नई दिल्ली: देश के एक नीति परामर्श निकाय- पीपुल्स कमीशन ऑन पब्लिक सेक्टर एंड पब्लिक सर्विस ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर सिविल सेवकों और सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) या किसी अन्य राजनीतिक रूप से संबद्ध संगठन से जुड़ने पर फिर से प्रतिबंध लगाने की मांग की है.
कमीशन ने अपने पत्र में कहा कि यदि प्रतिबंध फिर से नहीं लगाया जाता है, तो यह अन्य राजनीतिक दलों के लिए एक गलत मिसाल कायम करेगा, जो भारत के लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों को कमजोर करेगी.
पत्र में सिविल सेवाओं के भीतर राजनीतिक तटस्थता के महत्व पर जोर दिया गया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह निष्पक्ष हो और संविधान में निहित लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अनुरूप हो.
पत्र में कहा गया है कि प्रशासन का नेतृत्व नौकरशाहों द्वारा किया जाता है, ताकि वर्तमान सरकार की नीतियों को आगे बढ़ाया जा सके, बशर्ते कि ये देश के संविधान के अनुरूप हों, इनका आधार कानून में हो और विधानमंडल द्वारा इन्हें मंजूरी दी गई हो. इन नीतियों, कार्यक्रमों, उपायों, कानून की व्याख्याओं सहित विभिन्न लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि प्रशासन अपने सभी नागरिकों के प्रति तटस्थ हो और कर्मियों के अपने राजनीतिक झुकाव और स्थिति से इतर ऐसा ही दिखाई दे.
इसमें कहा गया है कि ऐसा तब तक नहीं हो सकता जब तक कि वरिष्ठ प्रशासक और संवेदनशील पदों पर बैठे लोग प्रशासन में पक्षपातपूर्ण कार्रवाई और पूर्वाग्रह को बढ़ावा न दें.
कमीशन ने यह भी कहा कि आरएसएस के कार्य ‘हमेशा संविधान के अनुरूप नहीं होते हैं.’
कमीशन ने लिखा, ‘आरएसएस का एजेंडा और भाजपा का विस्तार, इसकी भूमिका, जैसा कि इन संगठनों के सार्वजनिक बयानों से पता चलता है, भले ही उनके कामों को अनदेखा कर दिया जाए, यह दर्शाता है कि वे प्रथमदृष्टया महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रावधानों के विरोधी हैं.’
कमीशन ने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा को आरएसएस के विस्तारित निकाय के रूप में देखा जाना चाहिए.
कमीशन ने वरिष्ठ अधिकारियों, न्यायाधीशों और नियामकों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद राजनीतिक रूप से संबद्ध संगठनों के साथ भूमिकाएं संभालने से पहले तीन साल की अनिवार्य ‘कूलिंग पीरियड’ का भी प्रस्ताव रखा.
पत्र में कानूनों और नीतियों को लागू करने में सिविल सेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया है, जिन्हें सरकार की निष्पक्षता में जनता का विश्वास सुनिश्चित करने के लिए निष्पक्ष रूप से क्रियान्वित किया जाना चाहिए.
इसमें कहा गया है कि सिविल सेवकों को राजनीतिक संगठनों के साथ जुड़ने की अनुमति देना – विशेष रूप से एक अलग राजनीतिक एजेंडा वाले संगठनों के साथ – इस आवश्यक निष्पक्षता से समझौता करने का जोखिम है. राजनीतिक तटस्थता यह सुनिश्चित करने के लिए मौलिक है कि सरकारी कार्य किसी विशेष विचारधारा के साथ जुड़ने के बजाय वास्तव में सभी नागरिकों के विविध हितों को प्रतिबिंबित करते हैं.