श्रीनगर: हाल ही में हुए एक आतंकवादी हमले के सिलसिले में पूछताछ के लिए बुधवार (20 नवंबर) को हिरासत में लिए गए चार नागरिकों को जम्मू संभाग के किश्तवाड़ में सेना द्वारा हिरासत में कथित रूप से प्रताड़ित किया गया है. ज्ञात हो कि हाल के महीनों में क्षेत्र में आतंकवाद की कई घटनाएं सामने आई हैं.
प्रताड़ित करने का आरोप सेना के उत्तरी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार द्वारा चिनाब घाटी के किश्तवाड़ में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के दो दिन बाद और सेना पर पुंछ जिले के पीर पंजाल में हिरासत में पूछताछ के दौरान तीन नागरिकों की हत्या का आरोप लगने के एक साल से भी कम समय बाद सामने आए हैं.
जम्मू संभाग में चिनाब घाटी और पीर पंजाल क्षेत्र में आतंकी हमलों की एक घातक लहर चल रही है, जिसमें दर्जनों सैन्य और पुलिस अधिकारी तथा नागरिक मारे गए हैं, जिसके कारण बड़े पैमाने पर तलाशी और खुफिया-आधारित अभियान चलाए गए हैं, जिसके दौरान सैकड़ों नागरिकों से पूछताछ की गई है.
स्थानीय लोगों और अधिकारियों ने द वायर को बताया कि हालिय मामले में पीड़ितों की पहचान सजाद अहमद, अब्दुल कबीर, मुश्ताक अहमद और मेहराज-उद-दीन के रूप में हुई है. सभी कुआथ गांव के निवासी हैं. उन्हें बुधवार सुबह सेना की ओर से फोन आया और उन्हें किश्तवाड़ जिले के मुगल मैदान तहसील के चास कैंप में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया.
यह शिविर 11 राष्ट्रीय राइफल्स का बेस है. उनके परिवारों ने बताया कि चारों पीड़ित गरीब और विवाहित हैं, जो दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करके अपना गुजारा करते हैं.
कुआथ गांव के एक स्थानीय निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘वे बिना किसी को साथ लिए शिविर में गए थे और अपने परिवार को बताया था कि वे जल्द ही घर लौट आएंगे. हालांकि, जब वे वापस नहीं आए और बार-बार फोन करने पर भी कोई जवाब नहीं मिला, तो परिवारों ने शिविर में जाकर पता करने का फैसला किया.’
हालांकि, पीड़ितों को परिवारों के सेना शिविर पहुंचने से पहले ही रिहा कर दिया गया था, लेकिन वे बुरी तरह घायल थे.
स्थानीय लोगों ने बताया, ‘उनमें से कुछ को कंधों पर उठाकर ले जाना पड़ा क्योंकि वे चल नहीं पा रहे थे. उनके परिवारों ने उन्हें इलाज के लिए किश्तवाड़ जिला अस्पताल में ले जाने का फैसला किया.’
द वायर के पास मौजूद कुछ तस्वीरों से पता चलता है कि पीड़ितों के साथ बुरी तरह मारपीट की गई है. उनमें से कम से कम दो के पैरों और नितंबों पर नीले-लाल निशान हैं, जो कथित तौर पर बार-बार पीटने के कारण हुए हैं.
तीसरे पीड़ित को सिर में चोट लगी है, जबकि चौथे पीड़ित की बाईं आंख में चोट है जो भारी सूजन के कारण लगभग बंद हो गई है, जो कथित तौर पर किसी भारी वस्तु के प्रहार के कारण हुई है. स्थानीय व्यक्ति ने कहा, ‘उन सभी के शरीर पर मारपीट के निशान हैं.’
बुधवार शाम को जब परिवार चार पीड़ितों के साथ निजी कारों के काफिले में किश्तवाड़ जा रहे थे, तो उन्हें भंडरकूट गांव में सेना ने रोक लिया. परिवारों ने आरोप लगाया कि सेना ने उन्हें आगे बढ़ने नहीं दिया.
स्थानीय लोगों ने बताया, ‘सेना पीड़ितों को अपने शिविर में ले गई और यातना में शामिल दोषियों को सजा देने का वादा किया. वे मामले को दबाना चाहते थे.’ उन्होंने बताया कि वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी शिविर में पहुंचे और परिवारों को आश्वासन दिया कि दोषियों को दंडित किया जाएगा.
बुधवार शाम को भंडरकूट कैंप के बाहर शूट गए एक धुंधले वीडियो में, जिसकी पुष्टि द वायर ने की है, सेना के दर्जनों जवानों को परिवारों को किश्तवाड़ की ओर बढ़ने से रोकते हुए देखा जा सकता है. पीड़ितों में से एक के परिवार के सदस्य को चिल्लाते हुए सुना जा सकता है कि अगर उनके वाहनों को कैंप से गुजरने की अनुमति नहीं दी गई तो वे एम्बुलेंस को बुला लेंगे.
इस बीच, जैसे ही घटना की खबर क्षेत्र में फैली, नागरिक और पुलिस प्रशासन भी हरकत में आ गया और किश्तवाड़ के उपायुक्त और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सहित वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और आक्रोशित परिवार के सदस्यों को शांत करने की कोशिश की.
एसएसपी किश्तवाड़ जावेद इकबाल से टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो सका. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि वे आरोपों की पुष्टि कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हमने घटना का संज्ञान लिया है. चारों लोगों की मेडिकल जांच कराई गई है और उन्हें उपचार मुहैया कराया गया है. कानून अपना काम करेगा.’
सेना के खिलाफ यातना के आरोप 10 नवंबर को किश्तवाड़ के चास इलाके में आतंकवादी हमले में विशेष बल के एक जूनियर कमीशन अधिकारी की हत्या की पृष्ठभूमि में सामने आए हैं.
इस हमले में सेना के तीन और जवान घायल हो गए. यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब तीन दिन पहले 7 नवंबर को किश्तवाड़ के ऊपरी इलाकों में आतंकवादी हमले में गांव के रक्षा गार्ड के रूप में काम कर रहे दो नागरिकों को अगवा कर लिया गया था और बाद में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
पिछले साल दिसंबर में जम्मू के पुंछ जिले में सेना द्वारा हिरासत में पूछताछ के दौरान तीन नागरिकों की हत्या कर दी गई थी. बाद में सेना की जांच में अधिकारियों सहित लगभग एक दर्जन सैन्यकर्मियों के आचरण में ‘चूक’ को इन जघन्य हत्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था.
हत्याओं में शामिल सेना की राष्ट्रीय राइफल्स की एक इकाई को पुंछ जिले से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया है, जबकि हत्याओं में कथित रूप से शामिल एक कमांडिंग अधिकारी और एक मेजर की भूमिका की जांच शुरू की गई है.
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