नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक स्थानीय सिविल कोर्ट के आदेश पर मंगलवार (19 नवंबर) को एक मुगलकालीन मस्जिद का एक अधिवक्ता आयुक्त (एडवोकेट कमिश्नर) द्वारा सर्वेक्षण किया गया. कोर्ट में हिंदू कार्यकर्ताओं द्वारा एक याचिका दायर कर दावा किया गया है कि यह इस्लामिक धार्मिक स्थल मूल रूप से भगवान विष्णु के एक अवतार को समर्पित हिंदू मंदिर है.
हालांकि, शाही जामा मस्जिद की प्रबंध समिति के साथ ही स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी जल्दबाजी में मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर हैरानी जताई. अदालत के सर्वेक्षण आदेश के कुछ घंटों भीतर ही एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव द्वारा सर्वेक्षण कार्यवाही शुरू कर दी गई थी.
विभिन्न स्रोतों के अनुसार, सर्वेक्षण की कार्यवाही जिला मजिस्ट्रेट और जिला पुलिस प्रमुख की उपस्थिति में की गई. डेढ़ से दो घंटे तक चले सर्वेक्षण के दौरान मस्जिद परिसर की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की गई.
मालूम हो कि सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह ने मस्जिद में प्रवेश के अधिकार का दावा करने वाले हिंदुत्व समर्थक वकील हरि शंकर जैन और हिंदू संत महंत ऋषिराज गिरी के नेतृत्व में आठ लोगों द्वारा दायर एक आवेदन के बाद मस्जिद के सर्वेक्षण का निर्देश दिया है.
Here are the 8 plaintiffs in the civil suit seeking access to the #ShahiJamaMasjid in #Sambhal, UP claiming that it used to be an ancient #Kalki Temple.
Hari Shankar Jain, Parth Yadav, Mahant Rishiraj Giri, Rakesh Kumar, Jitpal Yadav, Madanpal, Ved Pal Singh and Deenanath. pic.twitter.com/i4rXuMFaQ6
— Omar Rashid (@omar7rashid) November 20, 2024
मस्जिद के संबंध में कहा जाता है कि इसे पहले मुगल सम्राट बाबर के निर्देश पर बनाया गया था, जिसे संभल जिले की आधिकारिक वेबसाइट पर ‘ऐतिहासिक स्मारक’ के रूप में दिखाया गया है. हालांकि, हिंदू याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि मस्जिद विष्णु के अंतिम अवतार कल्कि को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है.
इस मामले में वकील और मुख्य वादी हरि शंकर जैन के बेटे विष्णु शंकर जैन का कहना है कि 1529 में बाबर ने हरि हरि मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कर इसे एक मस्जिद में बदलने की कोशिश की.
इस संबंध में मस्जिद का सर्वेक्षण कराने की याचिका को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा कि उक्त जगह की एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने से अदालत को मुकदमे का फैसला करने में सुविधा हो सकती है.
मस्जिद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील जफर अली ने कहा कि सर्वेक्षण दो घंटे तक चला. ‘सर्वेक्षण के दौरान कोई आपत्तिजनक वस्तु नहीं मिली. ऐसी कोई बात नहीं थी जिससे संदेह पैदा होता. इससे यह स्पष्ट हो गया है कि शाही जामा मस्जिद वास्तव में एक मस्जिद है.
वकील ने आगे कहा कि सर्वेक्षण अदालत का आदेश आने के तुरंत बाद किया गया था, क्योंकि एडवोकेट कमिश्नर को आने वाले दिनों में अपनी बेटी की शादी में व्यस्त होंगे.
एक सूत्र के मुताबिक, कोर्ट ने अपना आदेश दोपहर करीब 3:30 बजे सुनाया और एडवोकेट कमिश्नर का सर्वे शाम 7 बजे शुरू हुआ. मस्जिद से जुड़े एक वकील ने कहा कि उन्हें आपत्ति दर्ज करने का मौका नहीं दिया गया, न ही क्षेत्र में आवश्यक शांति बैठकें आयोजित की गई, जिससे इलाके में कोई अप्रिय घटना न हो.
जफर अली ने बताया कि सर्वेक्षण के दौरान मस्जिद की सीमाओं और बंद किए गए स्टोर रूम का भी निरीक्षण किया गया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मस्जिद की देखभाल करने वालों ने अदालत द्वारा नियुक्त आयुक्त के साथ पूरा सहयोग किया.
हिंदू वादियों के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि आगे भी सर्वेक्षण जारी रहेगा क्योंकि मस्जिद की कई विशेषताओं का अध्ययन किया जाना बाकी है. जैन का कहना है कि यह एक ‘गैर-आक्रामक सर्वेक्षण’ था. जैन ने कहा, ‘ऐसा माना जाता है कि कल्कि अवतार संभल में होगा.’ उन्होंने दावा किया कि मस्जिद के अंदर हरि हरि मंदिर के कई चिह्न और प्रतीक थे.
वादी ने यह दावा भी किया है कि यह स्थल कल्कि को समर्पित सदियों पुराना हरि हरि मंदिर था और जामा मस्जिद देखभाल समिति द्वारा इसका ‘जबरन और गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल’ किया जा रहा है.
संभल से समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद जिया-उर-रहमान बर्क ने अधिवक्ता आयुक्त के सर्वेक्षण को जल्दबाजी में शुरू करने के तरीके पर चिंता जताई.
बर्क ने मस्जिद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘हमें कोई नोटिस नहीं दिया गया. हमारा जवाब नहीं मांगा गया. वे इसे जल्दबाजी में सर्वेक्षण करके गए. लेकिन इसमें कोई अर्जेंसी या तत्काल जरूरत जैसी तो कोई बात नहीं थी.’
बर्क ने कहा कि मस्जिद को उपासना स्थल अधिनियम, 1991 द्वारा संरक्षित किया गया है. उन्होंने कहा, ‘इसके बावजूद कुछ लोग राज्य और देश का माहौल खराब करना चाहते हैं.’
सपा नेता ने कहा कि जामा मस्जिद एक मुस्लिम उपासना स्थल था. उन्हें सुई के बराबर भी ऐसी कोई चीज़ नहीं मिलेगी, जिसे आपत्तिजनक कहा जा सके. यह एक मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद रहेगी.
संभल के डीएम राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि प्रशासन और पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के लिए सर्वेक्षण कार्यवाही के दौरान मौजूद थे.
मालूम हो कि 1891 में प्रकाशित ब्रिटिश काल के गजेटियर, ‘उत्तर-पश्चिमी प्रांतों और अवध में स्मारकीय पुरावशेष और शिलालेख’ में भी मस्जिद पर हिंदू दावे की बातें मौजूद हैं. इस दस्तावेज़ में कहा गया है कि मुसलमानों ने इमारत के निर्माण को बाबर के समय का बताते हुए मस्जिद के अंदर एक शिलालेख की ओर इशारा किया है, जो इस्लामी कैलेंडर के अनुसार वर्ष 933 में मीर हिंदू बेग द्वारा साइट के निर्माण को दर्ज करता है, जो कि वर्ष 1526 से मेल खाता है.
हालांकि, हिंदुओं ने दावा किया है कि शिलालेख बाद की तारीख की जालसाजी था, जैसा कि गजेटियर में कहा गया है. गजेटियर के अनुसार, ‘इस स्लैब पर या इसके पीछे, हिंदू कहते हैं कि मंदिर से संबंधित मूल संस्कृत शिलालेख है.’
इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बाबरी मस्जिद फैसले ने हिंदुत्व समूहों को पूरे भारत में मुस्लिम पूजा स्थलों को निशाना बनाने के लिए प्रोत्साहित किया है.
संभल सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए ओवैसी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि आवेदन जमा होने के तीन घंटे के भीतर सिविल जज ने मस्जिद स्थल पर प्रारंभिक सर्वेक्षण का आदेश दे दिया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था.
The Babri Masjid judgement has emboldened Hindutva groups to target Muslim places of worship across India. Look at the case of Shahi Jama Masjid at Chandausi, Sambhal, UP. Within three hours of the application being submitted, the Civil Judge ordered an initial survey at the…
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) November 20, 2024
उन्होंने आगे कहा कि ये आवेदन एक वकील द्वारा किया गया था, जो सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार का स्थायी वकील हैं. दूसरे पक्ष को सुने बिना सर्वेक्षण उसी दिन किया गया था. इसी तरह बाबरी का ताला भी अदालत के आदेश के एक घंटे के भीतर खोला गया था.
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