नई दिल्ली: चुनावी राज्य महाराष्ट्र की राजनीति में ‘अडानी विमर्श’ ज़ोर पकड़ चुका है. 11 नवंबर को प्रकाशित एक इंटरव्यू में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने दावा किया था कि पांच साल पहले उद्योगपति गौतम अडानी भाजपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के शीर्ष नेताओं के बीच सरकार गठन को लेकर हुई बैठक का हिस्सा थे.
हालांकि अब वह पलट गए हैं. न्यूज़ एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि ‘मैंने कहा कि वह (गौतम अडानी) वहां नहीं थे. …अडानी के गेस्ट हाऊस में हम बैठे थे. एक राज्य की सरकार बनाने में उद्योगपति का क्या काम. कभी-कभी हम इतने व्यस्त होते हैं और गलती से मैंने एक बयान दे दिया…’
#WATCH | On his claim of Adani’s 2019 meeting presence, NCP leader & Maharashtra Dy CM Ajit Pawar says, “I said that he (Gautam Adani) was not present there…We were at Adani’s guest house. In state government formation, there is no role of an industrialist. Sometimes we are so… pic.twitter.com/6HEn4v17Pj
— ANI (@ANI) November 15, 2024
पहले क्या कहा था?
द न्यूज मिनट और न्यूज़लॉन्ड्री ने एक इंटरव्यू के दौरान जब अजित पवार से पूछा कि आपने तो भाजपा का समर्थन किया लेकिन शरद पावर ने ऐसा नहीं किया?
इस पर अपना बचाव करते हुए अजित पवार ने कहा, ‘आपको मालूम नहीं है. उस बात को पांच साल हो गए. सबको मालूम है कि कहां मीटिंग हुई. दिल्ली में किस उद्योगपति के घर में मीटिंग हुई थी. उस मीटिंग में अमित शाह थे, गौतम अडानी थे, प्रफुल्ल पटेल थे, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार थे, पवार साहब (शरद पवार) थे. सब थे.’
Behind Maharashtra’s game of thrones, the hand of a billionaire tycoon?
Ajit Pawar tells me he was present at meetings with Gautam Adani, Amit Shah and Sharad Pawar, to plan the NCP’s crossing over to the BJP.
Watch the interview: https://t.co/d83G7lrel4 pic.twitter.com/s1evbr4VBA
— Sreenivasan Jain (@SreenivasanJain) November 11, 2024
अजित पवार के मुताबिक़, यह बैठक 2019 के विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद हुई थी, जिसका मकसद भाजपा को समर्थन देने की संभावनाओं पर विचार करना था.
ज्ञात हो कि उस चुनाव में भाजपा (105) -शिवसेना (56) गठबंधन के पास बहुमत से ज्यादा सीटें (161) सीटें थीं, लेकिन दोनों के बीच सरकार बनाने को लेकर सहमति नहीं बन पा रही थी. दूसरी तरफ़ कांग्रेस-एनसीपी का गठबंधन थी, जिसे 106 सीटों पर ही जीत मिली थी. यह गठबंधन बहुमत से काफी दूर था. अकेले एनसीपी के पास 54 सीटें थी, जो भाजपा के साथ मिलकर बहुमत के आंकड़े (145) को छू सकती थी.
अजित पवार ने स्पष्ट किया है कि यह सब सीनियर पवार (शरद पवार) की जानकारी में किया गया था. वह एक ‘पार्टी कार्यकर्ता’ के रूप में अपने नेता का अनुसरण कर रहे थे.
अजित पवार के खुलासे पर शरद पवार का भी बयान आया है, जहां उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि कारोबारी गौतम अडानी के घर बैठक हुई थी.
द न्यूज मिनट और न्यूज़लॉन्ड्री से ही बातचीत में शरद पवार ने कहा है कि दावत अडानी के दिल्ली स्थित आवास पर हुई थी. शरद पवार ने बताया कि उनके अलावा, अजित पवार, अमित शाह और गौतम अडानी मौजूद थे लेकिन अडानी ने राजनीतिक चर्चा में भाग नहीं लिया था.
यह बैठक अजित पवार के उपमुख्यमंत्री के रूप में सुबह-सुबह शपथ लेने से पहले हुई थी, जिसमें देवेंद्र फडणवीस सीएम बने थे और यह सरकार मुश्किल से 80 घंटे चली थी.
द न्यूज मिनट और न्यूज़लॉन्ड्री के मुताबिक़, ‘शरद पवार ने यह भी माना कि उनके लोग बार-बार इस बात का दबाव बना रहे थे कि उनके खिलाफ जो केस हैं और केंद्रीय एजेंसियां उनके पीछे पड़ी हैं, उससे बचने के लिए भाजपा को समर्थन देने पर विचार करना चाहिए. इस कारण वो मीटिंग में गए.’
वर्तमान में विधानसभा चुनाव आसन्न हैं और मौजूदा राजनीतिक हालात ये है कि अजित पवार अपनी चाचा शरद पवार की पार्टी एनसीपी को छोड़ अलग पार्टी बना चुके हैं. शरद पावर की पार्टी कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव) के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. अजित पवार की पार्टी भाजपा और शिवसेना (शिंदे) के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है.
विपक्ष ने भाजपा और अडानी के ख़िलाफ़ खोला मोर्चा
पवार सीनियर और जूनियर के खुलासे के बाद विपक्ष के उन आरोपों को बल मिला है कि उद्योगपति अडानी, मोदी सरकार में ‘अनुचित प्रभाव’ रखते हैं.
कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने एक्स पर लिखा है, ‘जब आप सोचते हैं कि मोदी और अडानी के बीच इस गठजोड़ के बारे में इससे ज़्यादा चौंकाने वाली कोई बात नहीं हो सकती तो बेशर्मी का एक नया उदाहरण सामने आता है. एक व्यापारी को आधिकारिक तौर पर सरकारों को गिराने के लिए बातचीत का हिस्सा बनने की अनुमति कैसे दी जा सकती है?’
हालांकि इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि कांग्रेस शरद पवार को नाराज़ नहीं करना चाहती थी, इसलिए मामले को ज्यादा तूल नहीं दिया जा रहा है. जबकि पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस अडानी पर हमला करने और मोदी सरकार से उनकी निकटता का आरोप लगाने में सबसे आगे रही है.
उधर, राज्यसभा सांसद और शिवसेना (उद्धव) की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने एक्स एक पोस्ट में लिखा है, ‘कैबिनेट में एक वरिष्ठ मंत्री द्वारा डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को दिए गए साक्षात्कार के अनुसार, गौतम अडानी ने उन बैठकों में भाग लिया, जिसमें यह तय किया गया कि कैसे महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता में लाया जाए. इससे कुछ गंभीर सवाल उठते हैं: क्या वह (अडानी) भाजपा के अधिकृत वार्ताकार हैं? क्या उन्हें गठबंधन तय करने की ज़िम्मेदारी दी गई है? एक व्यवसायी इतनी उत्सुकता और बारीकी से महाराष्ट्र में किसी भी कीमत पर भाजपा को सत्ता में लाने के लिए क्यों काम कर रहा है?’
इस बैठक के बारे में पूछे जाने पर शरद पवार की बेटी और एनसीपी (शरद पवार) सांसद सुप्रिया सुले ने दावा किया कि उन्हें ऐसी किसी बैठक के बारे में पता नहीं है.
द न्यूज मिनट और न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में सुले ने स्पष्ट किया है, ‘गौतम अडानी से हमारे 30 साल से पारिवारिक संबंध हैं. हमने इसे छुपाया नहीं है. अजित पवार ने कुछ बोला है तो आप उनसे पूछो कि कब और कितने बजे मीटिंग हुई है. इसका जवाब वही दे सकते हैं.’