लड्डू विवाद के बाद तिरुपति बोर्ड ने ग़ैर-हिंदुओं को हटाने, राजनीतिक बयानों पर रोक जैसे निर्णय लिए

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने लड्डू विवाद के बाद हुई पहली बैठक में मंदिर परिसर में नेताओं आदि की राजनीतिक बयानबाज़ी पर प्रतिबंध लगाने, प्रसाद के लड्डू के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले घी की खरीद और मंदिर कर्मियों में से ग़ैर-हिंदुओं को हटाने जैसे कई फैसले लिए हैं.

तिरुमाला तिरुपति मंदिर. (फोटो साभार: टीटीडी आधिकारिक वेबसाइट)

नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के श्री वेंकटेश्वर मंदिर का प्रबंधन करने वाले बोर्ड तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने कथित मिलावटी लड्डू विवाद के बाद अपनी पहली बैठक में कई निर्णयों को लेकर प्रस्ताव पारित किया है.

इस बैठक में मंदिर में दर्शन के प्रतीक्षा समय को कम करने के लिए विशेषज्ञों का पैनल गठन, राजनीतिक बयानबाजी पर प्रतिबंध, लड्डू बनाने के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले घी खरीद और गैर-हिंदुओं को हटाने जैसे कई फैसले लिए गए.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, बोर्ड की ये इस साल जून में तेलुगु देशम पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के सत्ता में आने के बाद पहली बैठक थी. एनडीए मंदिर की कई व्यवस्थाओं को लेकर सवाल भी उठा चुका है.

बोर्ड की बैठक के बाद टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी जे. श्यामला राव ने संवाददाताओं से कहा कि वे भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए प्रतीक्षा समय को कम करने के तरीके तलाशना चाहते हैं, जो कभी-कभी 20 घंटे तक हो जाते हैं.

द हिंदू के अनुसार, तिरुमाला के मंदिर में दो से तीन घंटों के भीतर दर्शन पूरे करने और कृत्रिम मेधा (एआई) समेत अन्य तकनीक का उपयोग करके भक्तों की भीड़ को कम करने और उन्हें सुव्यवस्थित करने के तरीके सुझाने के लिए एक पैनल के गठन की बात कही गई है.

राव ने ये भी बताया कि राज्य सरकार को तिरुमाला में काम करने वाले गैर-हिंदुओं के बारे में फैसला लेने के लिए पत्र लिखने का भी निर्णय किया है.

अधिकारियों के अनुसार, टीटीडी चाहता है कि मंदिर में काम करने वाले गैर-हिंदू धर्म के कर्मचारियों को अन्य सरकारी संस्थानों में पुनर्वासित किया जाए या उन्हे स्वच्छेा से सेवानिवृत्ति (वीआरएस) की पेशकश की जाए. यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि मंदिर के सभी कर्मचारी टीटीडी के धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्यों के अनुरूप हों.

हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया है कि बोर्ड टीटीडी मंदिर प्रशासन में विभिन्न पदों पर कार्यरत गैर-हिंदुओं की कुल संख्या का आकलन करेगा और उन्हें सरकार को सौंप देगा. 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, टीटीडी में अन्य धर्मों के 44 कर्मचारी काम करते हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बोर्ड के इस फैसले से कुल सात हजार स्थायी कर्मचारियों में से करीब 300 कर्मचारी प्रभावित होंगे, जो इस समय बोर्ड में कार्यरत हैं. इसके साथ ही बोर्ड में 14,000 अनुबंधित कर्मचारी भी हैं.

कुछ अन्य जरूरी फैसलों में वित्तीय दुरुपयोग के आरोपों के बीच बोर्ड ने श्रीवानी ट्रस्ट की व्यापक समीक्षा का भी निर्देश दिया गया है. इसके साथ ही ट्रस्ट का नाम बदलने और इसके धन को मंदिर के मुख्य खाते में स्थानांतरित करने की व्यवहार्यता का भी देखने की बात कही गई है. इसके अलावा बेहतर वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, बोर्ड ने निजी बैंकों से जमा राशि वापस लेने और उन्हें राष्ट्रीयकृत बैंकों में पुनर्निवेश करने का संकल्प लिया.

गौरतलब है कि एनडीए सरकार ने श्रीवानी फंड के कथित दुरुपयोग पर चिंता जताई थी.

बोर्ड ने स्पेशल एंट्री टिकटों में अनियमितताओं के संबंध में शिकायतों की जांच के बाद बोर्ड ने दर्शन कोटा को खत्म करने का भी निर्णय लिया है. यह देखते हुए कि राजनेता मंदिर में प्रार्थना करने के बाद बयान या भाषण देते हैं, टीटीडी बोर्ड ने तिरुमाला में ऐसे बयानों या भाषणों पर प्रतिबंध लगा दिया है.

राव ने ये भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो ऐसे लोगों के साथ-साथ उनका प्रचार करने वालों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

हाल ही में विवादों में रहा मंदिर के लड्डू प्रसाद को लेकर भी टीटीडी ने बेहतर क्वालिटी वाले घी की खरीद के लिए फिर से टेंडर जारी करने की संभावना जताई है.

ज्ञात हो कि इस साल की शुरुआत में सत्तारूढ़ टीडीपी के नेतृत्व वाली सरकार ने तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर में लड्डू ‘प्रसादम’ में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री की शुद्धता के बारे में संदेह जताया था, जिस पर काफी बवाल हुआ था. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने एक लैब रिपोर्ट सार्वजनिक की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि भगवान को चढ़ाए जाने वाले लड्डू पशु चर्बी और मिलावटी घी से बने थे.

गौरतलब है कि तिरुमाला के अन्नमय्या भवन में अध्यक्ष बीआर नायडू की अध्यक्षता में नवगठित टीटीडी ट्रस्ट बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिए गए हैं.