नई दिल्ली: विकास यादव ने दिल्ली की एक अदालत में आवेदन दायर अपनी जान को खतरा बताते हुए अनुरोध किया है कि उन्हें अपने विरुद्ध चल रहे की सुनवाई में शामिल न होने की छूट दी जाए.
बता दें कि अमेरिकी न्याय विभाग के मुताबिक़, विकास यादव खालिस्तान समर्थक अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के सह-आरोपी हैं. एफबीआई ने उन्हें वांटेड की सूची में डाल रखा है.
किस मामले की सुनवाई में नहीं जाना चाहते विकास यादव?
अमेरिका द्वारा पिछले नवंबर में पहला अभियोग दर्ज करने के तीन हफ़्ते बाद 18 दिसंबर 2023 को विकास यादव को दिल्ली पुलिस के विशेष सेल ने अपहरण और जबरन वसूली के एक मामले में गिरफ्तार किया था. तिहाड़ जेल में चार महीने बिताने के बाद इस साल 22 अप्रैल को वह जमानत पर रिहा हुए थे.
हालांकि, द वायर हिंदी से बातचीत में विकास यादव के परिवार वालों ने बताया था कि उन्हें उनके गिरफ़्तार होने या जेल जाने की कोई जानकारी कभी नहीं मिली.
परिवार ने यह भी बताया कि ऐसा कभी नहीं हुआ कि विकास से लंबे समय तक बात न हुई हो. जिस दौरान विकास के जेल में रहने की बात सामने आई है, परिवार के मुताबिक़ वह तब भी उनके नियमित संपर्क में थे और उन्होंने जेल या इस केस से संबंधित किसी बात का उल्लेख नहीं किया.
एक अन्य रिपोर्ट में द वायर हिंदी ने विकास यादव और उनकी पत्नी एकता के प्राणपुरा (हरियाणा स्थित विकास यादव का पैतृक गांव) आने का उल्लेख किया था. उनके परिजनों और पड़ोसियों ने द वायर हिंदी से पुष्टि की कि विकास यादव इस विवाद के उभरने के बाद घर आए थे, परिवार के साथ काफ़ी समय बिताया, उन्हें आश्वस्त किया और वापस लौट गए. जिस वक्त विकास यादव अपने घर आए थे, ठीक तभी उनकी पत्नी एकता भी प्राणपुरा आई थीं. हालांकि दोनों संभवतः एक साथ नहीं पहुंचे थे.
अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, अब यादव ने अपने वकील आर.के. हांडू के माध्यम से दायर आवेदन में दावा किया है कि दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया है. उनके मुताबिक उनकी जान को खतरा है क्योंकि उनकी तस्वीरें, घर का पता और उनके ठिकानों की जानकारी सार्वजनिक हो चुकी हैं.
अपने दावे के समर्थन में उन्होंने समाचार रिपोर्ट संलग्न की जिसमें उनकी तस्वीर छपी थी. उन्होंने दावा किया है कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए भी दिल्ली पुलिस के इस मामले की सुनवाई में शामिल नहीं हो सकते क्योंकि संभावना है कि उनकी लोकेशन ट्रैक की जा सकती है.
अदालत ने विकास यादव के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है, लेकिन उन्हें 3 फरवरी, 2025 को अगली सुनवाई के लिए उपस्थित होने को कहा. बता दें कि शनिवार (16 नवंबर) को यादव का आवेदन दिल्ली की एक अदालत के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था.
सरकार नहीं मानती सरकारी कर्मचारी
भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर विकास यादव को सरकारी कर्मचारी मानने से इनकार कर चुकी है. गत 17 अक्टूबर को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि वे भारत सरकार के अंग नहीं हैं. हालांकि तमाम ख़बरों के मुताबिक यादव लंबे समय तक प्रोबेशन पर रॉ के लिए बतौर सीनियर फील्ड ऑफिसर काम कर रहे थे. उन्होंने कई वर्षों तक सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) में मुकदमा लड़ा, जिसके बाद उन्हें 9 अक्टूबर, 2023 को परमानेंट किया गया.
अमेरिका ने भी दावा किया था कि विकास भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के लिए काम करते हैं.