जम्मू-कश्मीर: सीएम अब्दुल्ला ने सिंधु जल समझौते को अनुचित बताया, विपक्ष ने कहा- भाजपा के बोल

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली मंत्रियों के एक सम्मेलन में उमर अब्दुल्ला ने सिंधु जल संधि को जम्मू-कश्मीर की बिजली समस्याओं की वजह बताया था. उनके राजनीतिक विरोधियों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि वे भाजपा की तरह ही संधि को लेकर झूठ बोल रहे हैं.

उमर अब्दुल्ला. (फोटो साभार: फेसबुक/@Omar Abdullah)

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के हाल ही में सिंधु जल संधि को लेकर दिए एक बयान पर सियासी घमासान शुरू हो गया है. विपक्ष ने उन पर इस संधि को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तरह ही झूठ फैलाने का आरोप लगाया है, तो वहीं उनकी पार्टी इसका बचाव करती नज़र आ रही है.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, अब्दुल्ला के यह कहने के बाद कि भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि केंद्र शासित प्रदेश के लिए अनुचित है और यह क्षेत्र में बिजली की समस्या का कारण है.

राजनीतिक विरोधियों ने इस बयान को लेकर उनकी तीखी आलोचना की है. हालांकि, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने उनका बचाव करते हुए कहा है कि अब्दुल्ला ने अपने बयान में संधि को रद्द करने की बात नहीं कही थी, वे केवल जम्मू-कश्मीर को हुए नुकसान के लिए मुआवजे की मांग कर रहे थे.

मालूम हो कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली मंत्रियों के एक सम्मेलन में बोलते हुए सीएम उमर ने कहा था कि सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) मुख्य रूप से भंडारण संबंधी बाधाओं के कारण केंद्र शासित प्रदेश की विशाल जल विद्युत संभावनाओं का दोहन करने की क्षमता को बाधित कर रही है. इसके चलते जम्मू-कश्मीर को सर्दियों के महीनों में भारी कीमत चुकानी पड़ती है, जब बिजली उत्पादन कम हो जाता है, जिससे लोगों के लिए कठिनाइयां पैदा होती हैं .

गौरतलब है कि 1960 में सिंधु जल संधि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति मार्शल मोहम्मद अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे. इस संधि के प्रावधानों के तहत भारत को ‘पूर्वी नदियों’ – सतलुज, ब्यास और रावी के पानी तक अप्रतिबंधित पहुंच दी गई है. वहीं, पाकिस्तान का सिंधु, झेलम और चिनाब सहित ‘पश्चिमी नदियों’ के पानी पर अधिकार बरकरार रखा गया है.

उमर पर हमलावर विपक्ष

उमर के बयान की आलोचना करते हुए पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि सिंधु जल संधि की आलोचना केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को खुश कर रही होगी. ये दक्षिणपंथी बकवास है और हाल ही में निर्वाचित मुख्यमंत्री केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को खुश करने के लिए उनकी ओर झुक रहे हैं.

लोन के अनुसार, इस संधि के बावजूद जम्मू-कश्मीर में पर्याप्त जल संसाधन हैं जिनका उपयोग जल विद्युत उत्पादन के लिए किया जा सकता है और अबतक केंद्र शासित प्रदेश अपनी क्षमता का 20 प्रतिशत भी दोहन नहीं किया है.

उमर के बयान पर पीडीपी प्रमुख और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने भी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धों और आपसी तनाव से बची हुई है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार को दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा करने की कोशिश करने के बजाय केंद्र से अधिक शक्तियां मांगनी चाहिए.

महबूबा ने आगे कहा, ‘जब फारूक अब्दुल्ला सीएम थे, तो उन्होंने एनएचपीसी को सात परियोजनाएं सौंपी थीं. रंगराजन समिति की सिफ़ारिशों के अनुसार, हमें दो बिजली परियोजनाएं वापस मिलनी चाहिए. हम एकमात्र राज्य हैं, जो बिजली पैदा करते हैं और अंधेरे में भी रहते हैं. हमें दोनों देशों के बीच संबंधों को तनावपूर्ण बनाने के बजाय हमारे लिए अधिक शक्ति के लिए बातचीत करनी चाहिए. हमें उन मुद्दों को नहीं उठाना चाहिए जो दोनों देशों के बीच पहले ही सुलझ चुके हैं, क्योंकि ऐसे करने से हम भाजपा की राह पर चल रहे हैं.’

आलोचनाओं पर उमर का बचाव करते हुए उनके सलाहकार नासिर असलम वानी ने कहा कि उमर ने कुछ भी नया नहीं कहा है. हम पहले से कहते रहे हैं कि हमें आईडब्लूटी के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए, चाहे वह अतिरिक्त बिजली के माध्यम से हो या हमें बिजली परियोजनाएं देकर, क्योंकि हमारे पास केवल ये जलविद्युत संसाधन हैं. उन्होंने कहा कि उमर ने कभी भी समझौता तोड़ने के लिए नहीं कहा.