि इस तत्व से निकलने वाली रेडियोधर्मिता इसके 25 किलोमीटर के दायरे में पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करेगी. इसके परिणामस्वरूप तापमान बढ़ेगा और जंगलों में वनस्पतियों और जीवों पर असर पड़ेगा.’

सरपंच ने कहा कि आरक्षित वनों की वजह से इलाके के 25 गांवों में थोड़ी बारिश होती है. इसके अलावा, जंगलों के बीच में भगवान चेन्ना केशव का 500 साल पुराना मंदिर और दो जलाशय हैं. उन्होंने केंद्रीय मंत्री से यूरेनियम खोज की अनुमति वापस लेने की अपील की.

2 नवंबर को कप्पात्राल्ला और उसके आसपास के गांवों पी. कोटाकोंडा, बेथापल्ली, चेल्लेला चेलिमाला, मादापुरम और गुंडलकोंडा के हजारों लोगों ने ‘कप्पात्राल्ला बचाओ’ के नारों के साथ एक रैली निकाली.

वामपंथी दलों और स्थानीय वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेताओं की भागीदारी से इस मुद्दे ने राजनीतिक रूप भी ले लिया.

एक स्थानीय दैनिक के संवाददाता कोंडप्पा ने कहा, ‘ग्रामीणों ने पहले जिला कलेक्टर पी. रंजीत बाशा को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें उनसे यूरेनियम अन्वेषण में केंद्रीय अधिकारियों के साथ सहयोग न करने का अनुरोध किया गया था.’

कोंडप्पा ने बताया कि ग्रामीणों ने अडोनी-कर्नूल सड़क को घेर लिया तथा अपने गांवों में यूरेनियम खोज के किसी भी प्रयास को तत्काल रोकने की मांग की, जिससे एएमडी अधिकारियों को फिलहाल अपने प्रस्ताव से पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा.

3 नवंबर को जिला प्रशासन ने स्थानीय लोगों की चिंताओं को दूर करने के लिए ग्रामीणों के साथ एक बैठक का प्रस्ताव रखा था, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इसका बहिष्कार किया और घोषणा की कि वे अपना आंदोलन तेज करेंगे.

इसके बाद 6 नवंबर को कर्नूल के पुलिस अधीक्षक जी. बिंदु माधव ने एक बयान जारी कर कहा कि जिला अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि आरक्षित वन क्षेत्र में कोई खुदाई गतिविधि नहीं होगी. उन्होंने स्थानीय लोगों से अपील की कि वे इस मुद्दे को और न बढ़ाएं और आंदोलन न करें.

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर क्षेत्र में खनन गतिविधि की अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी.

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया यूरेनियम के लिए बोरवेल खोदना बंद करें

इस बीच, मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने अधिकारियों को कर्नूल जिले के कप्पात्राल्ला आरक्षित वन क्षेत्र में यूरेनियम खोजने के लिए बोरवेल की खुदाई रोकने से संबंधित निर्देश जारी किए हैं.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, जिला कलेक्टर पी. रंजीत बाशा ने मंगलवार रात एक बयान में कहा कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को जिले में यूरेनियम की उपलब्धता का आकलन करने की प्रक्रिया पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं.

रंजीत बाशा ने कहा, ‘हमने यूरेनियम खनन प्रक्रिया के खिलाफ ग्रामीणों के आंदोलन और चिंताओं को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया है, जिन्होंने हमें इस प्रक्रिया को रोकने के लिए कहा है. उनके निर्देश के अनुसार, आरक्षित वन क्षेत्र में यूरेनियम की उपलब्धता का आकलन करने के लिए बोरवेल की खुदाई नहीं की जाएगी. हम उन लोगों से अनुरोध करते हैं, जो बोरवेल की खुदाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, कि वे अपना आंदोलन रोक दें.’