डोप टेस्ट न देने के आरोप का हवाला देते हुए बजरंग पूनिया को चार साल के लिए निलंबित किया गया

राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) ने ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया को राष्ट्रीय टीम के ट्रायल के दौरान डोप टेस्ट से इनकार करने के आरोप में निलंबित किया है. पूनिया का कहना है कि उन्होंने टेस्ट से मना नहीं किया था. यह कार्रवाई महिला पहलवानों के आंदोलन का बदला लेने के लिए की गई है.

बजरंग पूनिया. (फोटो साभार: फेसबुक/@bajrangpunia.official)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) ने 26 नवंबर (मंगलवार) को ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया को 10 मार्च को राष्ट्रीय टीम के लिए चयन ट्रायल के दौरान डोप परीक्षण के लिए अपना नमूना देने से इनकार करने पर चार साल के लिए निलंबित कर दिया है.

समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक, नाडा ने टोक्यो ओलंपिक खेलों के कांस्य पदक विजेता पहलवान को इस अपराध के लिए सबसे पहले 23 अप्रैल को निलंबित किया था. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय निकाय  (world governing body) यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने भी उन्हें निलंबित कर दिया था.

बजरंग पूनिया ने अनंतिम (provisional) निलंबन के खिलाफ अपील की थी. हालांकि, नाडा के अनुशासनात्मक डोपिंग पैनल (एडीडीपी) ने 31 मई को नाडा की ओर से आरोप का नोटिस जारी किए जाने तक इसे रद्द कर दिया था.

नाडा ने इसके बाद 23 जून को पहलवान को नोटिस दिया. बजरंग पूनिया ने 11 जुलाई को आरोप को चुनौती दी, इसके बाद 20 सितंबर और 4 अक्टूबर को सुनवाई हुई. सुनवाई पूरी होने के बाद एडीडीपी ने अपने आदेश में कहा, ‘पैनल का मानना ​​है कि एथलीट अनुच्छेद 10.3.1 के तहत प्रतिबंधों के लिए जवाबदेह हैं और 4 साल की अवधि के लिए अयोग्यता के लिए उत्तरदायी है.’

आदेश में आगे कहा गया है कि पैनल के अनुसार, मौजूदा मामले में, चूंकि एथलीट को अनंतिम रूप से निलंबित किया गया था, इसलिए पैनल तदनुसार मानता है कि एथलीट की 4 साल की अवधि के लिए अयोग्यता की अवधि अधिसूचना भेजे जाने की तारीख से शुरू होगी, यानी 23.04.2024 से. चूंकि 31.05.2024 से 21.06.2024 तक की अवधि के दौरान अनंतिम निलंबन को रद्द कर दिया गया था, इसलिए यह कहने की जरूरत नहीं है कि निलंबन की सजा में उक्त अवधि को नहीं जोड़ा जाएगा.

ज्ञात हो कि इस निलंबन का मतलब है कि बजरंग प्रतिस्पर्धी कुश्ती में वापसी नहीं कर पाएंगे. साथ ही, अगर वह चाहें तो विदेश में कोचिंग की नौकरी के लिए आवेदन भी नहीं कर पाएंगे.

गौरतलब है कि बजरंग पूनिया ने शुरू से ही कहा है कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के कारण डोपिंग कंट्रोल को लेकर उनके साथ बेहद पक्षपातपूर्ण और अनुचित व्यवहार किया गया था.

हालांकि, बजरंग पूनिया का कहना है कि उन्होंने कभी भी नमूना देने से इनकार नहीं किया, सिर्फ ईमेल कर नाडा की प्रतिक्रिया जानने की मांग की थी. बताया गया है कि बजरंग पूनिया ने ईमेल के जरिये नाडा से पूछा था कि दिसंबर 2023 में उनके नमूने लेने के लिए एक्सपायर किट क्यों भेजी गईं?

नाडा ने अपनी कार्रवाई का कारण बताते हुए कहा कि संरक्षक/डीसीओ ने उनसे संपर्क किया था और बताया था कि डोप एनालिसिस के लिए उन्हें यूरिन सैंपल देना आवश्यक है. पुनिया ने अपने लिखित निवेदन में कहा था कि पिछले दो मामलों में नाडा के रवैए ने एथलीट के मन में अविश्वास पैदा कर दिया था, विशेष रूप से नाडा ऐसे दोनों मामलों में डोपिंग कंट्रोल प्रक्रिया के प्रति उनके कठोर दृष्टिकोण को स्वीकार करने या यहां तक ​​कि प्रतिक्रिया देने में विफल रहा.

बजरंग ने अपने जवाब में यह भी कहा था, ‘यह सीधे तौर पर इनकार नहीं था. वे हमेशा अपना नमूना देने के लिए तैयार थे, बशर्ते उन्हें पहले नाडा से एक्सपायर हो चुकी किट के इस्तेमाल के बारे में जवाब मिले.’

हालांकि नाडा का कहना था कि डोप टेस्ट के लिए यूरिन सैंपल देने से एथलीट ने जानबूझकर इनकार किया था. एथलीट ने एंटी डोपिंग रूल्स, 2021 के आर्टिकल 20.1 और 20.2 के अनुसार अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति पूरी तरह से लापरवाही दिखाई है.

मालूम हो कि बजरंग पूनिया हाल ही में पहलवान विनेश फोगाट के साथ कांग्रेस में शामिल हुए थे. वे भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व कुश्ती संघ के अध्यक्ष  बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण को लेकर हुए आंदोलन का भी प्रमुख चेहरा थे.

प्रतिबंध मेरे खिलाफ व्यक्तिगत द्वेष और राजनीतिक साजिश का परिणाम: बजरंग 

बुधवार दोपहर बजरंग ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट के जरिये जारी बयान में कहा कि यह चार साल का प्रतिबंध व्यक्तिगत द्वेष और राजनीतिक साजिश का परिणाम है.

बजरंग ने लिखा है, ‘मेरे खिलाफ यह कार्रवाई उस आंदोलन का बदला लेने के लिए की गई है, जो हमने महिला पहलवानों के समर्थन में चलाया था. उस आंदोलन में हमने अन्याय और शोषण के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की थी. …भाजपा सरकार और फेडरेशन ने मुझे फंसाने और मेरे करिअर को खत्म करने के लिए यह चाल चली है. यह फैसला निष्पक्ष नहीं है, बल्कि मेरे और मेरे जैसे अन्य खिलाड़ियों को चुप कराने की कोशिश है.

उन्होंने अपनी पहले कही बात भी दोहराई कि उन्होंने कभी भी डोपिंग टेस्ट कराने से मना नहीं किया. ‘नाडा की टीम जब मेरे पास टेस्ट के लिए आई थी, तो उनके पास जो डोप किट थी, वह एक्सपायर हो चुकी थी. यह एक गंभीर लापरवाही थी, और मैंने केवल यह आग्रह किया कि एक वैध और मान्य किट के साथ परीक्षण किया जाए. यह मेरे स्वास्थ्य और करिअर की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक था. लेकिन, इसे जानबूझकर मेरे खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया,’ उन्होंने लिखा है.

पूनिया ने आगे कहा, ‘नाडा की इस हरकत ने यह साबित कर दिया है कि उन्हें निष्पक्षता से कोई लेना-देना नहीं है. इस तरह के तमाम संस्थान सरकार के इशारे पर चल रहें है. इस प्रतिबंध के पीछे का असली मकसद मुझे चुप कराना और गलत के खिलाफ आवाज़ उठाने से रोकना है.
मैं यह स्पष्ट कर दूं कि चाहे मुझे जिंदगीभर के लिए निलंबित कर दिया जाए, लेकिन मैं अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाना बंद नहीं करूंगा. यह लड़ाई सिर्फ मेरी नहीं, हर उस खिलाड़ी की है जिसे सिस्टम ने चुप कराने की कोशिश की है.’

उन्होंमे यह भी जोड़ा कि वे इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे और अपने हक की लड़ाई आखिरी दम तक लड़ते रहेंगे.