लद्दाख: केंद्र के साथ राज्य के दर्जे पर बातचीत से पहले हिल काउंसिल के बजट में कटौती

राज्य के दर्जे और अन्य संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांगों के संबंध में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के साथ बातचीत से पहले लद्दाख के निर्वाचित प्रतिनिधि दो स्वायत्त हिल काउंसिल के बजट में भारी कटौती को लेकर नाराज़ हैं. उनके बजट (विकास निधि) में 110 करोड़ रुपये की कटौती की गई है.

लेह अपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस का लद्दाख के पूर्ण राज्य की मांग को लेकर प्रदर्शन. (फाइल फोटो साभार: ट्विटर/@SajjadKargili_)

श्रीनगर: राज्य के दर्जे और अन्य संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांगों के संबंध में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के साथ बातचीत से पहले लद्दाख के निर्वाचित प्रतिनिधि दो स्वायत्त हिल काउंसिल के बजट में भारी कटौती को लेकर नाराज हैं.

ये काउंसिल केंद्र शासित प्रदेश की सर्वोच्च निर्वाचित संस्थाएं हैं, जिन्हें जम्मू-कश्मीर से अलग होने के बाद से ही नई दिल्ली द्वारा सीधे लेफ्टिनेंट गवर्नर और नौकरशाहों के माध्यम से चलाया जा रहा है. विभाजन के परिणामस्वरूप लद्दाखियों ने पूर्ववर्ती राज्य में नौकरियों और भूमि पर विशेष अधिकार खो दिए.

बजट कटौती से निर्वाचित प्रतिनिधि नाराज़

द वायर को प्राप्त एक पत्र में लद्दाख प्रशासन ने परिषदों को सूचित किया है कि उनके पूंजीगत व्यय बजट (विकास निधि) में 110 करोड़ रुपये की कटौती की गई है.

पत्र के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा केंद्र शासित प्रदेश के कुल व्यय को 3,076 करोड़ रुपये से संशोधित कर 2,100 करोड़ रुपये करने के बाद प्रत्येक परिषद का व्यय 344 करोड़ रुपये से घटाकर 234 रुपये कर दिया गया है.

चालू वित्त वर्ष के लिए फंडिंग को बरकरार रखने या अगले वर्ष के लिए इसे बढ़ाने में अपनी असमर्थता व्यक्त करते हुए लद्दाख के प्लानिंग डेवलपमेंट एंड मॉनिटरिंग डिपार्टमेंट ने दोनों हिल काउंसिल को लिखा है कि उसने अगले वित्तीय वर्ष के लिए उनके पूंजीगत व्यय को बढ़ाकर 360 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय के पत्र के आधार पर केंद्र शासित प्रदेश के वित्त विभाग द्वारा संशोधित आवंटन के कारण ऐसा नहीं किया जा सका.

फडिंग में कटौती से निर्वाचित प्रतिनिधि नाराज हैं, उनका तर्क है कि इससे क्षेत्र में विकास परियोजनाएं बुरी तरह प्रभावित होंगी.

लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (एलएएचडीसी) करगिल के मुख्य कार्यकारी पार्षद (सीईसी) डॉ. मुहम्मद जाफर अखोने ने द वायर को बताया, ‘इससे हमारे निर्वाचन क्षेत्रों में किए जा रहे काम प्रभावित होंगे. उन्होंने परिषदों के बजट में कटौती की है, जबकि यह केंद्र शासित प्रदेश के कुल बजट का मात्र 5-6% है.’

सीईसी, जिन्होंने इस मामले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और एलजी लद्दाख बीडी मिश्रा को पत्र लिखा है, ने कहा कि परिषद ने बुधवार (27 नवंबर) को इस मामले पर एक प्रस्ताव भी पारित किया, जिसमें केंद्र सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा गया.

लेह परिषद में विपक्ष के नेता त्सेरिंग नामग्याल ने इसे निर्वाचित प्रतिनिधियों को अशक्त करने के उद्देश्य से ‘अत्याचारी’ कदम बताया.

उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए आवंटित बजट का 90-95% खर्च करने की हमारी क्षमता के बावजूद उन्होंने परिषदों के फडिंग में भारी कटौती की है.’ उन्होंने कहा कि यह लद्दाख के लोगों और उसके प्रतिनिधियों के साथ घोर अन्याय है.

उन्होंने कहा कि पहाड़ी परिषदों को सशक्त बनाने और उदार फडिंग के बारे में केंद्र सरकार के वादे ‘जुमले’ साबित हुए हैं.

उन्होंने कहा, ‘एक तरफ भारत सरकार इन परिषदों को मजबूत करने की बात कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ वे (केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन) हमें आर्थिक रूप से पंगु बनाने के लिए ऐसे कदम उठा रहे हैं.’

बजट कटौती का यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब 3 दिसंबर को नई दिल्ली में लद्दाख के नेतृत्व और केंद्र सरकार के बीच पर्वतीय परिषदों की वार्ता होने वाली है.

लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के नेता – राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची, दो संसदीय सीटों और केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक समर्पित लोक सेवा आयोग की मांग के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने वाले दो समूह – गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के नेतृत्व में केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेंगे.

बजट में कटौती को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच एलजी मिश्रा ने नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की और चालू वित्त वर्ष में क्षेत्र के समग्र विकास के लिए फडिंग में यथास्थिति बनाए रखने का अनुरोध किया.

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, ‘उन्होंने उन्हें कटौती के परिणामों से भी अवगत कराया, जिससे चल रही विकास परियोजनाएं, विशेष रूप से लेह और करगिल दोनों पर्वतीय परिषदों की चल रही परियोजना कार्य प्रभावित हो सकते हैं, तथा क्षेत्र का समग्र विकास बाधित हो सकता है.’

केंद्र सरकार के वादे

पिछले पांच सालों में- जब से लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग किया गया है, केंद्र सरकार ने लद्दाख में विकास का बार-बार वादा किया है.

9 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि लद्दाख के लोगों का विकास केंद्र सरकार की विशेष जिम्मेदारी है. 1 फरवरी, 2023 को 2023-24 के अपने बजट भाषण में सीतारमण ने कहा था कि लद्दाख, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के विकास पर निरंतर ध्यान केंद्रित किया गया है.

इस वर्ष जनवरी में केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि केंद्र सरकार ने लद्दाख के विकास और बौद्धों एवं आदिवासियों सहित स्थानीय आबादी के कल्याण को उच्च प्राथमिकता दी है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)