संभल मस्जिद: सुप्रीम कोर्ट का ट्रायल कोर्ट की सुनवाई रोकने का निर्देश, कहा- तटस्थ रहना होगा

सुप्रीम कोर्ट ने संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति देने वाले अदालती आदेश को चुनौती देने वाली मस्जिद समिति की याचिका सुनते हुए याचिकाकर्ताओं से हाईकोर्ट जाने को कहा है. साथ ही, ज़िला प्रशासन से यह सुनिश्चित करने को कहा कि इलाके में शांति बनी रहे.

संभल की शाही जामा मस्जिद. (फोटो: श्रुति शर्मा/द वायर)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति देने वाले अदालती आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं से मामले को लेकर हाईकोर्ट जाने को कहा और ट्रायल कोर्ट को मामले की सुनवाई होने तक इस पर कोई कार्रवाई न करने का निर्देश दिया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष अदालत ने जिला प्रशासन से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि इलाके में शांति बनी रहे, जो सर्वेक्षणकर्ताओं के मस्जिद का दौरा करने के बाद से हिंसा से प्रभावित है.

यह याचिका मुगलकालीन मस्जिद की प्रबंधन समिति द्वारा दायर की गई थी, जिसके बारे में हिंदुओं का दावा है कि इसे एक हिंदू मंदिर को गिराकर बनाया गया था.

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ 19 नवंबर के ट्रायल कोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन पर एकपक्षीय अंतरिम रोक लगाने की मांग वाले मामले की सुनवाई कर रही थी.

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश प्रशासन से कहा है, ‘शांति और सद्भाव बनाए रखा जाना चाहिए. हमें पूरी तरह तटस्थ रहना होगा.’

याचिका में कहा गया है कि मस्जिद 16वीं शताब्दी से अस्तित्व में है और मुस्लिम लगातार इसका इस्तेमाल पूजा स्थल के रूप में करते रहे हैं, लेकिन आठ वादियों द्वारा मुकदमा दायर किए जाने के बाद मामले को जल्दबाजी में निपटा दिया गया, जिन्होंने आरोप लगाया था कि इसे ‘श्री हरिहर मंदिर’ को नष्ट करने के बाद बनाया गया था.

ज्ञात हो कि सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह ने 24 नवंबर को मस्जिद के सर्वेक्षण का निर्देश दिया था. आठ वादियों ने मस्जिद में प्रवेश के अधिकार का दावा करने के लिए एक सिविल मुकदमे में आवेदन किया था.

मस्जिद समिति की दलील में कहा गया है कि जिस जल्दबाजी में सर्वे की अनुमति दी गई और एक दिन के भीतर ही सर्वे किया गया और अचानक छह घंटे के नोटिस पर दूसरा सर्वे किया गया, उसने व्यापक सांप्रदायिक तनाव को जन्म दिया है और देश के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताने-बाने को खतरे में डाल दिया है.’

याचिका में सर्वोच्च न्यायालय से यह भी अनुरोध किया गया कि सर्वेक्षण आयुक्त की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखा जाए तथा अपील के अंतिम निर्णय तक यथास्थिति बनाए रखी जाए.

मालूम हो कि जब से सर्वे टीम मस्जिद में आई है, तब से संभल में तनाव की स्थिति बनी हुई है. सर्वे के दूसरे दिन हिंसा भड़कने के बाद मस्जिद से कुछ मीटर की दूरी पर गोली लगने से चार लोगों की मौत हो गई थी.

संभल जिले की आधिकारिक वेबसाइट पर मस्जिद को ‘ऐतिहासिक स्मारक’ के रूप में स्वीकार किया गया है, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि इसे पहले मुगल बादशाह बाबर के निर्देश पर बनाया गया था. हालांकि, हिंदू याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि मस्जिद विष्णु के अंतिम अवतार कल्कि को समर्पित एक प्राचीन मंदिर का स्थल था. मुख्य वादी हरि शंकर जैन के वकील और बेटे विष्णु शंकर जैन ने कहा कि 1529 में बाबर ने हरिहर मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया और इसे मस्जिद में बदलने की कोशिश की थी.

ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय में इस समय वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में मस्जिदों और मथुरा के श्री कृष्ण जन्मस्थान पर विवाद से संबंधित याचिकाओं पर विचार चल रहा है. न्यायालय में उपासना स्थल अधिनियम, 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी विचार चल रहा है, जो 15 अगस्त, 1947 के बाद से किसी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बदलने पर रोक लगाता है.