भाकपा माले सांसद सुदामा प्रसाद ने रेलवे से मिले सोने-चांदी के उपहार वापस लौटाए

बिहार के आरा से लोकसभा सांसद सुदामा प्रसाद में एक अध्ययन यात्रा के दौरान रेलवे से सोने-चांदी के सिक्के तोहफ़े में मिलने पर दुख ज़ाहिर करते हुए कहा कि यात्री सुरक्षा से लेकर किराया वृद्धि जैसी तमाम चुनौतियों के बीच स्थायी समिति के सदस्यों को महंगे उपहार देना जनहित से जुड़े मुद्दों पर सांसदों को चुप कराने की साज़िश है.

सुदामा प्रसाद. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (भाकपा माले) के बिहार के आरा से लोकसभा सांसद सुदामा प्रसाद ने रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस (आरआइटीइएस) और रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) द्वारा उन्हें दिए गए सोने और चांदी के महंगे उपहार लौटा दिए हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे की स्थायी समिति सदस्यों की 31 अक्तूबर से सात नवंबर, 2024 के बीच बेंगलुरु तिरुपति से हैदराबाद तक की अध्ययन यात्रा के दौरान आरआइटीइएस और रेल विकास निगम लिमिटेड ने उन्हें ये उपहार दिए थे. सुदामा प्रसाद को उपहार के तौर पर एक ग्राम सोने का सिक्का और सौ ग्राम चांदी का ब्लॉक मिले थे. इसे लेकर उन्होंने सांसद और रेलवे की स्थायी समिति के अध्यक्ष सीएम रमेश को संबोधित एक पत्र लिखकर निराशा व्यक्त की है.

सांसद ने रेलवे की स्टैंडिग कमेटी के चेयरपर्सन सीएम रमेश को लिखे पत्र में कहा है कि अतिथियों को फूल, शॉल, पेंटिंग और कुछ यादगार चीज़ें आम तौर पर स्वागत उपहार के रूप में दी जाती हैं. लेकिन भारतीय रेलवे द्वारा सोने का सिक्का और चांदी का ब्लॉक उपहार में दिए जाने का मुझे बेहद दुख है. ये बिलकुल अनैतिक है.

सांसद के पत्र में अवैतनिक सफाई कर्मचारियों, संविदा कर्मचारियों के उत्पीड़न और गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए सस्ती ट्रेन सेवाओं की कमी जैसे मुद्दों पर भी प्रकाश डाला गया है.

उन्होंने यात्री सुविधाओं और रेलवे कर्मचारियों की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जब आज यात्री रेलवे सुरक्षा, किराया वृद्धि, सुविधाओं की कमी और भारतीय रेलवे द्वारा अपमानजनक व्यवहार जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, ऐसे में रेलवे की स्थायी समिति के सदस्यों को इस प्रकार के महंगे उपहार देना सार्वजनिक हित से जुड़े मुद्दों पर सांसदों को चुप कराने की गहरी साजिश भी है.

उन्होंने अपने पत्र में आगे कहा है कि आम लोग सामान्य और स्लीपर डिब्बों में बिना सम्मान के यात्रा करने के लिए मजबूर हैं. गरीब और मध्यम वर्ग के लिए कोई नई ट्रेनें शुरू नहीं की जा रही हैं, मुख्य रूप से वंदे भारत जैसी ट्रेनों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. ऐसे में उन्होने स्थायी समिति के अध्यक्ष से अनुरोध किया है कि वे भारतीय रेलवे प्रबंधन को निर्देश दें कि स्थायी समिति की बैठकों या आधिकारिक बैठकों के लिए साधारण आवास की व्यवस्था की जाए, न कि पांच सितारा होटलों की.

सुदामा प्रसाद ने कहा है कि वे एक संसद सदस्य के रूप में इस तरह के सौने और चांदी के उपहारों पर नाराज़गी और दुख व्यक्त करते हैं. वे इसे समिति के सदस्यों को लौटा देंगे.